________________
रजि. नं. UPHIN/2006/16750
अप्रैल 2008
वर्ष 7,
अङ्क 4
मासिक जिनभाषित
सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन
अन्तस्तत्त्व
पृष्ठ
कार्यालय ए/2, मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल-462039 (म.प्र.) फोन नं. 0755-2424666
सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द्र लुहाड़िया, मदनगंज किशनगढ़ पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर
शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कँवरलाल पाटनी
(मे. आर.के.मार्बल)
किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश कुमार राणा, जयपुर
आचार्य श्री विद्यासागर जी के दोहे
आ.पृ. 2 • मुनि श्री क्षमासागर जी की कविताएँ
आ.पृ. 3 सम्पादकीय : जीवित किसलिए रहना है? प्रवचन
• परोन्मुखता ही परिग्रह है : आचार्य श्री विद्यासागर जी .लेख • वैशाली-जैसी सुनी, जैसी देखी, वैसी
: मुनि श्री प्रणम्यसागर जी • मारीच से महावीर : डॉ० राजेन्द्रकुमार वंसल मानवजीवन की सफलता : पण्डित होने से
: क्षुल्लक श्री शीतलसागर जी • अहिंसा और गाँधी : श्री बालगंगाधर जी तिलक जीवन का परामर्शदाता कैसा हो?
. : डॉ० वीरसागर जैन पारिवारिक एवं प्रोफेशनलक्षेत्र में महिलाओं की
भूमिका का समन्वय एवं सन्तुलन : श्रीमती विमला जैन । • विनाश के कगार पर विरासत
: शाहिद हुसैन/अनुवादक : एस०एल० जैन • जैनविद्या विश्वकोश : पं० मूलचन्द्र लुहाड़िया • जैन त्योहारों के दौरान पशुवध एवं माँस विक्रय पर
रोक जायज : सुप्रीम कोर्ट जिज्ञासा-समाधान : पं. रतनलाल बैनाड़ा कविता
तोते की मानिंद :: मनोज जैन 'मधुर' भजन
: विनोद कुमार 'नयन' समाचार
31, 32
प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी,
आगरा-282 002 (उ.प्र.) फोन : 0562-2851428, 2852278||
सदस्यता शुल्क शिरोमणि संरक्षक 5,00,000 रु. परम संरक्षक 51,000 रु. संरक्षक
5,000 रु. आजीवन
1100 रु.
150 रु. एक प्रति
15 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें।
वार्षिक
लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। 'जिनभाषित' से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्यायक्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org