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________________ कुण्डलपुर में दिगम्बरजैन साधु मनैला अन्ने-मारिया पोप टॉम्स रिवर, यू. एस. ए. वेव साइट- www.neo-hippy.com/jainmonks. html 2006 में यात्रा विवरण के सन्दर्भ में प्रकाशित लेखों की प्रतिस्पर्धा में भाग लेनेवाला लेख यह लेख दिगम्बर जैन मुनि संघ,' जो कुण्डलपुर। हमें बताया गया कि कुछ दिन पूर्व ही वहाँ से एक दिगम्बर के समारोह में उपस्थित था, उसके संबंध में है। मैंने अपने | साधु का प्रवास हुआ है। मैं दिगम्बर साधुओं के बारे में पति के साथ भारत में दिसम्बर, 2005 से मार्च, 2006 तक | पूर्णतः अनभिज्ञ थी, इसलिए उनके बारे में मैंने अपने पति चार माह भ्रमण किया। हमने कई स्थानों का भ्रमण किया, | से पूछा, जिन्होंने बताया कि ये साधु नग्न होते हैं। कुण्डलपुर उनमें से एक है। इस लेख का कथानक हमारे | मैंने पश्चिम के ऐसे समुद्र तटों के बारे में पढ़ा था कि उन अनुभवों से संबंधित है जो हमने जैन बंधुओं और | वहाँ पूर्ण नग्न रहा जा सकता है। लेकिन इसके अलावा दिगम्बर जैन साधुओं के बीच प्राप्त किए। अन्य स्थानों पर नग्न विचरण करना न केवल अनुपयुक्त है हमारे चार माह भारत प्रवास में, हम लोग खजुराहो | बल्कि कानून के विरुद्ध भी है। गए, जहाँ मंदिरों में कामोत्पादक दृश्य दिखाए गए हैं। वहाँ | | माइक और मैं, दोनों ही ऐसे नग्न जैन साधुओं के हमें बताया गया कि एक छोटे से गाँव कुण्डलपुर में दो बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक हो गए। अतः दिवसी समारोह का आयोजन है, जहाँ पचास जैन आर्यिकाओं | हमने होटल पहुँचकर यह पूछा कि हम कहाँ पर जाकर की दीक्षा होना प्रस्तावित है व सैकड़ों दिगम्बर जैन साधु दिगम्बर जैन साधुओं को देख सकते हैं। हमें बताया गया कि वहाँ इकट्ठे होंगे। हम लोग एक जैन परिवार के साथ उनकी | इसके बारे में पड़ोस के 'जैन होटल' के मालिक से मालूम कार से उस समारोह में सम्मिलित होने के लिए रवाना हुए। किया जा सकता है। वह परिवार अत्यंत सहृदय था और कुण्डलपुर में जो हमारा अनुभव रहा, उससे हमारे आत्मिक उनके पिता ने हमसे आग्रह किया कि हम उनके पुत्र और चिंतन में अत्यधिक उन्नति हुई और हमेशा के लिए भारतीय पुत्रवधू के साथ कुण्डलपुर उस उत्सव को देखने जाएँ। धर्मों के बारे में हमारे विचारों में आमूल परिवर्तन हुआ। हमने होटल में जाकर कई घण्टों तक विचार-विमर्श खजुराहो में वास्तव में, ऐसे मंदिर हैं जिन्हें कोई | किया। कुण्डलपुर की यात्रा में मात्र दो हजार रुपये यानी देखना न भूलेगा। मंदिर पूरे प्रांगण में फैले हुए हैं और सभी | पचास डालर का खर्च आएगा। यह खर्च कार-यात्रा के लिए मंदिरों को देखने के लिए या तो साइकिल या रिक्शा को | कोई अधिक नहीं था, बावजूद इसके कि कुछ परिवार किराए पर लेना आवश्यक है। आप घण्टों तक उन मंदिरों | पचास डालर में पूरे एक सप्ताह का कार्य चलाते हैं। में उत्कीर्ण कलाकृतियों को देखकर आनंद ले सकते हैं। ये | दूसरे दिन प्रातः हम लोग दो दिन के प्रवास के लिए कलाकृतियाँ मानव जीवन की प्रतिदिन की क्रियाओं का | उस जैन परिवार के पास पहुंच गए। जो यात्रा दो घण्टे की चित्रण दर्शाती हैं। लेकिन इन मंदिरों को विश्वख्याति प्राप्त | बताई गई थी, उसमें पाँच घण्टों का समय लग गया। सड़क है उन कामोत्पादक चित्रों के कारण जो उनमें उकेरे गए हैं। अत्यधिक जर्जरित थी, अत: ड्राइवर को बीस कि.मी. प्रति खजुराहो जाना यद्यपि महँगा होता है लेकिन फिर भी | घण्टे की रफ्तार से अधिकांश समय कार चलाना पड़ रही यह एक ऐसा स्थान है जो बार-बार देखा जा सकता है। थी। इस यात्रा में मुझे, उनके जैनधर्म के बारे में साथी दम्पति मंदिरों का अवलोकन और स्वादिष्ट भोजन के अतिरिक्त से पूछने का अवसर प्राप्त हुआ। भारतीय रीति-रिवाज और यहाँ अन्य कुछ भी देखने को नहीं है। कोई भी पर्यटक जो | भोजन बनाने आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त करने का थोड़े समय के लिए भारत प्रवास पर आता है, खजुराहो जैसे | अवसर प्राप्त हुआ। जैनियों के गुरु अधिक ज्ञानवान् होते हैं, शांत वातावरण की प्रशंसा करेगा। जो धर्म की शिक्षा देते हैं और किस प्रकार जीवन-यापन मंदिरों के समूह में एक दिगम्बर जैन मंदिर है, जहाँ | करना चाहिए, बताते हैं। ऐसे गुरु अत्यधिक सम्मानीय और 14 अप्रैल 2007 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524316
Book TitleJinabhashita 2007 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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