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के सुशिष्य मुनिश्री १०८ अजितसागर जी महाराज एवं ऐलक | सहयोग की भी अपील की गयी। श्री १०५ निर्भयसागर जी महाराज के सान्निध्य में प्रो. डॉ. | शताब्दी-समारोह का उद्घाटन डॉ. डी.पी. सिंह फूलचन्द जैन 'प्रेमी' की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
(कलपति डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर) एवं अधिवेशन का सफल संचालन डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन (मंत्री, | समापन के अवसर पर सम्मान समारोह का मुख्यातिथ्य डॉ. विद्वतपरिषद) ने किया। अधिवेशन में जैनागम के प्रख्यात | डी.बी. सिंह (कुलपति अबधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, विद्वान सर्वश्री डॉ. नंदलाल जैन (रीवा), डॉ. भागचन्द्र | रीवा) ने ग्रहण किया। अध्यक्षता श्रीमान् सेठ डालचन्द जैन 'भास्कर' (नागपुर), डॉ. शीतलप्रसाद जैन (जयपुर), डॉ.
नाग डॉ शीतलण्यात जैन (जया) टॉ | (पर्व सांसद) ने की। संचालन श्री कान्तकुमार सराफ (मंत्री) नेमीचन्द्र जैन (खुरई), डॉ. कमलेशकुमार जैन (वाराणसी). I ने किया। अस्वस्थता के कारण म.प्र. के राज्यपाल श्री बलराम पं. अमरचन्द जैन (सतना), डॉ. कपूरचन्द जैन (खतौली), | जाखड़ नहीं आ सके। उन्होंने अपनी लिखित शुभकामनाएं डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन (सनावद), डॉ. विमला जैन | प्रेषित की। मंगलाचारण पं. लालचन्द्र राकेश ने किया। (फिरोजाबाद), डॉ. गोपाललाल अमर (दिल्ली). पं. | अधिवेशन ने श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कत सखपाल जैन (दिल्ली). पं. निर्मल जैन (सतना), पं. | महाविद्यालय (सागर) शताब्दी समारोह स्मारिका. डॉ. सुरेन्द्र कोमलचन्द जैन (टीकमगढ़), पं. विनोद जैन (रजबांस), | कुमार जैन 'भारती' (बुरहानपुर) द्वारा लिखित एवं विद्यारत्न डॉ. कस्तरचन्द 'समन' (श्री महावीर जी), पं. पवन दीवान | डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन (सनावद) द्वारा सम्पादित कविता(मोरेना) आदि द्विशताधिक विद्वान/विदुषियाँ सम्मिलित हुए। | संग्रह 'अत्र कुशलं तथास्तु' एवं टॉप-टेन (विचार सूक्त), इस अवसर पर श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय | ब्र. विनोद द्वारा संकलित 'वर्णी विचार', प्रो. हीरालाल पांडे (सागर) के स्नातकों का सम्मेलन आयोजित किया गया। द्वारा रचित 'जय सन्मति' (महाकाब्य) एवं सम्पादित कृति स्थानीय विद्वानों पं. दयाचन्द्र जैन, पं. मोतीलाल जैन (प्राचार्य). | 'वर्णी वन्दनाकाव्यम्' का विमोचन किया गया। इन पुस्तकों पं. ज्ञानचन्द जैन, पं. विजय कमार जैन, पं. मनोज कमारजैन, | के साथ विद्वानों को वैरिस्टर चम्पतराय द्वारा लिखित सर्वधर्म पं. शतलचन्द्र जैन, पं. शिखरचन्द जैन. ब्र. साधना जैन. ब्र. | समभाव, 'असहमत संगम' एवं पं. पद्मचन्द्र जैन (दिल्ली) पुष्पा जैन आदि की महती सहभागिता रही।
द्वारा लिखित 'मूल जैनसंस्कृति अपरिग्रह' वीरसेवामंदिर अधिवेशन एवं शताब्दी-समारोह के मध्य चले | एवं शकुन प्रकाशन के सौजन्य से भेंटस्वरूप प्रदान की वैचारिक-संगोष्ठी क्रम में विद्वानों ने पू. क्षुल्लक श्री गणेश | गया। प्रसाद जी वर्णी के व्यक्तित्व-कृतित्व एवं जैनधर्म, समाज
समारोह के समापन पर सभागत द्विशताधिक विद्वानों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके अवदान के प्रति गहन आस्था का शाल, श्रीफल, सम्मानपत्र, स्मृति-चिन्ह एवं सम्मानएवं कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि
राशि के साथ सम्मान किया गया। समारोह के गरिमामय व्यक्त की। अधिवेशन में डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन (सनावद) ने | आयोजन में स्थानीय श्री पूरनचंद जैन (अध्यक्ष), प्रो. मंदिरों में प्राप्त आय की दसप्रतिशत राशि प्रतिवर्ष मूलग्रन्थों | क्रान्तकुमार सर्राफ (मंत्री), डॉ. जीवनलाल जैन, श्री के प्रकाशन पर व्यय करने तथा नियमित पाठशाला के | शिखरचंद जैन,चौ. ऋषभ कुमार जैन, श्री गुलाबचन्द जैन संचालन की पुरजोर अपील की। जैनसमाज को धार्मिक
आदि का महनीय योगदान रहा। शताब्दी-समारोह के प्रथम अल्पसंख्यक घोषित करने, म.प्र. शासन द्वारा पूर्व में घोषित | चरण में श्री समवमरण मण्डल विधान का दिनांक ७ से ९ संस्कृत विद्वानों की श्रेणी में प्रतिवर्ष आचार्य समन्तभद्र दिवस
| मई तक श्री वर्णी भवन, मोराजी, सागर में आयोजन किया मनाने, नगरीय निकायों द्वारा मांस विक्रयकेन्द्रों को मूल- | गया। शताब्दी-समारोह के सफल आयोजन की सागर समाज बाजार से अलग रखने, गिरनार तीर्थक्षेत्र पर जैन धर्मावलम्बियों | ने प्रशंसा की। को जैनरीति से पूजन-अर्चन करने की व्यवस्था सुनिश्चित
डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन, बुरहानपुर करने, फरवरी २००६ में आयोजित होनेवाले श्री गोम्मटेश्वर बाहुबली महामस्तकाभिषेक के आयोजन को सफल बनाने
अतिशयक्षेत्र कोल्हुआ पहाड़ जी पर वेदी शुद्धि एवं ।
जिनबिम्ब स्थापना एवं प.पू. मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज की प्रेरणा से श्रमण-संस्कृति परीक्षा-बोर्ड (सांगानेर) से जैन पाठशालाओं/
_ बिहार में गया के निकट स्थित गोल्हुआ पहाड़ अतिशय विद्यालयों से सम्बद्ध करने की अपील की। प्रशासनिक | क्षेत्र पर दिनांक ११.५.२००५ बुधवार को अक्षय तृतीया के 30 जुलाई 2005 जिनभाषित
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