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________________ केसरियाजी का यह प्राचीन मन्दिर दिगम्बर जैनों ने । श्राविकारत्न श्रीमती गुणमाला देवी काला का ही बनाया था तथा उन्हीं की परम्परा की प्राचीन मूर्तियाँ इस स्वर्गवास मन्दिर में विराजमान हैं। अनेक साक्ष्य एवं शिलालेख इसके सुजानगढ़ (राजस्थान) निवासी दिगम्बर जैन मन्दिर होने की बात को प्रमाणित करते हैं। यह एवं कोलकाता प्रवासी एवं कोलकाता तथ्य कोर्ट के रिकॉर्डों एवं राजस्थान सरकार के दस्तावेजों से महानगर के कई व्यापारिक संस्थानों, प्रमाणित है। सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी 'श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा' महानगर एवं सुजानगढ़ (राज.) के कई राजस्थान सरकार से निवेदन करती है कि ऋषभदेवजी के चैरेटेबिल संस्थाओं के ट्रस्टी एवं प्रसिद्ध इन मंदिरजी को दिगम्बर जैनों को शीघ्र से शीघ्र सौंपा जाये। उद्योगपति श्री मदनलालजी काला की धर्मपती शनिवार निर्मल कुमार जैन सेठी दानशीला, मुनिभक्त एवं मूक समाजसेविका श्रीमती गुणमाला अध्यक्ष, नई दिल्ली देवी काला का स्वर्गवास गत १ जनवरी २००७ को मध्य श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार से सम्मानित रात्रि में महानगर में हो गया। वात्सल्यमूर्ति श्रीमती काला के पं. निहालचंद जैन निधन पर महानगर की कई सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं, जैनधर्म दर्शन के सप्रसिद्ध विद्वान एवं घर-घर चर्चा | तथा महानुभावों ने गहरा शोक प्रकट किया है। रहे धर्म की' के प्र. सम्पादक प्राचार्य पं. निहालचंद जैन देवेन्द्र कुमार जैन बीना (म.प्र.) को राष्ट्रीय स्तर का श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार अध्यक्ष, राजस्थान युवक संघ, कोलकाता २००६, जैनपत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए श्री जैनीलाल जी का देहावसान परम पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज के सान्निध्य __ श्री जैनीलाल जी का जन्म ११ में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव ललितपुर (उ.प्र.) फरवरी १९२२ को जगाधरी में हुआ। के शुभ अवसर पर १७ जनवरी २००७ को प्रदान किया पितामह ला. केवलराम पिता ला. उग्रसेन गया। तथा माता श्रीमती जानकी देवी जैन थीं। श्री गुलाबचंद जी गंगवाल का निधन शिक्षा उपरान्त वह पारिवारिक व्यापार में लगे और स्वस्तिका द्धि समाजसेवी एवं जैन समाज किशनगढ़ रेनवाल | मैटल वर्क्स, जगाधरी के नाम से धातु-बर्तन एवं शीट का के शिखर पुरुष श्री गुलाबचन्दजी गंगवाल का ८६ वर्ष की | बृहद् काम करते रहे। आयु में दिनांक ३०.१२.०६ को देहावसान हो गया। आपकी वह एक प्रसिद्ध समाजसेवी थे। सभी स्थानीय धार्मिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यों में प्रवृत्ति प्रशंसनीय | संस्थाओं, जैसे हिन्दू कन्या पाठशाला, हिन्दू गर्ल्स कॉलेज, थी। आप निरंतर स्वाध्यायरत रहते थे। गढ धार्मिक विषयों भगवान् महावीर दिगम्बर जैन गर्ल्स विद्यालय, गौशाला तथा पर भी आपका गहरा चिंतन एवं मनन था और किसी भी श्मशानघाट आदि अनेक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर रहकर जिज्ञासा का आप तत्काल समाधान करते थे। श्री दिगम्बर उनका कार्यभार सँभालते रहे। जैन औषधालय किशनगढ़ रेनवाल के तो आप मानो प्राण ही जैन-समाज में भी उनका योगदान निरन्तर रहा। श्री थे। आपके परिवारजनों द्वारा आपकी स्मृति स्वरूप तीन दिगम्बर जैन केन्द्रीय महासमिति के संस्थापक सदस्य तथा लाख रूपये की राशि दान में देने की घोषणा की जिसमें दो हरियाणा अंचल के अध्यक्ष एवं परामर्शदाता रहे। उन्होंने लाख रूपये तो श्री दिगम्बर जैन दातव्य औषधायल किशनगढ़ केन्द्रीय कार्यकारिणी के सक्रिय सदस्य रहकर अनेक वर्षों रेनवाल एवं एक लाख रूपये अन्य धार्मिक, सामाजिक, तक समिति के कार्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। . शैक्षणिक संस्थाओं को दान दिया जावेगा। जैन समाज सुशीला जैन किशनगढ़ रेनवाल में इतनी बड़ी राशि दान में देनेवाला यह १-जैन नगर, जगाधरी - १३५००३ पहला परिवार है। गुणसागर ठोलिया | विद्वत्परिषद् के चार मूर्धन्य विद्वानों को श्रद्धा सुमन मंत्री- श्री दिगम्बर जैन समाज किशनगढ़ रेनवाल | अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् के 30 फरवरी 2007 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524314
Book TitleJinabhashita 2007 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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