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________________ है। प्रथम दृष्टि से यह अर्थ निषेक परक लगता है, परन्तु | को प्रदीप्त करता है। तथा कब्ज को दूर करता है। मस्तिष्क से वास्तव में इसे विधिपरक ही समझना चाहिए। निकलने वाले ज्ञान तंत बलवान बनते हैं। योग वास्तव में स्वयं प्रकाश आत्मा के स्वरुप को अनुभव 4. वज्रासन : वज्रासन का अर्थ है बलवान स्थिति पाचन कराने की विद्या है। जिसे गीता में 'योगः कर्मसु कौशलम्' कहा | शक्ति, वीर्य शक्ति तथा स्नायु शक्ति देने वाला होने से यह गया है। वास्तव में सम्पूर्ण मनुष्य का जीवन ही योग के अन्तर्गत | आसन वज्रासन कहलाता है। आता है। जो उसे बहिर्मुखता से अन्तर्मुखता की ओर ले जाता | लाभ : भोजन के बाद इस आसन में बैठने से पाचन शक्ति तेज होती है। नेत्र ज्योति बढ़ती है। वीर्य की ऊर्ध्वगति योग के आठ अंग माने गये हैं। 1. यम, 2. नियम, 3. | होने से शरीर वज्र जैसा मजबूत होता है। घुटना, रीढ़, कमर, आसन, 4. प्राणायाम, 5. प्रत्याहार, 6. धारणा, 7. ध्यान, 8. | जाँघ और पैरों की शक्ति बढ़ती है। समाधि योगासन के अभ्यास से तन तन्दरुस्त, मन प्रसन्न और 5. शशांक आसन : शशांक चन्द्रमा कहलाता है। इसके बद्धि तीक्ष्ण बनती है जीवन के हर क्षेत्र में सुखद स्वप्न साकार | अभ्यास से चंद्रमा की तरह शांति एवं शीतलता आती है अतः करने की कुंजी हमारे अंतरमन में झुपी पड़ी है। हम अपने | इसे शशांक कहते हैं। जीवन में तमाम सुषुप्त शक्तियों को जगाकर जीवन का विकास लाभ : शारीरिक व मानसिक शांति स्वास्थ्य तथा चुस्तीकर सकते हैं। तथा योगासनों का अभ्यास कर जीवन विकास फुर्ती के लिए बहुत उपयोगी है। का क्रम और आगे बढ़ा सकते हैं। 6. पश्चिमोत्तानासन : यह आसन थोड़ा कठिन होने से हजारों वर्ष की कसौटियों में कसे हुए, देश-विदेश में इसे अग्रासन कहा जाता है। यह सर्वश्रेष्ठ आसन है। आदरणीय लोगों द्वारा आदर पाये हुए आसनों को आगे बताया लाभ : रीढ़ को लचीला बनाता है। पेट की चर्बी घटाता जा रहा है। है। शारीरिक व मानसिक विकारों को शांत करता है। बौनापन, __ 1. पद्मासन : इस आसन में पैरों का आधार पदम अर्थात डायबिटीज, लीवर, किडनी व श्वास रोगों में लाभदायक है। कमल जैसा बनने से इसको पद्मासन या कमलासन कहा जाता 7. ताड़ासन : ताड़ का अर्थ है पहाड़ इस आसन में व्यक्ति पहाड़ की तरह स्थिर और सीधा खड़ा रहता है। लाभ : उत्साह में वृद्धि होती है, स्वभाव में प्रसन्नता लाभ : सुबह 3-4 गिलास ठंडा पानी पीकर (शौच से आती है। बुद्धि का अलौकिक विकास होता है। चित्त में निर्मलता आती है। मानसिक कार्य करने वाले, विद्यार्थी वर्ग में तथा पहले) ताड़ासन करने से कब्ज दूर होता है। कमर कूल्हा और सीना सुडौल बनता है। चिन्तन मनन करने वालों के लिए यह आसन अद्वितीय है। ___ इस तरह हमने देखा कि प्राकृतिक चिकित्सा पाचन तंत्र 2. पवन मुक्तासन : शरीर में स्थित पवन (वायु) यह (डायजेस्ट सिस्टम) से संबंधित है और योग तंत्रिका तंत्र (नर्वस आसन करने से मुक्त होती है। इससे इसे पवन मुक्तासन कहते तंत्रिका) से संबंधित है। अत: योगाभ्यास व प्राकृतिक चिकित्सा का सम्मिलित प्रयोग अधिक प्रभावी होता है। किसी भी रोग लाभ : पेट की चर्बी कम होती है। कब्ज दूर होता है। पेट को ठीक करने के लिए आहार पर ध्यान देना जरुरी है। अतः की वायु दूर होकर पेट विकार रहित होता है। स्मरण शक्ति पूर्ण लाभ को पाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा योग और बढ़ती है। अत: डॉ., वकील, साहित्यकार, व्यापारी तथा विद्यार्थी संतुलित आहार तीनों आवश्यक हैं। वर्ग के लिए यह आसन विशेष उपयोगी है। अच्छा स्वास्थ्य और सौंदर्य मिलता है, प्राकृतिक योगमय ___ 3. भुजंगासन : इस आसन में शरीर की आकृति फन जीवन जीने से। प्राकृतिक जीवन पद्धति जो सरल, निरापद एवं उठाये हुए सर्प की तरह होती है। इसलिए इसे भुजंगासन कहते उपयोगी है उसके नियमों का पालन, अपनी आदतों में शामिल कर लिया जाये तो एक सुन्दर स्वास्थ्य एवं उद्देश्यपूर्ण जीवन लाभ : कमर पीठ दर्द में लाभदायक है। स्त्री रोगों में सहजता से जिया जा सकता है। विशेष लाभ दायक है। थकान दूर करने में सहायक है। जठराग्नि कार्ड पैलेस, वर्णी कालोनी, सागर है। हैं। -जून जिनभाषित 2004 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524286
Book TitleJinabhashita 2004 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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