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________________ एवं प्रतिदिन सुबह से व्हीट ग्रास का जूस पिलाकर बच्चों को गीले पानी की टाबिल सिर पर रखकर वाकिंग कराई जाती थी एवं सन-बाथ कराया जाता था। बाद में बच्चों को अंकुरित अनाज एवं ड्रायफ्रूट दिया जाता था। बाद में बच्चों को उनकी शारीरिक स्थिति के अनुसार प्राकृतिक चिकित्सा का उपचार जिसमें स्टीम बाथ, लोकल स्टीम, मालिश, कटिस्नान, रीढ़स्नान, घर्षणस्नान, पेट-पीठ की पटटी, व्हीट ग्रास, लेमन का एनिमा इत्यादि अनेकों उपचार दिन में करीब ५-६ दिये जाते थे। बच्चों के फेफड़ों को एक्सरसाइज के लिए फिलोमीटर से प्रतिदिन दिन में करीब ५०-६० बार एक्सरसाइज कराई जाती थी। बच्चों के अनुकूल खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए उनसे बच्चों जैसा व्यवहार करने के लिए गेम्स खिलाए गये। बच्चों को १० दिनों में पौष्टिक, एवं स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराया गया। बच्चों के अधिकांशतः लीवर, स्पलीन, पेनिक्रियाज, एवं पेट पर अधिक उपचार दिया गया। बच्चों की लगभग प्रतिदिन मालिश एवं घर्षण स्नान किया गया, जिसका नतीजा यह रहा कि सभी बच्चों के हीमोग्लोबिन में वृद्धि हुई । कुछ बच्चों का हीमोग्लोबिन स्टेबिल रहा। एक विशेष बात । थैलेसीमिया के जिले में संभवतः 22-24 मरीज है। लेकिन इनमें से अधिकांश गाँव में हैं और मध्यमवर्गीय हैं। इन बच्चों के लिए सरकार की ओर से मात्र बी. टी. के अलावा अन्य कोई सहयोग नहीं है। जैसे बच्चों को यदि प्राकृतिक चिकित्सालय में इलाज दिया जाये, तो 3000/- प्रतिमाह खर्च आयेगा। दो-तीन बच्चों को छोड़कर बाकी बच्चों की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। यदि सरकार या एन. जी. ओ. संस्था या दानदाता इस ओर अपना ध्यान देवें, तो बच्चों का विकास किया जा सकता है। भाग्योदय तीर्थ में इन्हें लगातार उपचार दिया जायेगा, तो इन्हें काफी लाभ मिल सकता है। म. प्र. सरकार ने अभी तक प्राकृतिक चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया। अभी दिनांक 13/ 5/06 को भोपाल में म. प्र. प्राकृतिक चिकित्सा एसोसियेशन ग्रुप माननीय स्वास्थ्यमंत्री श्री अजय विशनोई जी से मिला । उन्होंने आश्वासन तो दिया, लेकिन कार्यरूप परिणत कब होगा कह नहीं सकते। सागर में 50 बिस्तरों का प्राकृतिक चिकित्सालय है। हमारे जिले के कलेक्टर एवं सी. एम. ओ. श्री वी. के. मिश्रा जी कोई सहयोग राशि देकर इन बच्चों को और प्राकृतिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा सकते हैं या माननीय सांसद जी, माननीय विधायक गण व अन्य 46 / अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित Jain Education International | राजनैतिक व औद्योगिक हस्तियाँ भी अपना सहयोग प्रदान कर इन बच्चों को जीवनदान जैसा बड़ा दान दे सकते हैं। डॉ. रेखा जैन भाग्योदय तीर्थ प्राकृतिक चिकित्यालय' खुरई रोड, सागर - 470001 (म.प्र.) गृहणीरत्न पुष्पा जैन 'सरल' का वियोग जबलपुर निवासी श्रेष्ठ गृहणी श्रीमती पुष्पा जैन 'सरल' का आकस्मिक निधन 02-06-2006 को हृदयाघात से हो गया है, वे अपने धार्मिक आचार-विचार, गृह-संचालन की दक्षता एवं पारिवारिक मृदुव्यवहार के कारण समस्त रिश्तेदारों और परिचितों में गृहिणीरत्न के रूप में विख्यात, मिष्ट एवं शिष्ट वार्ता की धनी पुष्पा जी देश के विख्यात संत-चरित्रलेखक श्री सुरेश जैन 'सरल' की धर्मपत्नी थीं। 10 वर्षों से सरल जी के साथ देश के अनेक महान साधु-संतों, आचार्यों और आर्यिका माताओं के आशीष और वात्सल्य से अभिभूत थीं । भारत भूषण जैन - द्वारा श्री सुरेश जैन 'सरल' 293, सरल कुटी, गढ़ाफाटक, जबलपुर श्रीमती मदनमंजरीदेवी वर्धमान शास्त्री का स्वर्गवास सोलापुर : जैनागम के प्रख्यात विद्वान् व्याख्यानकेसरी विद्यावाचस्पति तथा अनेक जैनपत्रों के संपादक, संशोधक स्व. पं. वर्धमान शास्त्री, सोलापुर की धर्मपत्नी श्रीमती मदनमंजरीदेवी का स्वर्गवास दि. 20/05/2006 को वृद्धाप्य के कारण हो गया है। प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र दक्षिण जैन काशी मूडबद्री (कर्नाटक) इनका जन्मस्थल है। उन्होंने अपने जीवन को विविध तीर्थक्षेत्रों के विकासार्थ प्रदत्त दान, भारत के अधिकाधिक क्षेत्रों का दर्शन, विविध व्रताराधना, त्यागी सेवा इत्यादि कार्यों से सफल किया था । प्रा. सौ. सुजाता शास्त्री, सोलापुर. श्री दौलतराम जैन तिजारिया के देवलोक गमन परममुनिभक्त एवं समाज सेवी श्री दौलतराम जैन, तिजारिया का दिनांक 28 मई 2006 रविवार को जयपुर में णमोकारमंत्र का जाप करते हुए देहवसान हो गया। आप For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524306
Book TitleJinabhashita 2006 04 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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