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________________ समाचार आचार्य विद्यासागर जी महाराज कुण्डलपुर में महावीर जयंती एवं उपाध्याय श्री का 20वाँ विराजमान मुनिदीक्षादिवस समारोह सम्पन्न विश्ववंदनीय परमपूज्य संत आचार्य श्री विद्यासागर परम पूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज ससंघ सुप्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र/अतिशय क्षेत्र कुण्डल- जी महाराज के ससंघ मंगल सान्निध्य में मध्यप्रदेश की गिरी, कुण्डलपुर (म.प्र.) में विराजमान हैं। आचार्यश्री के | राजधानी भोपाल स्थित मंगलवारा दिगम्बर जैन मंदिर के सान्निध्य में ग्रन्थराज षटखण्डागम (धवला) भाग ४ की | विशाल प्रांगण में 31/3/2007 को भगवान् महावीर जन्म वाचना प्रारम्भ है। प्रति रविवार दोपहर ३ बजे से आचार्य श्री | जयंती समोराह एवं पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञान सागर जी महाराज विद्यासागर जी महाराज के मंगल प्रवचन हो रहे हैं। का 20वाँ मुनि दीक्षा दिवस हजारों जनसमुदाय की उपस्थिति कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष संतोष सिंघई, महामंत्री में मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि म.प्र. शासन के वीरेन्द्र बजाज ने श्रद्धालु भक्तगणों से कुण्डलपुर पधारकर मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान थे। बड़े बाबा एवं बाबा (आचार्यश्री) के दर्शनकर धर्मलाभ लेने ब्र. अनीता दीदी, प्रो. फूलचंद 'प्रेमी' वाराणसी, पं. की अपील की है। निर्मल जैन, सतना. डॉ. जयेन्द्र कीर्ति आदि वक्ताओं ने जयकुमार जैन जलज' भगवान् महावीर स्वामी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। हटा, जिला-दमोह (म.प्र.) उपा. श्री ने अपनी पीयूषवाणी में उपस्थित विशाल डॉ. श्रेयांस जैन बड़ौत सहजानंद वर्णी पुरस्कार से | जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि आत्मजयी पुरस्कृत महावीर के अहिंसा, अनेकांत, स्याद्वाद, अपरिग्रह जैसे सूत्र अहमदाबाद (गुजरात) में दि. 11.2.07 को डॉ. शेखर | आज भी प्रासंगिक हैं। भगवान् महावीर ने विश्व को जीने के जी जैन का अभिनंदन ग्रंथ समर्पण हुआ, इसी अवसर पर साथ मरण की कला सिखाई। अ.भा.दि. जैन शास्त्री परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष डॉ. श्रेयांस कृतियों का विमोचन कुमार जैन, बड़ौत को 'सहजानंद वर्णी पुरस्कार' जिसमें परमपूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय श्री 108 ज्ञान सागर प्रशस्ति पत्र, साल, श्रीफल व 1100/-की नकद राशि प्रदान जी महाराज के ससंघ मंगल सान्निध्य में भोपाल (म.प्र.) के की गयी। यह पुरस्कार श्री हुकमचंद जी पंचरत्न के सौजन्य मंगलवारा स्थित दिगम्बर जैन मंदिर के विशाल प्रांगण में से सहजानंद ट्रस्ट द्वारा दिया गया। 31.3.2007 को चार कृतियों को विमोचन किया गया। श्री दीवान जी 'सवाई सिघंई' एवं 'प्रतिष्ठारत्न' की कृतियों का विमोचन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय उपाधि से विभूषित श्री शिवराजसिंह चौहान एवं वित्त मंत्री श्री राघवजी भाई ने जैन जगत के ख्यातिलब्ध बहआयामी व्यक्तित्व के अपने करकमलों से किया। विमोचित पुस्तकें हैं सराक धनी वाणीभूषण प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री पवन कुमार जैन शास्त्री | सोपान (मासिक, संपादक श्री हंस कुमार जैन), ज्ञान महादधि 'दीवान' मरैना (म.प्र.) एवं उनके परिजनों की श्री शांतिनाथ (संपादक डॉ. शर्मा एवं नवनीत जैन), जिन ज्ञान (संपादक दि. जैन अतिशय क्षेत्र सेरोन जी (ललितपुर-उ.प्र.) में | डॉ. शर्मा एवं नवनीत जैन), सराक क्षेत्र: एक दृष्टि (पं. उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में सुनील 'संचय' नरवा), आओ महावीर बने (डॉ. मूलचंद पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं त्रय गजरथ महोत्सव में एक जैन) ये पुस्तकें आचार्य श्री शांति सागर छाणी स्मृति ग्रंथ गजरथ अपनी ओर से प्रवर्तन कराने पर 'सवाई सिंघई' की | माला बुढ़ाना एवं श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ से प्रकाशित हैं। उपाधि से दि. 14/2/07 को हजारों धर्मानुरागियों की उपस्थिति सुनील 'संचय' शास्त्री में विभूषित किया गया। पगड़ी अलंकरण श्री दीवान जी के देहली में जैन सिद्धान्त प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न पूज्य पिताजी श्री सिंघई बाबूलाल जी को हुआ। भारत की राजधानी देहली में प्रथम बार जैन सिद्धान्त भवदीय | प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। शिविर का आयोजन दि. सिंघई अरिहंत जैन, मोरेना | 18/3/07 से 1/4/07 तक वीर सेवा मंदिर, दरियागंज में अप्रैल 2007 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524316
Book TitleJinabhashita 2007 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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