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कुंडलपुर-स्पष्टीकरण
- पं. मूलचंद लुहाड़िया 30 मार्च के 'जैन गजट' में स्वतन्त्र विचारक श्री | के झटकों के कारण दरारें उत्पन्न हो गई थी और बड़े बाबा श्रीकांत चवरे, उन्हास नगर का एक प्रश्नपरक पत्र "कुंडलपुर की मूर्ति 3 इंच एक ओर नीचे झुक गई थी। मूर्ति की सुरक्षा में जो हुआ क्या यह उचित है" प्रकाशित हुआ। जैनधर्म के लिए बाहर निकाले जाने पर दीवार और छत को तोड़ा
और जैन धर्मायतनों पर दूरगामी प्रभाव डालनेवाली घटनाओं जाना अनिवार्य था और संभवत: मंदिर की शेष रही दीवारें पर खुली निष्पक्ष चर्चा के अभाव में सामूहिक नीति निर्धारित दरारें बढ़ जाने से गिर गईं। श्रद्धालुओं को किसी भी स्थिति नहीं हो पाती और मत विभिन्नताएँ जन्म लेकर समाज को | में मूर्ति की सुरक्षा करनी थी और वह की गई। कमजोर बना देती हैं।
____3. आप किन दिगम्बर जैन आचार्य के बारे में कह श्री चवरे जी ने चर्चा के द्वार खोले हैं। यह स्वागत रहे हैं, स्पष्ट करना चाहिए। मूर्ति की सुरक्षा करने के लिए योग्य पहल है। वस्तुस्थिति की पूरी जानकारी के अभाव में दीवार तोड़कर मूर्ति को बाहर निकालने के लिए छेनी तो प्रायः हमारे मन में अनेक गलतफहमियाँ घर कर लेने की चलानी ही पड़ेगी। पर यह छेनी सुरक्षा के लिए चलाई गई संभावना बनी रहती है। इसके अतिरिक्त सही जानकारी के श्रद्धालुओं की छेनी है। आतंकवादियों की क्षति पहुचाने के बाद भी कभी कभी पक्षपात का भूत हमें अपनी पूर्व मिथ्या | लिए चलाई गई छेनी नहीं है। आपरेशन के लिए डाक्टर धारणाओं से मुक्त नहीं होने देता। तथापि यदि हम अपनी | | द्वारा छुरी का प्रयोग डाकू द्वारा लूटने मारने के लिए किए गए शंकाओं को नि:संकोच सार्वजनिक रूप से प्रकट करें और | छुरी के प्रयोग, का अंतर जान लीजिए। समाधान आमंत्रित कर उस पर विचार करने की परंपरा 4. मेरे विचार से कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी ने यह डाल सकें, तो हम अपने अस्तित्व के लिए आवश्यक | कभी नहीं कहा कि नए मंदिर में नई मूर्ति विराजमान होगी संगठन को बनाए रख सकेंगे। आइए हम चवरे जी के प्रश्नों | और बड़े बाबा की मूर्ति यथास्थान बनी रहेगी। ऐसे निराधार पर नीचे विचार करें
भ्रमपूर्ण समाचार प्रचारित नहीं किए जाने चाहिए। यह तो ___1. साधारणतया व्यक्तिगत स्वार्थपूर्ति की दृष्टि से | सर्वविदित है कि नए भूकंपरोधी मंदिर का निर्माण भूगर्भवेत्ता प्रमादवश राजाज्ञा का उल्लंघन करने की प्रेरणा वीतराग जैन | विशेषज्ञों की राय के अनुसार केवल बड़े बाबा की मूर्ति की आचार्य नहीं देते हैं। किंतु यदि सर्वथा अनुचित आधारों पर सुरक्षा के लिए ही प्रारंभ किया गया था। यदि बड़े बाबा की हमारे देवशास्त्र गुरु एवं तीर्थों पर असुरक्षा अथवा अतिक्रमण मूर्ति को पुराने स्थान पर रखा जाना उचित समझा जाता तो हो रहा हो अथवा धर्माचरण की पालना में बाधा उत्पन्न की | नए मंदिर के निर्माण का कोई औचित्य ही नहीं था। जा रही हो, तो ऐसी राजाज्ञा के विरोध में धर्म की रक्षा के 5. भाई चवरे जी की यह शंका वस्तुस्थिति की लिए अहिंसक आंदोलन का उपदेश आचार्य महोदय दे ही | जानकारी नहीं रहने से उत्पन्न हुई है। वस्तुत: बड़े बाबा की सकते हैं। प.पू. आचार्य शांतिसागर महाराज ने हरिजन- | मूर्ति और मंदिर राष्ट्रीय स्मारक के रूप में केन्द्रीय पुरातत्त्व मंदिरप्रवेश-बिल के विरोध में अनशन-आंदोलन चलाया के संरक्षण में कभी घोषित नहीं किए गए। आज तक पुरातत्त्व था। कुछ स्थानों पर दिगम्बर साधुओं के विहार के निषेध के विभाग ने सुरक्षा या देख-रेख के नाम पर एक पैसा भी खर्च विरोध में स्वयं विहार करके मार्ग खोला था।
नहीं किया। प्रारंभ से ही कुंडलपुर के मंदिरों, मूर्तियों की 2. मंदिर के जीर्ण होने और उसके गिरने के बारे में | सुरक्षा दि. जैन समाज द्वारा गठित कमेटी करती आई है। शंका करने से पूर्व यदि आपने स्वयं क्षेत्र का निरीक्षण किया बड़े बाबा के मंदिर के जीर्ण शिखर का जीर्णोद्धार श्री साहू होता, तो अच्छा होता। मंदिर के जीर्ण होने की बात केवल शांतिप्रसाद जी ने कराया था। अभी भी मूर्ति की सुरक्षा के अपने द्वारा ही नहीं कही जा रही है, अपितु स्वयं पुरातत्त्व लिए ही समाज के द्वारा नवीन विशाल भूकंपरोधी मंदिर का विभाग के अधिकारियों द्वारा अपनी निरीक्षणटिप्पणी में लिखा निर्माण कराकर उसमें मूर्ति को सुरक्षित स्थापित किया गया है कि मंदिर 80 प्रतिशत जीर्ण-शीर्ण हो रहा है। क्या मोटी | | है। यह पुरातत्त्व के नियमों के अंतर्गत है। नियमों के विपरीत दीवारें जीर्ण नहीं होती? दीवारों में अनेक स्थानों पर भूकंप कार्य नहीं किया गया है। किसी विधर्मी द्वारा द्वेषवश क्षेत्र को
- अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित /7
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