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________________ समाचार श्री जयंत मलैया नगरीय प्रशासन एवं | श्रुत संवर्धन ज्ञान संस्कार शिक्षण शिविर की विकास मंत्री बने स्मारिका के लिये सामग्री भेजें दमोह के यशस्वी विधायक श्री जयंत जैन मलैया को नगरीय | परमपूज्य सराकोद्धारक राष्ट्रसन्त उपाध्याय रत्न श्री 108 प्रशासन एवं विकास मंत्री बनाया गया है। हाल ही में म.प्र. की | ज्ञानसागरजी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से श्रुत संवर्धन मुख्यमंत्री सुश्री उमाभारती ने अपने मंत्रीमण्डल के विस्तार में | संस्थान मेरठ (उ.प्र.) के तत्वावधान में अब तक आयोजित हुए श्री जयंत मलैया को केबिनेट मंत्रीमंडल में शामिल किया। श्री | 'श्रुत संवर्धन ज्ञान संस्कार शिविरों' की 'प्रेरणा' नाम से भव्य व मलैया पूर्व में श्री सुन्दरलाल पटवा के मंत्रीमण्डल में भी मंत्री | आकर्षक सामग्री युक्त स्मारिका निकालने का निर्णय लिया गया रह चुके हैं। ज्ञातव्य रहे मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार में अब है। विगत वर्षों में मध्यप्रदेश में 28, उत्तरप्रदेश में 13 नगरों में, तीन जैन मंत्री हो गये हैं। श्री राघव जी वित्त योजना आर्थिक | राजस्थान में 7 नगरों में शिविर का आयोजन किया जा चुका है। सांख्यिकी तथा श्रीमती अलका जैन स्कूल शिक्षा मंत्री के रूप में जिसमें बालबोध, छहढाला, तत्त्वार्थसूत्र, रत्नकरण्डश्रावकाचार, पहले से हैं। भक्तामर एवं पूजन विधि के साथ नैतिक शिक्षा का शिक्षण ___ श्री जयंत मलैया को केबिनेट मंत्री मण्डल में मंत्री बनने पर | वरिष्ठ एवं नवोदित विद्वानों द्वारा कराया गया है। उक्त शिविरों में श्री राजेश रागी बक्सवाहा, देवेन्द्र देव, वीरेन्द्र सिंघई बक्सवाहा, लगभग 11000 शिविरार्थी सम्मिलित हुए। ज्ञानचंद जैन, कमलेश जैन, राकेश जैन नरवां, आशीष शास्त्री, वर्तमान शिक्षा नीति से जहाँ छात्र धर्म, संस्कार से दूर हो रहे पं. सुनील संचय शास्त्री नरवां, सुनील शास्त्री जयपुर आदि ने | हैं वहीं भारतीय संस्कृति को भी खोते जा रहे हैं। आपसे अनुरोध बधाई प्रेषित की है। जिनभाषित' परिवार भी अभिनंदन करता है | है कि शिविर संयोजना को प्रभावी कराने हेतु परामर्श एवं सुनील संचय 'जैन दर्शनाचार्य', नरवां अपनी सम्मति अविलम्ब भेजने की कृपा करें जिससे स्मारिका पर्दूषण पर्व में विद्वान् बुलाने का प्रकाशन शीघ्र किया जा सके। सम्पर्क सूत्र के लिये शीघ्रता करें श्रुत संवर्धन संस्थान, प्रथम तल श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर द्वारा प्रतिवर्ष 247 देहली रोड, मेरठ (उ.प्र.) फोन नं. 01212528704,3119857 की भांति इस वर्ष भी पर्युषण पर्व में प्रवचन हेतु विद्वान् जायेंगे। अतः समाज से अनुरोध है कि जो भी समाज विद्वान् को बुलाना श्रमण संस्कृति संस्थान का परीक्षा परिणाम चाहे, यथाशीघ्र सूचित करे। 31 अगस्त तक प्राप्त पत्रों को शत-प्रतिशत रहा स्वीकार किया जायेगा। इसके बाद पत्र आने पर स्वीकार नहीं श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर में किये जाएंगे। अध्ययनरत छात्रों का श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत पत्र व्यवहार का पता : महाविद्यालय में लौकिक एवं धार्मिक परीक्षा में प्रतिवर्ष की अधिष्ठाता/निदेशक श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान भांति सत्र 2003-2004 का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। वीरोदय नगर, जैन नशियों रोड, सांगानेर, जयपुर (राज.) माध्यमिक शिक्षा मण्डल, अजमेर की कनिष्ठ उपाध्याय (11वीं) फोन नं. 0141-2730552, 2781649, मो. 3418497 की परीक्षा में 28 छात्रों में से 20 प्रथम श्रेणी एवं 12 छात्र द्वितीय पर्दूषण पर्व पर विद्वान् आमंत्रित करें श्रेणी में उत्तीर्ण हुए एवं वरिष्ठ उपाध्याय (12वीं) के 28 छात्रों परमपूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागर जी में 12 छात्र प्रथम श्रेणी एवं 16 छात्र द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए महाराज की प्रेरणा से स्थापित श्रुत संवर्धन संस्थान मेरठ(उ.प्र.) एवं राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के शास्त्री प्रथम के तत्वावधान में प्रवचन, पूजन, दशलक्षण पर्व एवं अनुष्ठान हेतु वर्ष के 18 छात्रों में से 6 छात्र प्रथम श्रेणी व 12 छात्र द्वितीय विद्वानों को भेजा जा रहा है। श्रेणी में उत्तीर्ण हुए, शास्त्री द्वितीय वर्ष के 19 छात्रों में से 5 आपके नगर में धर्म प्रभावना हेतु यदि विद्वानों की आवश्यकता प्रथम श्रेणी, एवं 14 छात्र द्वितीय श्रेणी उत्तीर्ण में हुए, शास्त्री हो तो शीघ्र सम्पर्क करें। तृतीय वर्ष के 14 छात्रों में 10 छात्र प्रथम श्रेणी, 4 छात्र द्वितीय सम्पर्क सूत्र श्रेणी से उत्तीर्ण होकर शास्त्री उपाधि प्राप्त की तथा तृतीय श्रेणी श्रुत संवर्धन संस्थान, प्रथम तल 247 देहली रोड, मेरठ (उ.प्र.) | में कोई भी छात्र नहीं रहा। पुलक जैन जुलाई 2004 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524287
Book TitleJinabhashita 2004 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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