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पारिवारिक एवं प्रोफेशनल क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका का समन्वयन एवं संतुलन
श्रीमती विमला जैन, जिला एवं सत्र न्यायाधीश 1. भारतीय संस्कृति नारी की स्वतंत्रता और अस्मिता | ध्वस्त किया है। भारतीय नव-जागरण के अग्रदूत राजारामको प्राचीन काल से संरक्षित करती रही है। हमारी संस्कृति | मोहनराय ने सती दाह का विरोध किया। आधुनिक हिन्दी महिलाओं को पत्नीत्व और मातृत्व के तटबंधों के बीच साहित्य के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने सन् 1868 में अपनी पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों के सम्यक्-निर्वाह का | | पत्रिका कविवचन सुधा में नारि नर सम होंहि' की प्रभावी संदेश प्रदान करती है। महिला के विकास का सर्वोच्च | उद्घोषणा की है। महात्मा गाँधी ने मीराबाई के चरित्र से शिखर उसका मातृत्व ही है। अतः हम पश्चिम से आए | सत्यग्रह करने की प्रेरणा प्राप्त की। नारी स्वातंत्र्य के अंधानुकरण से बचे और महिला को 4. स्वर्णिम भारतीय इतिहास की इस पृष्ठभूमि को सशक्त करने और पराधीनता से मुक्त बनाने के लिए विवाह | देखते हुए भी वर्तमान में युवकों और युवतियों के बीच संस्था को पूर्ण सम्मान दें। महिला की स्वतंत्रता देह की | इण्टरनेट पर विवाह और ई-मेल पर मिलन समारोह हो मुक्ति और भोग की शक्ति तक ही सीमित नहीं है। महिला | रहे हैं। अलग-अलग नगरों में रहते हुए अपने लेपटॉप की स्वतंत्रता पनि और माता के संबंधों से मुक्त होकर | | कम्प्यूटर के माध्यम से युवकों और युवतियों के बीच प्रेमदेहभोग की उन्मुक्त छूट तक ही सीमित नहीं है। प्रत्येक | संबंध स्थापित हो रहे हैं। प्रोफेशनल युवा पतियों एवं पत्नियों महिला का कर्तव्य है कि वह पत्नीत्व और मातत्व की | की कार्य संबंधी यात्राएँ बढ़ती जा रही हैं। उनमें से कछ भूमिका का निर्वाह कर पारिवारिक एवं सामाजिक विकास | दम्पत्ति एक दूसरे से यात्रा पर आते जाते समय केवल एयर में अपना पवित्र एवं रचनात्मक योगदान दे।
पोर्ट पर ही मिल पाते। उन्हें एक नगर में एक दूसरे के 2. भारतीय महिलाओं ने अपनी निष्ठा, साहसिक | साथ कुछ समय के लिए भी रहना संभव नहीं हो पा रहा भूमिका और सजगता से पूरे विश्व को प्रभावित किया है। है। प्रोफेशनल और करियर नवयुगल के लिए पारिवारिक महाभारत ने प्रभावी ढंग से द्रोपदी, सावित्री और शंकुतला समय निरंतर घटता जा रहा है। वैवाहिक संबंधों में के स्वतंत्र व्यक्तित्व, दृढ़ता, तेजस्विता, अप्रतिम साहस एवं | पारस्परिक मधुरता कम हो रही है। इन समस्याओं से स्वाभिमान का वर्णन किया है। आदि कवि बाल्मीकि ने | महानगरों के नवयुगल सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं। रामायण में सीता की सजगता, मुखरता और उग्रता को कार्यस्थल से माता-पिता के घर लौटने तक बच्चे सो जाते उल्लेखित किया है। उन्होंने सीताजी के माध्यम से हर पल | हैं। ऐसे माता-पिता अपने बच्चों से सप्ताह के अंत में अपने पति के साथ रहने के हर महिला के अधिकार को | अवकाश के दिन में ही भेंट कर पाते हैं। ऐसा प्रतीत होता संरक्षित किया है। रामचरितमानस में तुलसीदास ने अपनी | है कि वे अब साप्ताहिक माता-पिता बनते जा रहे हैं। सौम्यता के साथ सरल किन्तु सशक्त उक्तियों के माध्यम । 5. कुछ नवयुगल अपनी व्यस्तताओं के कारण से पति संग रहने के सीता के अधिकार को संस्थापित किया | अपने शिशु को जन्म ही नहीं देना चाहते हैं। कुछ नवयुगलों है। सीता ने स्वविवेक से अपने पति राम के साथ वन | ने शिशु को जन्म ही नहीं देने का निर्णय कर लिया है। जाने का निर्णय लेकर अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व को स्थापित | वे दोहरी आय किन्तु शिशु नहीं के सिद्धान्त का पालन किया है।
कर रहे हैं। उन्होंने यह स्वीकार कर लिया है कि शिशु 3. भारतीय संस्कृति ने अपनी महिलाओं को स्वविवेक | को जन्म देने से उनके पारस्परिक मिलने का समय और से निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान की है। पारिवारिक, | भी कम हो जावेगा। वे अपने प्रोफेशन के सर्वोच्च स्तर सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका का निर्वाह | पर अपनी पारिवारिक व्यस्तता के कारण नहीं पहुँच सकेंगे। करने का अवसर प्रदान किया है। मध्यकाल में पद्मावत | दुखद पक्ष यह है कि वे अपनी वर्तमान परिस्थितियों से (मलिक मुहम्मद जायसी) ने पद्मावती को मानवीय सद्गुणों | संतुष्ट प्रतीत होते हैं। की जननी घोषित करते हुए पुरुष की श्रेष्ठता के दंभ को 6. भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा महानगरों से कराए
- अप्रैल 2008 जिनभाषित 21
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