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________________ UPHIN/2006/16750 श्रीसेवायतन-मधुवन-श्री सम्मेद शिखर जी को झारखण्डरत्न सम्मान" संत शिरोमणी प.पू. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के पावन आशीष एवं उनके परम प्रभावी युवा शिष्य प.पू. मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज की प्रेरणा से परम पावन तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी की पावनता की सुरक्षा एवं विकास हेतु गठित श्री सेवायतन संस्थान को सम्पूर्ण झारखण्ड प्रदेश में मानवसेवा एवं ग्रामीण विकास के सर्वाधिक उत्कृष्ट कार्यों के लिए झारखण्ड प्रदेश का सर्वोच्च सम्मान 'झारखण्ड रत्न' से एक भव्य समारोह में दिनांक 6 जुलाई 2008 को केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय एवं झारखण्ड विधान सभा के सभापति माननीय श्री आलमगीर आलम द्वारा श्री एम. पी. अजमेरा मानद अध्यक्ष श्री सेवायतन एवं श्री राजकुमार अजमेरा मानद महामंत्री एवं अन्य सहयोगियों की उपस्थिति में अलंकृत किया गया। जैनसमाज द्वारा कार्यरत सेवाभावी संस्थानों के अन्तर्गत श्रीसेवायतन पहली संस्था है जिसे शासकीय स्तर पर इतना बड़ा सम्मान प्राप्त हुआ है। यह सम्पूर्ण जैनसमाज के लिए गौरव का विषय है। केन्द्रीय मंत्री माननीय श्री सुबोधकान्त सहाय ने उक्त अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीसेवायतन संस्थान की तरह अन्य संस्थानों को भी अपने-अपने क्षेत्र में सेवाकार्य करना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष श्री आलमगीर आलम ने श्रीसेवायतन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि सभी सेवा संस्थान श्रीसेवायतन की तरह कार्य करने लगें, तो झारखण्ड की स्थिति बदल जाएगी। उक्त अवसर पर सम्मानसभा को संबोधित करते हुए श्रीसेवायतन संस्थान के माननीय अध्यक्ष श्री एम.पी. अजमेरा ने कहा कि श्रीसेवायतन का उद्देश्य श्री सम्मेद शिखर जी मधुबन की तलहटी में बसे 14 अभाव ग्रस्त ग्रामों का सर्वांगीण विकास कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हुए आदर्श क्षेत्र बनाना है। श्रीसेवायतन संस्थान ने अल्प अवधि में अपने सेवाकार्यों द्वारा विरेनगड्डा एवं बगदाहा ग्राम, जिसे आचार्य विद्यासागर आदर्श ग्राम के रूप में नामांकित किया गया है उसे आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करते हुए पूर्णतः शाकाहारी एवं नशामुक्त ग्राम बना दिया है, जो अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। ग्रामवासियों के व्यक्तित्वविकास हेतु आर्ट ऑफ लिविंग एवं नवचेतना शिखर लगाये गये हैं, तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार के विभिन्न साधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। वर्तमान में 500 परिवारों को 1000 दुधारू गायें राज्य सरकार एवं श्री सेवायतन के सहयोग से प्रदान करने की योजना है। निःशुल्क शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधाएँ भी प्रदान की जा रही हैं। श्रीसेवायतन के अध्यक्ष श्री एम.पी. अजमेरा के साथ समर्पित लोगों की एक बड़ी टीम कार्य कर रही है। इन सभी का प्रयास अत्यन्त उल्लेखनीय है एवं प्रशंसनीय है। विमल कुमार सेठी, गया प्रचार मंत्री श्री सवयत स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, 210, जोन-1, एम.पी. नगर, Jain Education | भोपालाम.प्र.) से मुद्रित एवं 1/205 प्रोफेसर कॉलोनी,आगरा 2820025(उ.प्र.) से प्रकाशित। संपादक : रतनचन्द्र जैन। www.jainelibrary.org.
SR No.524331
Book TitleJinabhashita 2008 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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