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गुरु बिना जीवन की शुरुआत नहीं मुनिश्री सुधासागर जी
समाचार
के बिना जीवन
गुरु ही नहीं होता शुरु इसीलिए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहा है। गुरु प्रेरक एवं सर्जक है, जबकि परमात्मा ध्येय है। श्रद्धा को प्रगाढ़ बनाने के लिए परमात्मा का ध्यान करना आवश्यक है क्योंकि परमात्मा ही सर्वशक्तिमान । गुरु की करुणा शिष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करती है। दुनिया में तीर्थंकर भी परम गुरु बनकर हमें दिव्यध्वनि के माध्यम से कल्याणकारी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जीवन को यदि धन्य बनाना है तो एक सच्चा गुरु बनाना होगा। ऐसा गुरु जो विषयों की आशा से रहित हो। ज्ञान, ध्यान और तप में लीन हो । गुरु को जीवन का दर्पण व संसार की बीमारी से छुटकारा दिलाने वाला वैद्य समझना चाहिए। वैद्य के हाथ से जहर भी पी लेना, लेकिंन अज्ञानी के हाथ से अमृत भी नहीं पीना चाहिए। वैद्य के द्वारा दिया हुआ विष भी गुणकारी होगा। विष ही विष की औषधि है, यह प्रसिद्ध है। मुनिश्री ने बताया कि जब तुम भगवान् के, गुरु के दर्शन करो, तब उनके दर्शन करते-करते आत्मदर्शन जरूर करना । इसी से तुम्हें दर्शन की महत्ता समझ में आयेगी । यह विचार मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज ने खांदू कॉलोनी (बांसवाड़ा) स्थित श्री श्रेयांसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
इस अवसर पर अ.भा. दि. जैन शास्त्रिपरिषद् के अध्यक्ष डॉ. श्रेयांसकुमार जैन, महामंत्री - प्रा. अरुणकुमार जैन एवं अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् के मंत्री- डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन भारती, बुरहानपुर का समाज की ओर से शॉल, श्रीफल, माल्यार्पण के द्वारा सम्मान किया गया। उक्त तीनों विद्वानों ने मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री गंभीरसागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महाराज को श्रीफल अर्पित कर उनसे चातुर्मास के मध्य मूलाचार अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी एवं अ.भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् का संयुक्त अधिवेशन आयोजित करने तथा सान्निध्य प्रदान करने हेतु निवेदन किया जिसे मुनिश्री ने समाज के द्वारा उक्त आयोजन के प्रति अपनी सहमति व्यक्त करने पर शुभाशीर्वाद प्रदान किया। संचालन डॉ. कमलेश जैन बसंल के किया।
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श्रावक संस्कार शिविर, विद्वत्संगोष्ठी एवं अधिवेशन
बांसवाड़ा (राज.) स्थित खांदू कॉलोनी में वर्षायोग हेतु विराजित मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज (ससंघ) के सान्निध्य में अनेक आयोजन सम्पन्न होंगे। इनमें दिनाङ्क २८ अगस्त को रक्षाबंधन पर्व, दिनांक १६ से २५ सितम्बर तक पर्युषण पर्व एवं विशाल श्रावक संस्कार शिविर, दिनाङ्क २७ सितम्बर को क्षमावाणी पर्व, दिनाङ्क २९ सितम्बर को मुनिश्री का दीक्षादिवस, दिनाङ्क २५ से २७ अक्टूबर तक मूलाचार अनुशीलन चतुर्दश राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी एवं दिनांक २८ अक्टूबर को अ.भा. दि. जैन शास्त्रिपरिषद् एवं अ. भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् का द्वितीय संयुक्त अधिवेशन आयोजित किया जायेगा । विद्वत्संगोष्ठी के निदेशक प्रा. नरेन्द्र प्रकाश जैन, फिरोजाबाद एवं संयोजक डॉ. रमेशचन्द्र जैन, बिजनौर एवं डॉ. श्रेयांसकुमार जैन, बड़ौत होंगे। इस संगोष्ठी में देश के ख्याति प्राप्त ५१ विद्वानों एवं विदुषियों को
शोधपत्र वाचन हेतु आमंत्रित किया गया है। संयुक्त अधिवेशन के अध्यक्ष - डॉ. श्रेयांसकुमार जैन, बड़ौत एवं डॉ. शीतलचन्द्र जैन (प्राचार्य) जयपुर एवं संयोजक - प्रा. अरुणकुमार जैन, ब्यावर एवं डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन, बुरहानपुर होंगे। संगोष्ठी एवं अधिवेशन के पुण्यार्जक सर्वश्री अमृतलाल, नरेन्द्रकुमार, शरदकुमार, संतोषकुमार जैन, खांदू कॉलोनी बांसवाड़ा होंगे।
इसी अधिवेशन के मध्य महाकवि आचार्य ज्ञानसागर पुरस्कार, पूज्य क्षुल्लक श्री गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति विद्वत्परिषद् पुरस्कार, गुरुवर्य गोपालदास बरैया स्मृति विद्वत्परिषद् पुरस्कार एवं शास्त्रिपरिषद् के द्वारा प्रदत्त पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। अधिवेशन में लगभग २५० विद्वानों, विदुषियों एवं पत्रकारों के सम्मिलित होने की संभावना है।
जैन हैपी स्कूल में स्वतंत्रता दिवस सम्पन्न
बुरहानपुर - पार्श्व - ज्योति मंच द्वारा स्थानीय न्यू इंदिरानगर, पार्ट-बी में संचालित जैन हैपी स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह श्री चान्दमल जैन की अध्यक्षता एवं श्री महावीरप्रसाद पहाड़िया के मुख्यातिथ्य में मनाया गया। इस अवसर पर ध्वजारोहण, पी.टी. का प्रदर्शन, श्रीमती इन्द्रा जैन एवं श्री संतोष जैन के निर्देशन में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। आभार श्री नरेशचंद जैन ने व्यक्त किया।
'सितम्बर 2007 जिनभाषित 29
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