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________________ पुष्पा दीदी जी एवं बा.ब्र. श्री सुनीता दीदी जी आदि बहिनें | आर.सी.शर्मा ने वाराणसी के शारदा नगर कालोनी स्थित भोपाल के विस्तीर्ण प्रांगण में धर्मामृत की अपूर्व वर्षा कर | अनेकान्त विद्या भवन में आयोजित 21 दिवसीय रही हैं। ब्राह्मीलिपि एवं प्राचीन पाण्डुलिपि वाचन प्रशिक्षण __ अतः आप सभी सम्यक्त्व के विषय परमार्थभूत श्रमणों | कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर उद्बोधन में के स्वरूप को जानकर उनके श्रद्धान् से सम्यग्दर्शन को | प्रस्तुत किए। निर्मल बनाते हुए सम्यज्ञान के साथ सम्यक्चारित्र का पालन सुनील जैन 'संचय', वाराणसी करते हुए मुक्तिपथ पर अग्रसर होने के लिए सपरिवार आचार्य विद्यासागर सभागृह समारोह सादर आमंत्रित हैं। स्थान : श्री दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी, चौक, भोपाल 18 जुलाई, 2004, रविवार को श्री पार्श्वनाथ आयोजक : श्री दिगम्बर जैन मुनिसंघ सेवासमिति, भोपाल ब्रह्मचर्यआश्रम गुरुकुल में स्थित श्री सुभाषसा केशरसा साहूजी अध्यक्ष : अमरचंद अजमेरा, फोन- 0755-2741986 भोजनालय के ऊपर 5,000 स्क्वायर फीट में 'परमपूज्य कार्याध्यक्ष : रमेश चंद मनयां, फोन-0755-2538893 आचार्य विद्यासागर सभागृह' का नवनिर्माण शुभारंभ समारोह महामंत्री : नरेन्द्र वंदना, 0755- 3092691 सम्पन्न हुआ। भगवान ऋषभदेव संगोष्ठी सम्पन्न पन्नालाल गंगवाल, एलोरा भगवान ऋषभदेव की तपस्थली और हिमालय के नैतिक शिक्षण शिविरों का समापन समारोह प्रवेशद्वार हरिद्वार में 7-8 अगस्त को 'तीर्थंकर ऋषभदेव नई दिल्ली 10 अगस्त, दि.जैन नैतिक शिक्षा समिति संगोष्ठी का आयोजन पू.105 आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी द्वारा आयोजित नैतिक शिक्षण शिविरों के भव्य सामूहिक (ससंघ) के सान्निध्य में हुआ। समारोह के विशिष्ट अतिथि समारोह में दिल्ली के शिक्षा मंत्री श्री अरविन्द सिंह डॉ. कमलकान्त बुधकर जी ने महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी लवली ने घोषणा की कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में देते हुए कहा कि पुराने गजेटियर में उल्लेख है कि भगवान 20 मिनिट का एक पीरियड नैतिक शिक्षा का शीघ्र ही आदिनाथ ने हरिद्वार नगरी में तप किया था। भगवान बद्रीनाथ आरंभ किया जा रहा है। इस बार 50 शिविरों में लगभग की श्रृंगार से पूर्व की छवि को यदि देखें तो वे तीर्थंकर या 10,000 बच्चों को शिक्षा दी गई। भ. बुद्ध नजर आते हैं। डॉ. बुधकर के अनुसार उन्होंने किशोर जैन, दिल्ली भगवान विष्णु की कभी पद्मासन मूर्ति नहीं देखी। गोष्ठी में परस्पर विचार-विमर्श, शंका-समाधान आदि से भगवान श्री राजेन्द्र नारद का अवसान ऋषभदेव विषयक अनेक तथ्य सामने आये। समाज के इन्दौर के प्रसिद्ध पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सभी प्रबुद्ध धार्मिक वर्ग ने गोष्ठी में भाग लिया। जैन समाज के गौरव पुरुष स्व. श्री हुकुम चन्द जी नारद ___ डॉ. ज्योति जैन, खतौली (जबलपुर) के सुपुत्र, सेवानिवृत्त वाणिज्यिक कर अधिकारी 'ब्राह्मी लिपि सभी लिपियों की जननी है' (म.प्र. शासन) श्री राजेन्द्र नारद का 69 वर्ष की आयु में विगत दिनों हृदयाघात से इन्दौर में स्वर्गवास हो गया। वाराणसी 14 अगस्त 2004, भारतीय संस्कृति को जानने उनकी सइच्छानुसार उनके परिवारजनों ने मृत्योपरान्त नेत्रदान हेतु प्राचीन दुर्लभ लिपियों का ज्ञान अतिमहत्वपूर्ण है। सम्राट कर उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए एक अनुकरणीय अशोक एवं महाराजा खारवेल ने अपने शिलालेख प्राकृतभाषा पहल की। स्व. श्री राजेन्द्र नारद के पिता स्व. श्री हुकुम और ब्राह्मीलिपि में लिखवाये। उदयगिरी-खण्डगिरी के चन्द जी नारद की मानवाकार कांस्य प्रतिमा जबलपुर में हाथी गुम्फाशिलालेख से भारतीय संस्कृति के अनेक मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित की गई है । ईश्वर दिवंगत नए तथ्य हम जान सके। अपने देश का प्राचीन नाम | आत्मा को शांति प्रदान करे। भारतवर्ष भी उसमें मौजूद है। ये विचार राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली एवं भारत कला भवन के पूर्व निदेशक | सतीश नायक 32 सितम्बर 2004 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524289
Book TitleJinabhashita 2004 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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