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इससे सिद्ध है कि "जैन संस्कृति रक्षा मंच जयपुर" के द्वारा पेम्फलेट एवं समाचार पत्रों के जरिए गिरनार के विषय में जो यह प्रचार किया जा रहा है कि गिरनार की पाँचवीं टोंक पर पूजन-अभिषेक की छूट मिल गयी है, वह मिथ्या है। 'जैन संस्कृति रक्षा मंच वालों' से हमारा निवेदन है कि यदि छूट मिल गई है, तो वे स्वयं वहाँ जाकर अभिषेक-पूजन करें और उसके फोटोग्राफ जनता को दिखायें।
चूँकि गिरनार की स्थिति अभी भी ज्यों की त्यों है, अत: जैनों से हमारा अनुरोध है कि वे अपना विरोध जारी रखें और न्याय पाने के लिए सरकार से तब तक गुहार करते रहें , जब तक कि दत्तात्रेय की मूर्ति एवं अनधिकृत छतरी को वहाँ से हटा न लिया जाय, चरणों को फूलों से ढकना बन्द न कर दिया जाय और दिगम्बर जैन पुजारी तथा जैन तीर्थयात्रियों को अभिषेक-पूजन का अधिकार न मिल जाय।
उपर्युक्त अवैध कार्य का विरोध हम गुजरात सरकार एवं भारत सरकार को पत्र एवं ज्ञापन देकर तथा रैलियाँ आयोजित कर करते रहें। संभव हो तो अपने-अपने स्थानों पर जो रजिस्टर्ड संस्थाएँ हैं, उनके द्वारा न्यायालय की शरण में जाकर, न्याय पाने का प्रयत्न किया जाए।
"जैन संस्कृति रक्षा मंच" के पदाधिकारियों को विचार करना चाहिए कि स्वप्रशंसा के लिए बिना जानकारी के समाज को गलत सन्देश देना और धोखे में डालना कहाँ तक उचित है? उन्हें सोचना चाहिए कि जैनों की जो माँगें हैं, उनमें से कौन सी पूरी की गयी है, जो वे जनता को अपना आक्रोश शान्त करने की सलाह देते हैं?
"जैन संस्कृति रक्षा मंच" से हम अपेक्षा करते हैं कि वह गिरनार के प्राचीन स्वरूप को पूर्णत: सुरक्षित करने के लिए राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रभाव डालकर न्याय दिलाने में सहयोग करे तथा वहाँ से दत्तात्रेय की मूर्ति एवं छतरी हटवाकर जैनयात्रियों को अभिषेक-पूजन का अधिकार दिलाये।
रतनचन्द्र जैन
गिरनार पर अवैध निर्माण के विरोध में रैली
गुजरात प्रान्त के जूनागढ़ जिलान्तार्गत स्थित जैन तीर्थ स्थल भगवान नेमिनाथ की निर्वाण भूमि की पाँचवीं टोंक पर भगवान नेमिनाथ के चरण कमल का स्वरूप परिवर्तित कर अन्य धर्म के लोगों द्वारा निर्माण कार्य किये जाने से सम्पूर्ण देश का जैन समाज आक्रोशित एवं उद्वेलित है। अतः प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी गिरनार बचाओ प्रांतीय समिति के आह्वान पर एक विशाल रैली निकाली गई, जो चौक मंदिर स्थित धर्मशाला में प.पू. आचार्य श्री विद्यासागर जी की परम विदुषी शिष्या वात्सल्यमूर्ति आर्यिकारत्न मृदुमति माताजी के आशीष वचन से प्रारंभ हुई। __दो हजार वर्ष पूर्व आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा निर्वाणकाण्ड में, आचार्य समन्तभद्र देव द्वारा रचित स्वयंभूस्त्रोत में, आचार्य पूज्यपाद द्वारा रचित निर्वाणभक्तिचरित एवं नंदीश्वरभक्ति में नेमिनाथ और गिरनार का संबंध प्रस्तुत किया गया है। जिस उद्देश्य से रैली निकाली जा रही है, वह जब तक पूर्ण न हो, तब तक प्रयास जारी रहना चाहिए।
इस अवसर पर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष मो. इब्राहिम कुरैशी ने भी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्य के लिए मेरा पूरा सहयोग है। मैं तन-मन-धन से समर्पित हूँ। अनधिकृत निर्माण को रोकने और उसे हटाने हेतु म.प्र. अल्पसंख्यक आयोग की तरफ से उन्होंने भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पुरातत्त्व विभाग, गुजरात के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं। रैली चौक मंदिर से प्रारंभ होकर राजभवन पहुँची, जहाँ राज्यपाल की अनुपस्थिति में उनके सचिव को ज्ञापन सौंपा। रैली में विशेष रूप से परम आदरणीय बा.ब्र. विदुषी बहिन पुष्पा दीदी (रहली), बा.ब्र. सुनीता दीदी पिपरई, रवि दीदी एवं सुधा दीदी की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण रही। इस सबंध में जैन समाज के सभी सदस्य भारत के प्रधानमंत्री, गुजरात के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को विरोध पत्र लिखें।
ब्र. सुमतिकुमार जैन
4 अक्टूबर 2004 जिनभाषित
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