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________________ मलेरिया बुखार डॉ. रेखा जैन, एम. डी. जून एवं जुलाई माह में जो बीमारी अक्सर आती है,। प्लोजमोडियम कीटाणु की रिंग स्टेज या गेमीटो साइड वह है मलेरिया। इतनी भीषण गर्मी में जब बच्चे व परिवार | {P.V.R., PER./P.V.G./PE.G) में माइक्रोस्कोप से दिख के व्यक्ति अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं वहां व्यवस्था न| जाते हैं। सामान्य से ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में एम. पी. पाजीटिव होने पर मच्छर व गंदगी का सामना करना पड़ता है वहां या निगेटिव पाया जाता है। यदि पाजीटिव पाया जाता है तो व्यवस्था न होने पर मच्छर व गंदगी का सामना करना पडता| शरीर में मलेरिया है। लेकिन आज कल देखने में आता है है उस दौरान हमें मलेरिया बुखार हो जाता है। थोड़ी सी | कि एक बार की ब्लड टेस्ट में मलेरिया पाजीटिव ही आवें। लापरवाही भी कभी कभी परेशानी का सबब बन जाती है। इसके अलावा हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है एवं W.B.C जैसे मच्छरदानी न लगाना, घरों में साफ सफाई न रखना Count बढ़ जाता है। मलेरिया में तिल्ली {Spleen) की साइज लेकिन अपना घर साफ कर पडोसी के घर सामने व सरकारी बढ़ जाती है। शरीर में खून की कमी हो जाती है {Pallor | सड़क पर कचरा डालना। ये ही मुख्तया मलेरिया होने का | व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है, क्योंकि शरीर में ग्लूकोस की कारण होता है। भी कमी हो जाती है या पैरासाइट मस्तिष्क में पहुँच जाता है, मलेरिया कैसे होता है - सामान्यतया मलेरिया | और इसी कारण से झटके आने लगते हैं। इस बुखार की प्लोजमोडियम कीटाणु के द्वारा होता है जिसकी चार जातियाँ | | तीन अवस्थाएँ होती हैं। पहली शीतल अवस्था Cold Stagel होती है। लेकिन भारत में मुख्तयाः दो जातियाँ ही पाई जाती दूसरी अवस्था गरम अवस्था [Hot Stage] तीसरी अवस्था हैं। बाईवेक्स ओर फैल्सीफेरम। यह कीटाणु अपनी लाइफ पसीने की अवस्था [Sweating Stage] कहलाती है। आमतौर साईकिल (Part of the Cycle) का एक हिस्सा मादा पर ऐलोपैथी में सबसे पहले बुखार कम करने के लिए ऐनाफिलीज मच्छर के अंदर करता है, और साईकिल का | पैरासीटामाल और मलेरिया के लिए क्लोरोक्विन, कुनैन, हिस्सा मनुष्य के अंदर पूर्ण करता है, उसी पीरियड में | रेजिज, मैफलोक्विन, फैल्सीगो, या अल्फा, बीटा, आरटी, मनुष्य को मलेरिया का बुखार आता है। इस लाइफ | ईथर उपयोग में लाई जाती है। इन दवाओं के उपयोग से साइकिल/चक्र को पूर्ण करने में प्लोजमोडियम कीटाणु को | ज्यादातर उल्टियों की इच्छा बढ़ जाती है, मुँह में कड़वापन करीब 8 से 10 दिन लग जाते हैं। इसलिए मलेरिया मच्छर | आता है, चक्कर आते हैं, और पेट में जलन होती है। अतः के काटने के दस दिन बाद होता है और मलेरिया यदि | ये दवाइयाँ कभी खालीपेट नहीं दी जाती हैं और हमेशा इन Infected (संक्रमित) मच्छर ने काटा हो, तो होता है। यदि दवाईयों के साथ एक्टा सिड एवं एसीलांक जैसी दवाईयाँ भी सामान्य मच्छर ने काटा हो तो मलेरिया नहीं होता है। लेकिन | दी जाती हैं। ग्लुकोस भी दिया जाता है। इसकी पहचान कर पाना आम व्यक्ति के लिए संभव नहीं है लेकिन ऐलोपैथी चिकित्सा में खाने पीने का परहेज कि जो वातावरण में मच्छर है वे इंफैक्टेड् Infected है या | नहीं होता है, जिससे रिकवरी जल्दी नहीं होती है और पूर्ण नहीं। प्लोजमोडियम कीटाणु मादा मच्छर के अंदर ही अपना | रूप से आराम नहीं होता है। रोग जड़ से नहीं जाता जो कि जीवनचक्र पूर्ण करता है नर मच्छर के अंदर नहीं। इसलिए | समय पाकर फिर प्रगट हो जाता है। यदि हम इसके साथ मलेरिया मादा मच्छर के काटने पर होता है। नर मच्छर तो | आहार एवं प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेते है तो बहुत केवल फूलों का रस लेता है। हमारी आम धारणा होती है | जल्दी एवं स्थाई आराम मिल जाता है। कि मच्छर ने काटा और मलेरिया हुआ, जो सही नहीं है। । प्राकृतिक उपचार - मलेरिया में जब बुखार आया मलेरिया के लक्षण - मलेरिया में सामान्यतयाः ठंड हो, तब मरीज के माथे पर पानी की पट्टी रखकर बुखार देकर बुखार आता है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है। कभी- | उतर जाने का इंतजार करना चाहिए। जैसे ही बुखार उतरता । कभी सिरदर्द, शरीर दर्द, पेट दर्द, या जी मचलाने के साथ | है, सबसे पहले गरम पानी में नीबू के रस का एनिमा देना भी होता है। फैल्सीफेरम मलेरिया में झटके (Convulsion) | चाहिए। इसके बाद कमर पानी पट्टी का भी इस्तेमाल एवं खून की कमी के साथ विशेष रूप से देखने मिलता है।| करना चाहिए। परन्तु मलेरिया के रोगी को पेडू पर कभी पैथालाजी जाँच में ब्लड के पैरीफैरल् स्मीयर में | मिट्टी वाली पुल्टिस नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि मलेरिया सितम्बर 2006 जिनभाषित 29 - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524309
Book TitleJinabhashita 2006 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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