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________________ राज्यपाल के निधन पर शोक प्रस्ताव हुआ। दो नवमबर को प्रातः भूगर्भ से प्राप्त (१६ फुट) उत्तंग दमोह, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल स्व. श्री एन.सी. | चमत्कारी मूर्ति श्री शांतिनाथ का कलशाभिषेक हुआ, जिस पर जैन के आकस्मिक निधन पर गहन शोक व्यक्त करते हुए दिग. प्रथम कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य श्री ललितेश जैन जैन पंचायत दमोह ने एक शोक-प्रस्ताव पारित किया। शोक फिरोजावाद को प्राप्त हुआ। यहाँ भूगर्भ से प्राप्त (५ फुट) उत्तुंग प्रस्ताव में उनके निधन को न सिर्फ जैन समाज के लिए वरन् बाहुबली भगवान की मूर्ति भी अत्यधिक कलात्मक तथा चमत्कारी संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक अपूर्णनीय क्षति बताया गया। प्रस्ताव में है। ये मूर्तियाँ दसवीं शताब्दी की बहुत ही मनोज्ञ मूर्तियाँ हैं। इस उल्लेखित किया गया है कि वे एक ऐसे प्रखर नक्षत्र थे जिसके न अवसर पर विद्वानों में डॉ. भागचन्द्र जैन भागेन्दु दमोह, डॉ. विमला सिर्फ समाज वरन् संपूर्ण क्षेत्र को अपनी आभा से और गौरवान्वित जैन फीरोजाबाद, पं. सागरमल जी विदिशा, पं. अनूप चन्द्र जैन किया है। एडवोकेट फीरोजाबाद, पं. निर्मल चन्द्र जैन सतना, पं. सुरेश चन्द्र सरल जबलपुर आदि उपस्थित थे जिन्होंने संक्षिप्त वक्तव्य दे महामहिम राज्यपाल निर्मल चंद जैन की मूर्ति विनयांजलि अर्पित की। इस अवसर पर फीरोजाबाद, बड़ौत, स्थापना हेतु मांग दिल्ली, विदिशा, सागर, ललितपुर, मथुरा, बिलहरी, कटनी, जबलपुर, लोकप्रिय व्यक्तित्व प्रखर मेघा व मनीषा के धनी जबलपुर | किशनगढ़, हजारीबाग आदि के हजारों मुनि-भक्ति उपस्थित थे। के गौरव जिन्हें अपने व्यक्तित्व एवं मूर्तित्व से राजस्थान के राज्यपाल । कार्यक्रम एक बजे मंगलाचरण के साथ आरम्भ हुआ। पद से विभूषित किया गया है, खजांची चौक जबलपुर हेतु या | ध्वजारोहण राजकुमार जैन ने व दीप प्रज्जवलन श्री शांतिलाल जैन अन्य उपयुक्त स्थल में मूर्ति स्थापना श्री अजित जैन एडवोकेट एवं | सतना ने किया। भ. शांतिनाथ के चित्र का अनावरण श्री केवलचन्द्र मुकेश सिंघई एडवोकेट द्वारा शासन नगर निगम जबलपुर एवं जैन | कांच वालों ने तथा आचार्य श्री के चित्र का अनावरण श्री श्रवण समाज जबलपुर से अपील की गई है। भाई पटेल मंत्री लोक निर्माण द्वारा हुआ। गुरुओं को शास्त्र भेंट श्री अजीत जैन एडवोकेट एवं मुकेश सिंघई एडवोकेट | क्रमशः श्री राजेन्द्र कुमार सतना, श्री सुरेन्द्र कुमार कटंगी एवं द्वारा इस संबंध में शासन, नगर निगम जबलपुर एवं जैन समाज | सन्तोष कुमार पनागर ने किये। आचार्य श्री विद्यासागर की परम्परा जबलपुर को पत्र प्रेषित कर मूर्ति स्थापना की मांग की पुरजोर | के अनुसार पीछी-देने वाले तथा पीछी लेने वाले संयम, साधना अपील की है। का संकल्प लेते हैं। अत: अनेक लोगों ने संकल्प के