SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन विद्वत्परिषद्) की अध्यक्षता एवं प्रा. अरुण कुमार जैन । साधुओं की अहंपूर्ति के साधन हैं। अतः समाज में न उनकी (महामंत्री-शास्त्रिपरिषद्) एवं डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन (मंत्री- | कोई भूमिका है और न आगे होगी। उन्हें अपनी प्रतिष्ठा विद्वत्परिषद्) के कुशल संयोजकत्व में दि. 4 अक्टूबर | बनाये रखने के लिए अन्ततः इन्हीं दो परिषदों में विलीन 2006 को भव्य सभागार में सम्पन्न हुआ। होना होगा। मुनिश्री ने विद्वानों को आचारसंहिता के पालन इस अवसर पर आचार्य ज्ञान सागर वागर्थ विमर्श | पर बल दिया, जिस पर विद्वानों ने अपने सहमति व्यक्त की। केन्द्र, ब्यावर की ओर से प्रदत्त महाकवि आचार्य ज्ञानसागर अधिवेशन में सात प्रस्ताव पास किये गये, जिनमें पुरस्कार प्रो. प्रेम सुमन जैन, प्रो. फूलचन्द प्रेमी,डॉ.कपर चन्द | तीसरा प्रस्ताव इस प्रकार हैजैन, पं. लालचन्द जैन राकेश एवं डॉ. उपयचन्द जैन को प्रदान प्रस्ताव क्र. ३-सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में नवीन मन्दिर किये गये। इन पुरस्कारों में से प्रथम दो के पुण्यार्जक श्री का निर्माण ज्ञानेन्द्र गदिया (श्री नाथूलाल राजेन्द्र कुमार जैन चेरिटेबल अ.भा.दि. जैन शास्त्रिपरषिद् एवं अ.भा.दि. जैन ट्रस्ट, सूरत) एवं शेष तीन के पुण्यार्जक श्री अशोक पाटनी | विद्वत्पषिद् का संयुक्त अधिवेशन यह प्रस्ताव करता है कि (आर.के. मार्बल्स) थे। पुरस्कारों की इसी श्रृंखला में | | सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर (दमोह) के कुछ समाजविरोधी लोगों विद्वत्परिषद् के द्वारा प्रदत्त वर्ष 2005 एवं 2006 के पूज्य | ने नवीन मन्दिर के निर्माण में अनेक अवरोध उपस्थित किए क्षुल्लक श्री गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति पुरस्कार डॉ. रमेशचन्द | | हैं, जो समाज, धर्म और संस्कृति के हित में नहीं हैं। समस्त जैन को जैन धर्म की मौलिक विशेषाताएँ कृति के लिए एवं | विद्वान् समाज के सभी वर्गों से पुरजोर अपील करते हैं कि डॉ. जयकुमार जैन को पार्श्वनाथचरित के हिन्दी अनुवाद के | देवाधिदेव भगवान ऋषभदेव की मूर्ति, जो बड़े बाबा के लिए तथा गुरुवर्य पं. गोपाल दास वरैया स्मृति पुरस्कार जैन | नाम से प्रख्यात है तथा नवमन्दिर में उच्चासन पर विराजमान धर्म की प्रभावना के लिए डॉ. कमलेश कुमार जैन एवं डॉ. | है, वहाँ भव्य मन्दिर का निर्माण हो और समस्त अवरोध दूर ' कस्तूरचन्द जैन सुमन को प्रदान किये गये। करने का प्रयास कर मैत्रीभाव का विकास हो। इस अवसर पर परमपूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन जी महाराज की डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन (बुरहानपुर) द्वारा मंत्री- अ.भा.दि.जैन विद्वत्परिषद संपादित तीन प्रवचन कृतियों दस धर्म सुधा, वसुधा, अध्यात्म अभिनव कृति का विमोचन समारोह संपन्न सुधा मैं कौन हूँ?, जैन धर्म दर्शन (डॉ. रमेशचन्द जैन), जैन राष्ट्र संत आ. श्री विद्यासागर मुनि महाराज की जिनधर्म दर्शन में में अनेकान्तवाद एक परिशीलन (डॉ. अशोक कुमार प्रभाविका विदुषी शिष्या आर्यिका रत्न मृदुमति माताजी द्वारा जैन), आचार्य ज्ञानसागर संस्कृत हिन्दी कोश (डॉ. उदयचन्द लिखित पुस्तिका 'पुरुदेव स्तवन' के विमोचन समारोह जैन), वीरोदय महाकाव्य और भगवान् महावीर के जीवन अमरकंटक सहित अशोकनगर, सागर, कटंगी जबलपुर, चरित का समीक्षात्मक अध्ययन (डॉ.कामनी जैन), ज्योतिष बण्डा, दमोह, बरगी, पनागर, गोटेगाँव, गढ़ाकोटा, रहली, विज्ञान (पं. सनत कुमार विनोद कुमार जैन), जयोदय भोपाल, पथरिया, सिगरामपुर, शाहपुर, जबेरा, कुण्डलपुर, महाकाव्य का दार्शनिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन (डॉ. रेखा ललितपुर, और इंदौर में भारी उत्साह के साथ संपन्न किये रानी), एवं पार्श्वज्योति मासिक पत्रिका के मुनिपुंगव श्री गये, जिनमें अनेक स्थानों पर प्रवचन प्रवीण विदुषी बहिन सुधासागर विशेषांक आदि अनेक कृतियों का विमोचन किया ब्र. पुष्पा दीदीजी ने उपस्थित होकर पुस्तक एवं समारोह के गया। पुण्यार्जकों की ओर से लगभग 4 लाख रुपये का औचित्य पर प्रकाश डाला एवं पुस्तक में वर्णित कुण्डलपुर साहित्य विद्वानों एवं समाज को वितरित किया गया। स्थित बड़े बाबा एवं छोटे बाबा की युग प्रवर्तक घटना का अधिवेशन में समागत विद्वानों को शुभाशीर्वाद देते सुन्दर विवरण प्रस्तुत किया। पुस्तक की लोकप्रियता देखते हुए प.पू. मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने कहा कि हुए बड़े बाबा के भक्तों ने पुस्तक की प्रमुख सामग्री का विद्वान् अपने ज्ञान के साथ-साथ चारित्र का परिष्कार करें। संगीत बद्ध सस्वर संयोजन सी.डी. और कैसिट में किया। उन्होंने कहा कि दिगम्बर जैन विद्वानों की जैन समाज में दो फलतः उक्त समस्त स्थानों पर सी.डी. और कैसिट का ही परिषदें मान्य हैं - एक शास्त्रिपरिषद् और दूसरी | लोकार्पण का सिलसिला भी चला। विद्वत्परिषद्। शेष जो भी विद्वानों के नाम पर समिति, संघ, महासंघ, परिषदें, सभा आदि बने हैं, वे व्यक्तिनिष्ठा एवं कुछ सुरेश जैन सरल, 293, गढ़ाफाटक, जबलपुर 32 नवम्बर 2006 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524311
Book TitleJinabhashita 2006 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy