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________________ बिहारी की गज़ल उम्र जलवों में बसर हो स्व० श्री बिहारीलाल जी जैन श्री बिहारीलाल जी जैन मध्यप्रदेश के सिवनी नगर में एक दिगम्बर जैन परिवार में जन्मे (23 मई 1905) तथा अमेरिका के वर्जीनिया प्रान्त के ब्लूफील्ड नगर में चिर निद्रा में सोए। (5 अप्रैल 1992) उनकी लेखनी की भव्यता पर उन्हें न केवल मातृभाषा हिंदी में, बल्कि अँगरेजी कविताओं पर भी विश्व प्रसिद्ध सर्वोच्च सम्मान 'गोल्डन पोयट' (स्वर्णकवि) पुरस्कार 2 सितम्बर 1989 को वाशिंगटन हिल्टन में प्रदान किया गया। उम्र जलवों में बसर हो ये जरूरी तो नहीं। हर शबे गम की सहर हो ये जरूरी तो नहीं॥ न पियो, मांस न खाओ, परहेज़गार रहो। गैर को मार कर खाओ, ये जरूरी तो नहीं॥ नींद तो दर्द के बिस्तर पै भी आ जाती है। नींद लाने को दवा खाओ, जरूरी तो नहीं॥ कर्म का जीव से संबंध तो अनादि है। पर वो अनंत तक भी हो, ये जरूरी तो नहीं॥ सही अकीदा अमल, इल्म तो नियामत हैं। इश्क में उम्र बसर हो, ये जरूरी तो नहीं॥ विषय-कषाय घटाना ही शुद्धि मारग है। पाप करके उसे छोड़ो ये जरूरी तो नहीं। साफ जल से नहाना, जिस्म की सफाई है। पहले कीचड़ में लिपट लो, ये जरूरी तो नहीं॥ कमाई धर्म की शुभ में लगे, ये पुण्य ही है। पाप कर पैसा कमा, 'धर्म' जरूरी तो नहीं॥ फर्ज इंसान का बेशक नज़ात हासिल हो। तपे उल्फत में ही जलना, ये जरूरी तो नहीं॥ जिस्म से रूह गैर है, ये 'बिहारी', समझो। परिस्तिश जिस्म की ताउम्र जरूरी तो नहीं॥ 'बिहारी की गजलें' से साभार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524335
Book TitleJinabhashita 2009 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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