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________________ नदी से प्राप्त मर्ति का इतिहास सकते हैं। पराना मंदिर तोडकर जब नया बनाया जा रहा था ___ 'होलदा' गाँव में एक नदी पास में ही बहती है। उस नदी | उस समय वेदी हिली और गिरने को ही थी कि उसी समय में ४ 'बोहरा' थे सबमें मूर्तियां थीं, उन सब मूर्तियों में से | 'महेन्द्र जी झांझरी' ने अकेले ही मूर्ति उठा ली। मूर्ति हाथ में कुछ को मोंगल राजा ने खंडित कर दिया था, इससे मालूम | उठाते ही फूल की तरह वह हल्की हो गई और एक सुरक्षित होता है कि होल मोयदा पहले जैनों का गाँव था। स्थान पर रखी गई जब तक निर्माण कार्य चला, उसके बाद वहाँ से प्राप्त एक मूर्ति 'महुआ' जी अतिशय क्षेत्र (सूरत | तो अकेले से वह मूर्ति उठी ही नहीं। के पास) में है जो कि विघ्नहरण पार्श्वनाथ नाम से प्रसिद्ध है। ४. एक महिला के कार्य की सिद्धी हुई थी उसने मंदिरजी में चांदी का झूला दिया था। कुल ८ मूर्तियों में से ६ मूर्तियां खेत से प्राप्त एवं २ मूर्तियां नदी से प्राप्त हैं। मूर्तियां काले पाषाण की हैं। १३वीं शताब्दी की हैं। मूर्तियां सुंदर, सौम्य, मंत्रमुग्ध एवं प्रशंसनीय हैं। इस क्षेत्र में जैन धर्मशाला बन रही है जो अर्थाभाव के कारण पूर्ण नहीं बन पाई। नंदुरबार जिले के आसपास बिखरी धरोहर १. नंदुरबार से १००-१२५ किमी. दूर तोरण माल' पहाड़ है। पर्यटन स्थल है। उस पहाड़ी की दीवालों पर दिगम्बर मूर्तियाँ खुदी हुई हैं जैसे ग्वालियर के गोपाचल पर्वत पर खुदी हुई हैं। ___ दिगम्बर जैनों के ध्यान न देने की वजह से पहाड़ी के लोग उन मूर्तियों को देवता मानते हुए फूल, कुंकुम चढ़ाते हैं। जैन पुरातत्त्व विभाग ध्यान दे तो वे मूर्तियां भी दर्शन के योग्य बन सकती हैं, पहाड़ी पर हैं तो उसका महत्त्व कुछ अजितनाथ भगवान अलग ही बन जाएगा। २. यहाँ से ३०-३५ किमी. की दूरी पर 'निझर' एक गाँव एक मूर्ति शहादे के श्वेताम्बर जैन ने ले ली। एक मूर्ति | है। उस गाँव के बाहर मैदान में जमीन में ५ पांडवों की ७वहाँ के भील को मिली थी। 'चंद्रप्रभ भगवान्' की एक मूर्ति ८ फुट ऊँची ५ मूर्तियाँ दीवाल में खुदी हुई हैं। पर कोई भी यहाँ नंदुरबार के मंदिर में आज से करीब १५ साल पहले | वहाँ जाता नहीं है तो ऐसी ही पड़ी हुई हैं। लाई गई थी। उपर्युक्त बातें लिखने का मतलब यह है कि आप अपने आगे निंबोरा गाँव में एक ही जैनों का घर रहा और | : | सदस्यगण को यहाँ नंदुरबार भेजिए और जानकारी हासिल आसपास से जैनी भाई भी नंदुरबार में आकर रहने लगे थे। कीजिए। फिर सर्वसम्मति से नंदुरबार में जगह लेकर मंदिर बनाया ___ होल मोयदा नदी में बोहरे में अभी भी मूर्तियाँ हैं ऐसा और वहाँ मूर्तियाँ विराजमान की गईं। बुजुर्ग लोग कहते हैं, खोज करने पर शायद और कुछ मूर्तियाँ अतिशय प्राप्त की जा सकें। ____१. आज से १४-१५ साल पहले मंदिरजी वेदी में से यहाँ पर हस्तलिखित एक प्राचीन ग्रंथ भी है जो 'हरिवंश केसर का पानी निकला था। पुराण' है और कुछ पूजन भी लिखी हुई है जो करीब १०० -- ____२. नंदुरबार पंचकल्याणक १९९४ के समय मूर्तियां जब | १२५ साल पुरानी लगती हैं। मंदिर में सफाई करते समय ये दूसरी वेदी में (रखी जा) विराजमान की जा रही थी तब | पुस्तकें उपलब्ध हुई थीं। भाषा संस्कृत एवं हिन्दी है। लिखने वेदी की दीवालों से पानी रिसने लगा था। की स्टाइल 'बहीखाता' टाइप की है। ३. अजितनाथजी की मूर्ति ५-६ लोग मिलकर उठा नंदुरबार ( महाराष्ट्र) सजन जनवरी-फरवरी 2006 जिनभाषित /41 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.524304
Book TitleJinabhashita 2006 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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