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________________ अपने-अपने विवेक और श्रद्धा के अनुसार पूजापद्धतियों को | निर्माण का कार्य अपनी गति से चल रहा है। मध्यप्रदेश के अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं। तथापि हमारे देव-गुरु की | माननीय मुख्यमंत्री सहित अनेक अधिकारियों ने एवं समाज वीतरागता एवं दिगम्बरत्व अक्षुण्ण रहना चाहिए। उसके | के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने समय-समय पर मंदिर निर्माण का लिए भी श्रावकों में शास्त्राध्ययन की प्रवृत्ति बढ़ाने पर बल | निरीक्षण कर प्रसन्नता व्यक्त की। दिया जाना चाहिए। माननीय चवरे जी! यह देखकर अत्यंत पीड़ा होती 12. दि. जैन आचार्यों, मुनिमहाराजों, विद्वानों एवं | है कि आप जैसे प्रबुद्ध विचारक भी नवीन मंदिरनिर्माण की प्रबुद्ध श्रावकजनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पंथभेद | इस प्रभावक घटना को पंथभेद का जामा पहनाकर समाज के आधार पर समाज में फूट का बीजारोपण न हो। को गुमराह करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं! मैं चुनौती पूर्वक 13. माननीय चवरे जी! कपया इतिहास एवं आगम | यह बात कहना चाहता हूँ कि प. पू. आचार्य विद्यासागर के आलोक में पहले यह निर्णय किया जाना चाहिए कि मूल | महाराज ने आज तक कभी भी अपने प्रवचनों, चर्चाओं आम्नाय क्या है और उस पर कौन प्रहार कर रहे हैं? सामाजिक | अथवा क्रियाओं में पंथभेद का समर्थन नहीं किया। ये पंथभेद सौहार्द, वात्सल्य एवं संगठन के वातावरण में इन बातों पर से ऊपर उठकर आगमपंथ के आलोक में जैनधर्म की सच्ची समताभाव से विचारविमर्श किया जा सकता है। प्रभावना करने वाले युगप्रवर्तक आचार्य हैं। उनकी आपकी यह राय पूर्णत: सही है कि नए मंदिर के आगमानुकूल चर्या और आगमानुकूल वाणी का ही यह निर्माण की अपेक्षा पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना | चमत्कार है कि इस उपभोक्तावादी भौतिक युग में उच्च श्रेष्ठ है। किंतु कुंडलपुर के बड़े बाबा के मंदिर की स्थिति | लौकिक शिक्षा प्राप्त युवक-युवतियों ने पूज्य आचार्यश्री से सर्वथा भिन्न थी। उसके जीर्णोद्धार एवं विस्तार की अनेक | प्रभावित हो, बड़ी संख्या में संयम के सर्वोच्च पद को धारण योजनाएँ बनीं, किंतु सभी असंभव एवं अव्यवहार्य सिद्ध | किया है। आज आचार्यश्री के प्रति तेरा-बीस, दोनों पंथों के हुईं। सन् 1998 के लगभग तो भूगर्भवेत्ताओं की राय में वह | अनुयायियों की श्रद्धा केन्द्रित है। आचार्यश्री का कहना है बड़े बाबा के मंदिर के आस पास का पहाड़ी क्षेत्र भूकंप | कि पंथ में धर्म नहीं और धर्म में पंथ नहीं। प्रभावित बताया गया। अनेक भूगर्भवेत्ताओं ने लिखित राय पू. आचार्य श्री का यह निर्देश है कि हम अपने दी कि इस मंदिर के बड़े बाबा की मूर्ति असुरक्षित है और | तीर्थक्षेत्रों को पंथभेद की संकीर्णता से मुक्त रखते हुए दिगम्बर कभी भी उसे क्षति पहुँच सकती है। लंबे विचारविमर्श एवं | जैन तीर्थक्षेत्र बने रहने देवें। हमारा कुंडलपुर तीर्थक्षेत्र भी विशेषज्ञों की राय के आधार पर भूकंपरोधी विशाल मंदिर | एक दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र है। चवरे जी! तीर्थक्षेत्र पर कृपा के निर्माण का निर्णय लिया गया, जिसकी अनुमोदना दि. | कीजिए, बड़े बाबा पर कृपा कीजिए। अब तक इस तीर्थ पर जैन समाज के लक्षाधिक समुदाय की उपस्थिति में | पंथभेद के विवाद का प्रवेश नहीं हुआ है, आगे भी मत होने जनसमुदाय द्वारा, भा. दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा एवं अ. | दीजिए। भा. दि. जैन विद्वत् परिषद् द्वारा फरवरी, 2001 में मदनगंज-किशनगढ़ (राजस्थान) पंचकल्याणक के अवसर पर की गई। तब से निरंतर मंदिर बोहरीबंद में श्री महावीर जयंती एवं कलश स्थापना समारोह सम्पन्न श्री दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र बहोरीबंद जिला कटनी में संतशिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज ससंघ (48 मुनि) विराजमान हैं। श्री भगवान् महावीर जयंती का भव्य विशाल आयोजन दिनांक 11 अप्रैल को किया गया। श्री जी की विमान जी में शोभायात्रा नगरभ्रमण कर वापिस पंडाल में पहुँची, जहाँ श्री जी के अभिषेक पूजन अर्चना के साथ आचार्य श्री के मांगलिक प्रवचन उपस्थित विशाल समुदाय ने सुने। ___ ग्रीष्मकालीन वाचना का कलश स्थापना समारोह इतवार दिनांक 16 अप्रैल 2006 को आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। सुरेश चंद जैन, मंत्री - अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित /9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524306
Book TitleJinabhashita 2006 04 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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