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समाचार
रांची में विद्यासागर कम्प्यूटर एजुकेयर का शुभारंभ । के जुगुल, शाहपुर, मंगावती, मांजरी, मोलवाड़, इंगली आदि
आचार्य श्री १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज के | गांवों के लोग अपने बचाव के लिए शिरगुप्पी गाँव के स्कूलों यशस्वी एवं आज्ञानुवर्ती शिष्य पूज्य मुनिश्री प्रमाणसागर जी | में आश्रय पाने के लिए हजारों-हजारों लोग भाग आये। यह की प्रेरणा के फलस्वरूप समाज के अध्यक्ष धर्मचंद जी रारा | दृश्य बड़ा ही दुखद दृश्य था। प्रकृति का खेल बड़ा ही एवं मंत्री श्री प्रदीप जी बाकलीवाल ने समस्त समाज के | अजीब था। देखते-देखते ही कृष्णा मैया का प्रवाह एक साथ निर्णय लेकर विद्यासागर कम्प्यूटर एजुकेयर प्रारंभ करने | सागर के रूप में बदल गया, जंगली जानवरों और पक्षियों का की योजना बनायी। इस परियोजना का संयोजक श्री विजय | हाल तो कौन पूछे? जैन पांड्या एवं श्री गौतम काला को मनोनीत किया गया। जनता की यह दुर्दशा, असहायता और उनकी दुखद इस केन्द्र के सभी कोर्स एन आई आई टी के पैटर्न पर परेशानी देखकर शिरगुप्पी गाँव
| परेशानी देखकर शिरगप्पी गाँव में चातर्मास आचरण करनेवाले आधारित एवं सार्टिफाइड हैं। समाज के नवयुवक एवं | मुनि श्री १०८ अक्षयसागरजी और मुनिश्री १०८ नमिसागर नवयुवतियाँ, पुरुष एवं महिलायें इस केन्द्र पर कम्प्यूटर | | जी महाराज ने अपने प्रवचन के समय शिरगुप्पी गाँववासियों शिक्षा ग्रहण करने में गहरी रुचि ले रहे हैं।
से प्रवाह-पीड़ित और निर्गतिक लोगों के अक्षय और उनके ____ मुनिश्री की प्रेरणा से दि. जैन पंचायत रांची ने मिलकर | खाने-पीने की व्यवस्था के लिए चुनौती दी। मुनिमहाराज जी फैसला लिया है कि समाज में रात्रि में विवाह-संस्कार एवं की चुनौती सुनकर लोगों ने सहर्ष स्वागत किया। तत्क्षण ही सामूहिक भोज कार्यक्रम संपन्न नहीं किये जायेंगे। १०० कार्यकर्ता सेवाकार्य में निरत हो गये। प्रवचन सुनने में
मुनिश्री की प्रेरणा से समाज अनेक अन्य योजनाओं | व्यस्त लोगों के मनपर मुनिश्री अक्षयसागरजी की वाणी का पर भी गम्भीरता से विचार कर रही है, जिनमें समाज द्वारा | परिणाम होकर उनके मन में धर्म जाग उठा। केवल १५-२० पूर्व से संचालित जैन चिकित्सालय एवं लाइब्रेरी का | मिनट में ही ५०,०००/- रूपयों की धनराशि दान के रूप में विस्तारीकरण करके आधुनिक बनाना शामिल है। रांची एक | जमा हो गयी। बूंद-बूंद से सागर बनता है और झरे-झरे से
पहाड। दानी लोगों के इस दान से "श्री १०८ आचार्य में रहकर शिक्षा प्राप्त करनेवाली जैन लड़कियों के लिए | विद्यासागर अन्नपूर्णा सेवा केन्द्र" शुरू हुआ। शिरगुप्पी गांव एक गर्ल्स होस्टल आरंभ करने की योजना पर भी विचार | के समस्त दिगंबर जैन लोग वीर सेवादल, विद्यासागर युवक चल रहा है। मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज का रांची प्रवास | मंडल, महिला मंडल के १०० कार्यकर्ता लोग ८-१० दिनों समाज को एक वरदान साबित हुआ है।
| से रात और दिन पूरग्रस्त लोगों के खाने-पीने की और आश्रय
पं. पंकज जैन 'ललित',रांची | की व्यवस्था अरिहंत शिक्षण संस्था, सिद्धेश्वर विद्यालय, शिरगुप्पी के आ. विद्यासागर अन्नपूर्णा केंद्र द्वारा पांच
| विद्यानंद प्राथमिक स्कूल और सरकारी प्राथमिक स्कूलों में
की। हजार बाढ़-ग्रस्तों को आधार गत १०० साल से न सुना, न देखा हुआ भयानक
नदी के पूरग्रस्त में फंसे हुए गाँवों के जानवरों के पूरग्रस्त कर्नाटक के बेलगाम जिला और महाराष्ट्र के सांगली
| लिए गाँव के लोग अपने खेतों से गन्नों की फसल काटकर और कोल्हापूर जिले के तटवर्ती लोगों को कष्णा नदी के बाढ़ में ही अपने सरपर चारा लेकर नाव में डालकर जगल. प्रवाह का कडुवा अनुभव हुआ। फसल, जान-माल का
शाहपुर, मंगावती के जानवरों की जान बचायी। चारा देकर नुकसान और जानवरों की तो खूब बरबादी हुई। दो दिनों के
| शिरगुप्पी गाँव के लोगों ने मानवता धर्म निभाया। अंदर ही अंदर नदी का प्रवाह खेतों, तालाबों, गांवों की
बाढ़ में फंसे जानवरों के चारे के बारे में मुनिजी ने गलियों में और घरों में भर गया। पानी की लीला बड़ी ही
अपने प्रवचन में कहा, यह बात सुनकर एक महिला के मन अजीब है। इसे देखकर लोगों के होश उड़ गए। नदी-तट के
में धर्म जाग उठा। तत्क्षण ही उस महिला ने अपने गले में गाँवों के लोग अपने और जानवरों के बचाव के लिए असहाय
पहना हुआ १० ग्राम का सोने का हार निकालकर देते हुए बन गए। महाराष्ट्र राज्य के खिदापर राजापर और कर्नाटक | कहा कि, 'इसे बेचकर भूखे जानवरों को खाद्य खिलाओ.
अक्टूबर 2005 जिनभाषित 29
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