________________
रजि. नं. UPHIN/2006/16750
फरवरी 2008
वर्ष 7,
अङ्क 2
मासिक जिनभाषित
सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन
अन्तस्तत्त्व
पृष्ठ
आ.पू.2
- आचार्य श्री विद्यासागर जी के दोहे - मुनि श्री क्षमासागर जी की कविताएँ
सम्पादकीय : आगम-विरुद्ध आचरण परम्परा नहीं है
कार्यालय ए/2,मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल-462 039 (म.प्र.) फोन नं. 0755-2424666
आ.पृ. 3
प्रवचन
चरण आचरण की ओर : आचार्य श्री विद्यासागर जी
आत्मरिणामों की परख : मुनि पंगव श्री सधासागर जी
सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द्र लुहाड़िया, मदनगंज किशनगढ़ पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर
लेख • शिखरजी की यात्रा और बाई जी (धर्ममाता चिरौंजीबाई जी)
का व्रतग्रहण : क्षुल्लक श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी 13 • चतुर्थकाल के मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी
: स्व. पं० कैलाशचन्द्र जी शास्त्री 16
शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कँवरलाल पाटनी
(मे.आर.के.मार्बल)
किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश कुमार राणा, जयपुर
प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी,
आगरा-282 002 (उ.प्र.) फोन : 0562-2851428, 28522781
कुन्दकुन्द और उनका जन्मस्थान .: श्री पी० बी० देसाई
18 • लोकगीतों में कुण्डलपुर और बड़े बाबा
: श्रीमती डॉ० मुन्नीपुष्पा जैन 22 • श्री पाहिल्ल श्रेष्ठी : पं० कुन्दनलाल जैन • बच्चों को यौन-शिक्षा : डॉ० श्रीमती ज्योति जैन 27 जिज्ञासा-समाधान : पं. रतनलाल बैनाड़ा . समाचार
17, 31, 32 एवं आ.पृ.4
सदस्यता शुल्क शिरोमणि संरक्षक 5,00,000 रु. परम संरक्षक 51,000 रु. संरक्षक
5,000 रु. आजीवन
1100 रु. वार्षिक
150 रु. एक प्रति
15 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें।
लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। 'जिनभाषित' से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्यायक्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org