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सत्य पर आक्रमण
महाकवि आचार्य श्री विद्यासागर जी
मूकमाटी महाकाव्य की निम्नलिखित काव्यपंक्तियाँ विषयवासनाओं में लिप्त होने के दुष्परिणाम एवं उनके दमन के सुपरिणाम की अत्यन्त प्रभावशाली व्यंजना करती हैं।
सम्पादक
लोकख्याति तो यही है कि कामदेव का आयुध फूल होता है और महादेव का आयुध शूल। एक में पराग है सघन राग है जिसका फल संसार है
एक में विराग है अनघ त्याग है
जिसका फल भव-पार है। एक औरों का दम लेता है बदले में मद भर देता है, एक औरों में दम भर देता है तत्काल फिर निर्मद कर देता है।
दम सुख है, सुख का स्रोत मद दुःख है, सुख की मौत! तथापि यह कैसी विडम्बना है कि सब के मुख से फूलों की ही प्रशंसा होती है और शूलों की हिंसा! क्या यह
सत्य पर आक्रमण नहीं है? 'मूकमाटी' महाकाव्य (पृष्ठ 101-102) से साभार
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