साथ पीछियाँ मुकेश सिंघई एडवोकेट प्रदान की तथा पुरानी ग्रहण की। कार्यक्रम का संचालन श्री सुधीर सोनागिर जी में युवा विद्वत् संगोष्ठी का सफल कुमार जैन कटनी कर रहे थे। आयोजन इस अवसर पर ऐलक निश्चय सागर ने अपने प्रेरक उद्बोधन परम पूज्य उपाध्याय श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज के में कहा 'यत्नपूर्वक विवेक के साथ आहार, विहार तथा क्रिया-- परम सान्निध्य में श्री दि. जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में १३.१०.०३ कलाप करने से अधर्म से बचा जा सकता है। प्रत्येक मानव को से १५.१०.०३ तक अ.भा.दि. जैन युवा विद्वत् संगोष्ठी का सफल आदर्श चर्या के साथ देश, समाज और स्व का उत्थान करना आयोजन श्री आशीष जैन शाहगढ़, सुनील संचय नरवां, वीरेन्द्र चाहिये।' मुनि श्री प्रमाण सागर ने ओजपूर्ण अभिप्रेरित प्रवचन में हीरापुर और मनोज बगरोही के संयोजन में हुआ। कहा 'मानव को निवृत्ति मार्ग की साधना से ही मुक्ति का फल प्राप्त समापन सत्र के अंत में उपा. जी ने कहा कि युवा विद्वानों हो सकता है। प्रवृत्ति का मार्ग सरल है परन्तु भक्ति के साथ शक्ति के आलेख बहुत अच्छे हैं, किन्तु अभी शोध की आवश्यकता है। और युक्ति लगा कर भी मुक्ति के लिये निवृत्ति का मार्ग ग्रहण विद्वान ही समाज का दर्पण हैं। अतः समाज और विद्वान दोनों का करना ही होगा, मुनि श्री समता सागर ने अपने मार्मिक उद्बोधन दायित्व है अपने-अपने कर्तव्यों का पूर्ण निर्वहन करें। में कहा 'पीछी परिवर्तन' का कार्यक्रम 'जीवन परिवर्तन' केलिये __आशीष जैन शास्त्री, शाहगढ़ प्रेरित करता है। जैन वही है जो न्याय युक्त सुनीति पर चलने वाला, वात्सल्य भावी, उदारवृत्ति से युक्त स्वयं पर विजय प्राप्त अभूतपूर्व प्रभावना के साथ 'पीछी परिवर्तन' करने वाला ईमानदार हो। उन्होंने अन्त में कहा 'खतम हुआ जाता तीर्थक्षेत्र बहोरी बन्द में विराजमान प.पू. सन्त शिरोमणी है मेला, तुम भी एक खिलौना ले लो।' अर्थात् आज इस संयम के आ. विद्यासागर जी महाराज जी के परम शिष्य मुनि श्री समता उपकरण पीछी परिवर्तन में सभी को 'संयम' रूपी खिलौना अवश्य सागर जी, मुनि श्री प्रमाण सागर जी एवं ऐलक श्री निश्चय सागर ले लेना चाहिये। ज्ञात हो, गत वर्ष मुनिश्री के संघ का चातुर्मास जी के वर्षा योग समापन पर पीछी परिवर्तन समारोह बड़े ही फिरोजाबाद में हुआ था। उत्साह के साथ २.११.०३ रविवार को सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व डॉ. विमला जैन, स.सम्पादिका,म.द. श्री भक्तामर जी विधान तथा श्री शांतिनाथ विधान भी बड़ी धूम १/३४४, सुहाग नगर, फीरोजाबाद धाम से पं. जीवन्धर जी शास्त्री जबलपुर के सानिध्य में सम्पन्न 32 नवम्बर 2003 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524279
Book TitleJinabhashita 2003 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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