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________________ गुजरात सरकार प्रमाणिकता और इतिहास के संदर्भो सहित । अक्षुण्ण बनाये रखने का संवैधानिक अधिकार संविधान कर्णधारों अपने प्रस्तुत विधेयक पर पुनः विचार करे और समाज में फैले हुए द्वारा संविधान में निहित किया है। उसके स्पष्ट निर्देश राज्य आपसी हितों के इस टकराव की रोकथाम के लिए इसे अविलम्ब | साकारों को दिये जाए जैन साटाय कोलीय नाश वापिस ले एवं राष्ट्र के सामने आदर्श रखे। अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया जाए। ताकि, भारतीय गणतंत्र "अहिंसा परमो धर्मः"के अनुयायी शांतिप्रिय जैन समदाय | की संवैधानिकता पर उठ रहे अविश्वास को विराम मिल सके, को देश में गौरव और प्रतिष्ठा के साथ अपने धार्मिक अस्तित्व एवं | जो राष्ट्र हित और देश की अखण्डता के लिए सर्वोपरि है। धर्मस्थलों का सम्मानपूर्वक एवं उपासाना स्थलों को श्रद्धापूर्वक ई-ब्लॉक, पुराना सचिवालय, भोपाल अब मिलायें सेहत की भी कुण्डली डॉ. ज्योति जैन जैसे-जैसे स्वास्थ्यविज्ञान-सम्बन्धी अनुसंधान हो रहे । ज्योतिषशास्त्र का वैज्ञानिक अध्ययन एवं मानव जीवन पर उसके हैं. वैसे-वैसे अनेक संक्रामक एवं वंशानुगत बीमारियों का पता | सम्पर्ण प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। यद्यपि भारतीय चलता जा रहा है। पहले कुछ बीमारियों से लोग अनजान थे | सिद्धान्तानुसार तो शुभ- अशुभ कर्म के उदयानुसार व्यक्ति शुभ और बीमार होन पर सोचते थे कि कैसे हो गयी, पर अब तो | अशभ फल भोगता है। विभिन्न जाँचों और उनके नतीजों से यह बात स्पष्ट हो गयी है । बढ़ते हुए संक्रामक रोगों एवं वंशानुगत रोगों के कारण कि बच्चों में स्वास्थ्यसम्बन्धी अनेक समस्याएँ उनके माँ-बाप से | विशेषज्ञों का कहना है कि शादी से पहले जन्मपत्री के मिलान ही मिल रही है। के साथ-साथ यदि स्वास्थ्यसम्बन्धी कुंडली (हेल्थ कुंडली) आज दुनियाँ में सबसे भयानक कहे जाने वाले 'एड्स' का भी मिलान कर लिया जाये, तो बहुत से बच्चे बीमारी से रोग से ग्रसित माँ-बाप के बच्चे एच.आई.बी. पीड़ित पैदा हो रहे | मक्ति पा सकते हैं. साथ ही पैदा होगी एक स्वस्थ जेनरेशन और हैं और भी अनेक वंशानुगत एवं संक्रामक बीमारियाँ बच्चों में | सम्पूर्ण परिवार को मिलेगा स्वास्थ्य-सुख। शादी करने से पूर्व आती जा रही हैं। अस्पतालों में अनेक दम्पति ऐसे मिलते हैं, जो | लडके-लडकी के मात्र चार पाँच टेस्ट करवाने से ही भविष्य में कहते हैं 'काश डाक्टर साव ! हम लोगों ने अपनी बीमारी | होनेवाली अनेक पेरशानियों से बचा जा सकता है जैसे एचआईवीपहले बता दी होती या पता चल गया होता, तो शायद बच्चे का | टेस्ट, थैलेसीमिया, ब्लडपिंग आदि। इन टेस्टों से एक तो गर्भ में ही इलाज हो जाता या बच्चा, कम से कम उस बीमारी से उन्हें अपनी बीमारी या उसके लक्षणों का पता चल जायेगा, तो बच जाता।' दूसरे आने वाले बच्चे को भी बीमारी से दूर रख पायेंगे, संक्रमण शादी-विवाह से पहले जन्मपत्री एवं गुणों के मिलान | का भी खतरा नहीं रहेगा। करने की परम्परा हमारे समाज में प्रचलित है। बच्चे के जन्म के आज अधिकांश लोग शिक्षित हैं, बच्चे शिक्षित हैं, तब समय ही उसकी जन्मपत्री बनवा दी जाती है और बड़े होने पर | इस तरह के टेस्ट करवाने में किसी भी तरह की कोई परेशानी लड़का-लड़की की जन्मपत्री के मिलान के आधार पर ही या झिझक नहीं होना चाहिये। 'हेल्थ कुंडली' के मिलाने से विवाह करते हैं। विभिन्न ग्रहों की स्थिति, उनकी अनुकूलता- बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है। आज जब हमारे प्रतिकूलता, शान्ति-अशान्ति, नक्षत्रों की स्थिति आदि को ध्यान | पास साधन हैं, तो क्यों न हम उनका उपयोग करें। अस्पतालों में रखकर मिलान होता है। में आये दिन बच्चों को अनेक संक्रामक बीमारियों एवं वंशानुगत कथा-ग्रन्थों में भी ज्योतिषज्ञान को पर्याप्त महत्त्व दिया | बीमारियों से जझते हए देखते हैं। अनेक भंयकर बीमारियाँ, जो गया है। स्वप्न के अच्छे-बुरे फल, शकुन-अपशकुन का विचार, | लाइलाज हैं, ऐसे बच्चों को तिल-तिल कर मरते हए भी देखना शरीर के लक्षण, पक्षी-जानवरों की आवाज के शुभ-अशुभ | पड़ता है। अनेक दम्पति संतान की आशा में अनेक वर्ष निकाल विचार, अवधिज्ञानी गुरु आदि की चकित करनेवाली घटनाओं | देते हैं। हेल्थ कुण्डली' मिलाने से इन सबसे बचा जा सकता को शास्त्रों में पढ़ते आये हैं। आज भी शनिग्रह को दुख-सूचक, | है। अत: शादी होनेवाले लडके-लडकी की 'हेल्थ कंडली' शुक्र ग्रह को भोग सूचक, गुरु को ज्ञानसूचक, बुद्ध को बुद्धिसूचक, | सम्भव हो तो अवश्य मिलायें। मंगल को शक्ति सूचक, सूर्य को तेजसूचक, चन्द्रमा को शान्ति पोस्ट बाक्स नं. 20 सूचक, राहू-केतू को बाधासूचक माना जाता है। वर्तमान में खतौली - 251 201(उ.प्र.) नवम्बर 2006 जिनभाषित 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524311
Book TitleJinabhashita 2006 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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