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श्रोतारो यदनुग्रहादहरहर्वक्ता तु रुन्धन्नघं । विष्वग्निर्जरयंश्च नन्दति शुभैः सा नन्दताद्देशना ॥
(अनगारधर्मामृत, १ / ५)
अर्थात् जिस देशना (धर्मोपदेश) के अनुग्रह से प्रतिदिन अनेक श्रोतागण धर्म को ठीक रीति से जानते हैं, अनेक श्रोतागण अपने संदेह को दूर करते हैं, अनेक अन्य श्रोतागण धर्मविषयक भ्रान्ति से बचते हैं, कुछ अन्य श्रोतागण धर्म पर अपनी श्रद्धा को दृढ़ करते हैं तथा कुछ अन्य श्रोतागण धर्म का पालन करते हैं, और जिस देशना के अनुग्रह से वक्ता प्रतिदिन अपने शुभ परिणामों से आगामी पापबंध को चहुँओर से रोकता है और पूर्व उपार्जित कर्म की निर्जरा करता हुआ आनंदित होता है, वह देशना फूले- फले, उसकी खूब वृद्धि हो ।
आज धार्मिक आयोजन भी धार्मिक शिक्षण से दूर हैं। भक्ति के क्षेत्र में प्रदर्शन की बाढ़ है । सादगी तो जैसे भूल ही गये हैं। भव्य पाण्डाल, भक्त सजावट, मँहगी विद्युतसज्जा, मँहगे संगीत कार्यक्रम ( फिल्माधारित) और भोजनादि के नाम पर बहुव्यंजनयुक्त लक्झरी व्यवस्थाओं में हमें धर्म, अध्यात्म खोजने पर भी नहीं मिल रहा है। विधान, पंचकल्याणक आदि महोत्सवों में विद्वानों-प्रवचनों की अनुपस्थिति चिन्ता का विषय है। हमें मूर्ति की जितनी चिन्ता है उतनी इस बात की नहीं है कि हम भी कभी, जिसकी मूर्ति है उसके जैसा बन सकें। हम भूल गये हैं कि हमारा लक्ष्य 'वन्दे तद्गुणलब्धये' का है। आयोजन कोई भी बुरा नहीं होता, बशर्ते उसका प्रयोजन सही हो और उसकी फलश्रुति सार्थक हो । दर्शन के लिए प्रदर्शन होना चाहिए। हम मात्र प्रदर्शन के लिए प्रदर्शन न करें। आज आयोजक या तो द्रव्य की आय को फलश्रुति मान लेते हैं या मनोरंजन को, जबकि अध्यात्म और आत्महित की दृष्टि से दोनों सही उपयोग के बिना निरर्थक हैं। क्या समाज / संत / विद्वान् इस पर चिन्तन करेंगे ?
आज की स्थिति तो
निदर्शना की है, जिसमें
जंग जीतना जो चाहते हैं तुमसे वैर बढ़ाकर । जीवित रहने की इच्छा करते हैं वे विष खाकर ॥
डॉ० सुरेन्द्र कुमार जैन, बुरहानपुर (म. प्र. )
जैनसमाज के वरिष्ठ विद्वान
जैनगजट को और अधिक प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से महासभा के अध्यक्ष श्री निर्मलकुमार जी सेठी ने जैनसमाज के यशस्वी वरिष्ठ विद्वान् एवं जैनगजट के भूतपर्व सम्पादक प्राचार्य श्री नरेन्द्रप्रकाशजी जैन को जैनगजट के परामर्शदाता पद पर मनोनीत किया है।
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श्री चम्पापुरजी में आयोजित श्री इन्द्रध्वज विधान एवं जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे प्राचार्य श्री नरेन्द्रप्रकाशजी ने महासभाध्यक्ष श्री निर्मलजी सेठी को यहाँ जैनगजट के परामर्शदाता बनने की स्वीकृति प्रदान की एवं आचार्य श्री वर्धमानसागर जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री निर्मल जी सेठी द्वारा प्राचार्य जी को जैनगजट के परामर्शदाता बनाने की घोषणा करते हुए सह सम्पादक अजीत पाटनी ने उनके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की ।
देश के प्रमुख विद्वानों पत्रकारों एवं श्रीमन्तों ने प्राचार्य जी को बधाई दी है। 'जिनभाषित' की ओर से कोटिशः अभिनन्दन ।
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अजीत पाटनी सह- संदापक जैन गजट
नवम्बर 2009 जिनभाषित 3
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