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________________ दबाव (ब्लड प्रेशर), शर्करा बढ़ना और धमनियों में कड़ापन | कहा वह अब पुनः उसकी सूरत भी देखना नहीं चाहता है। आ जाता है जिससे हृदय रोग हो सकता है। क्षमा भाव से लेम्ब इस व्यवहार से इतनी अधिक क्षुब्ध और क्रोधित इन हार्मोनों का प्रभाव रुक जाता है। हुई कि उसने सात माह तक अपने पिता से बात तक नहीं कतिपय शोध के परिणाम : की। फिर एक दिन उसने विचार किया कि बहुत देर होने क्षमा देती दवा का काम से पहले उसे अपने पिता से पुनः मेल-मिलाप करना चाहिए। 1. विस्कानसन मेडीसन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने | वह उनसे मिलने गयी और उनसे कार ड्रायविंग के मामले अमेरिकी मनः शारीरिक सोसायटी में प्रस्तुत अपने अध्ययन में अपने व्यवहार पर खेद प्रकट किया तथा उन्हें दुखी में 36 भतपर्व परुष सैनिकों को स्वास्थ्य लाभ के लिए भर्ती | करने के लिए उनसे क्षमा मांगी। पुत्री लेम्ब ने उन्हें, उसे किया। जिन्हें हृदय-धमनी संबंधी रोग था, जो कई दख:दायी | फटकार कर बाहर निकालने को भी क्षमा कर दिया। पिता समस्याओं के बोझ ढो रहे थे, जिनमें कुछ युद्ध से सम्बन्धित, | ने तुरन्त उसे गले लगा लिया और कहा, "ठीक है, मैं, कुछ वैवाहिक समस्याएं, जीविका संघर्ष या बचपन में | हमारे बीच सम्बन्धों के पुनर्स्थापन से बहुत प्रसन्न हूँ।" मानसिक आघातों से सम्बन्धित थी। आधे व्यक्तियों को शीघ्र ही स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कारण कार ड्रायविंग क्षमा शीलता का प्रशिक्षण दिया गया था तथा शेष को नहीं। विवाद भी शांत हो गया और दोनों पक्षों का तनावयुक्त जिन्हें क्षमा शीलता का प्रशिक्षण दिया गया था उनके हृदय परिवेश स्वयं समाप्त हो गया जिसका उनके स्वास्थ्य पर में रक्त प्रवाह अपेक्षाकृत अधिक रहा और धमनियों का अच्छा प्रभाव पड़ा। कड़ापन दूर हो गया। ___4. एक वीडियो प्रोड्यूसर ओ ब्रीन ने अपने तलाक 2. 2001 में मनोवैज्ञानिक चार्लोट विट विलियट ने 71 | (1992)के बाद वर्षों तक अपने पूर्व पति के प्रति घृणा महाविद्यालयीन छात्रों को एक स्मरण दिलाने वाले यंत्र से | संजोए रखी। उसको क्रोध इस बात का था कि परस्पर सम्मोहित दशा में बांधा और उन्हें उनके परिवार के सदस्यों, | सम्बन्धों की दरार ने किस प्रकार उसका भविष्य बर्बाद कर मित्रों या प्रेमियों के द्वारा किये गये मिथ्या आरोपों, अपमानों दिया। ब्रीन लिखती हैं, - "यकायक मैं 2 साल की पुत्री एवं विश्वासघातों को पुनर्जीवित करने को कहा गया। बाद की एक मात्र अकेली माता-पिता बन गयी हूँ। मेरे साथ में उनसे कहा गया कि वे अब सभी दोषियों को क्षमा कर डाक्टरों की व्यवस्था और एक बच्ची की माँ होने की खुशी दें। तद्नुसार प्रतिक्रिया करने वाले छात्रों के मन में अब बाँटने वाला कोई नहीं होना, अत्यन्त निराशाजनक हताश क्षमा अपनाने के अपने दोषियों के प्रति दुर्भाव या मनोमालिन्य | करने वाला था। जबकि मैंने सोचा था कि हम अपने परिवार बनाए रखने की अपेक्षा अब क्षमा भाव अपनाने के बाद | का साथ-साथ निर्माण करेंगे।" ढाई गुना रक्तचाप कम हो गया। विलियट लिखते हैं - क्रोध ने अपना कर वसूलना शुरू किया। ब्रीन के "ऐसा प्रतीत होता है कि क्षमा क्रोध का प्रभावशाली/ | शब्दों में "मैं प्रत्येक समय तनावग्रस्त एवं कड़ेपन से रहने शक्तिशाली प्रतिरोधक हो सकता है क्योंकि क्रोध चिरकालिक | लगी, लगातार सर्दी और हमेशा थकावट का अनुभव होने रूप से बढ़ते हुए रक्तचाप से सम्बन्धित होता है जिससे | लगी" वह आगे लिखती हैं, "एक पार्टी में किसी ने मेरा हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।" | एक महिला से परिचय कराते समय कहा कि इसके पति ने 3. एक महिला सेन्ड्रालेम्ब अपने 42 वर्षीय पिता के द्वारा | इसे भी छोड़ दिया है। यह सुनकर मुझे बड़ा धक्का लगा कि पिछले वर्ष से खराब कार-चालन (कार ड्रायविंग) से | अब मेरी पहचान एक कटु पूर्व पत्नि की हो गयी है।" बहुत चिंतित थी। वह अपने पिता के सामने गई और उनसे | इससे वह और भी विचलित होने लगी। कहा कि अब वे स्वयं कार चलाना छोड़ दें क्योंकि उनका तब उसने फ्रायड लस्किन का एक आडियो टेप सुना कार चालन दिन ब दिन खतरनाक होता जा रहा है। लेम्ब जिसे सुनकर ब्रीन को लगा उसे प्रकाश स्रोत बल्ब मिल के इस कथन पर उसके पिता इतने नाराज हुए कि वह क्रोध गया है। वह लिखती है "वह टेप ऐसा लगा मानो प्रकाश से कांपने लगे और कहा - "मैं अपने पूरे जीवन भर स्वयं स्रोत बल्ब निरन्तर प्रकाशित हो रहा है, मैंने अनुभव किया कार चलाता रहा हूँ और कोई भी मेरी कार की चाबी लेने | कि मैं स्वयं ही वह महिला हूँ जिस पर अब तक मैं आघात नहीं जा रहा है।" और लेम्ब के पिता ने अपनी पुत्री से | कर रही थी" उसने अपने पूर्व पति को फोन किया कि सब 16 सितम्बर 2004 जिनभाषित Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524289
Book TitleJinabhashita 2004 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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