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________________ बिस्किट और दिग्भ्रमित ग्राहक सब प्रकार के पॅकेज्ड फूड के लिए सरकार ने | बिस्किट कैसे बनते हैं? कानून बनाये हैं। उस कानून के तहत सभी खाद्य पदार्थों आटा, पानी में कई घटक मिला कर बिस्किट पर शाकाहारी या मांसाहारी लिखना अनिवार्य है। परंतु, | बनाये जाते हैं। इनमें रंग, सुगंधित द्रव्य प्रिजरर्वेटिव्ज्ञ, दर्भाग्य की बात है कि इस कानन पर अमल करने | अँटी-ऑक्सीडंट, थिकनर्स, स्वीटनर्स, स्टॅबिलाज़र्स, वाले सरकारी अधिकारी रिश्वत के चंगल में फंसते . अॅसिडिटी, रेग्युलेटर्स इनमें से अनेक अँटिक्विज, प्राणीजन्य और इन पॅकेज्ड फूड के कानून से छुटकारा पाने के पदार्थों से बनाये जाते हैं। उदाहरण अन्नपदार्थ और पेय पदार्थों में लाल रंग कोचिनियल बीटल्स (Cochineal कई अवैध मार्ग अपनाये जाते हैं। मछली, अंडे या मांस Beetle) से बनाया जाता है। मेक्सिकन कीड़ों से यह जिन पदार्थों में मिलाया जाता हो, उन पर लाल निशान होना आवश्यक है और जिन पदार्थों में शाकाहारी पदार्थ | रंग बनता है। इसका मतलब यह है कि यह रंग वनस्पतिजन्य नहीं है। मिलाये गये हैं, उन पर हरा निशान आवश्यक है। यह इ-नबर्स- बिस्किट के पैकेट पर देखिए उस पर हरा निशान ही अब ग्राहकों को दिग्भ्रमित कराने के (E-Numbers) लिखे होते हैं। योरापीय देशों में 'इलिए और फँसाने के लिए उपयोग में लाया जा रहा नम्बर' की पद्धति आवश्यक की है। पार्ले जी-का नया है। ऐसे कई केसेस हैं जिनमें मांसाहारी पदार्थ उपयोग । 300 ग्राम का पैक लीजिए, उस पर ध्यान से पढिए, में लाये जाते है और वे विटामिन के नाम पर चला | उसमें इम्युलसि-फायर्स 322, या 471 और 481 नम्बर नहीं बताया जाता है | छपा हुआ है। कुछ माल पर कॅल्शियम सॉल्ट. (A 233 कि विटामिन ए मछली तेल से किया गया उत्पादन S > 0) कंडिशनर 223 और इस प्रकार के इ-नम्बर है। ऐसे अनेक पदार्थों पर हरा निशान भी नहीं लगाया | अत्यंत बारीक अक्षरों में छपे हुए होते हैं, परंतु पढ़ जाता। मिठाई में भी ये ही मांसाहारी पदार्थ उपयोग में | सकते हैं। लाये जाते हैं, यह जानकर कई शाकाहारी सज्जनों को। सच्ची रहस्यकथा तो यही से आरंभ होती है। चक्कर आ जायेगा। (कुछ मंदिरों में महावीर जयंती के | देशभर के बिस्किट उत्पादक उपर्युक्त पदार्थ विदेशों से अवसर पर बीमार लोगों को बिस्किट बाँटे जाते हैं। क्या मँगाते हैं। उसके लिए केंद्र शासन से परमिट आवश्यक यह उचित है?) होता है। सब मांसाहारी अंतर्घटक हैं। इसके लिए मांसाहारी आयात परमिट (अनुज्ञापत्र) बिस्किट उत्पादक कम्पनियाँ बिस्किट-कितने शाकाहारी और कितने मांसाहारी? सरकार से प्राप्त करती हैं। परन्तु देश में उन घटकों कुछ महिनों पहले 24 लोकसभा सदस्यों ने केंद्रीय को शाकाहारी के नाम पर ग्राहकों को ठगा जाता है। अन्न प्रक्रिया मंत्रालय की ओर बेकरी माल और बिस्किट अगर शाकाहारी माल मँगाना होता है तो उसके लिए उत्पादन कम्पनियों की जाँच करने की माँग की थी। मांसाहारी परमिट की क्या जरूरत थी? यह सादा, सरल उनकी शिकायत के अनुसार इन खासदारों ने आरोप लगाया प्रश्न है। केंद्र सरकार अन्न प्रक्रिया मंत्रालय को भी है कि बेकरी माल और बिस्टिकों में प्राणियों की चरबी इसके बारे में 'ना खेद ना दुःख'! शाकाहारी जनता तो (Animal Fat) उपयोग में लायी जाती है। यह चरबी इसकी बलि चढ़ जाती है। विशेषतः अहिंसाधर्मीय जैन, सअर, गाय, कुत्ता और बंदरों को कत्ल कर बिस्किट | ब्राह्मण आदि समाज के साथ तो यह सीधा धोखा है। उत्पादनों में उपयोग में लायी जाती है, इस गम्भीर शिकायत | निम्नलिखित नंबर्स उनके लिए नहीं हैं, यह ध्यान में हित दशभर म ब्रिटानया, मिल्क बक्काज, मरा गोल्ड, | रखा जाए। A-120, 441, 542, 904.920 के साथ ही टायगर, गुड डे, पार्ले जी, मोनॅको, हाईड और सिक | ल्यूसीन (Leuclen) और स्पर्मासेटी स्प्रेम (Spermaceti/ इन कम्पनियों की जाँच केन्द्र सरकार ने आरंभ कर | Sperm) इनके कोई नम्बर नहीं होते। व्हेल मछली के दी है। इस से कुछ गम्भीर बातें ग्राहकों के सामने आ | सिर पर का सफेद चरबीयुक्त पदार्थ ही स्पर्मासेटी है। रही हैं। हिन्दी अनुवाद- सौ. लालीवती जैन, 28 मई 2008 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524328
Book TitleJinabhashita 2008 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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