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________________ साहित्यमर्मज्ञ विद्वानों ने पुराणरत्न के विविध पक्षों पर अपने शोध- । शोक सभा का आयोजन आलेखों का वाचन करके उन पर गहन और व्यापक ऊहापोह किया। इस गोष्ठी में प्रत्येक आलेख के विशेषज्ञ विद्वानों द्वारा राज्यपाल निर्मलचन्द्र जी जैन के निधन से लिखित समीक्षा का प्रावधान रखा गया। जो आमंत्रित विद्वान् सम्पूर्ण गुरुकुल परिवार स्तब्ध उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने आलेख भिजवाकर पुराण-पर्यालोचन __ आज दि. २२.९.०३ सोमवार को सायं ७ बजे श्री वर्णी को सांगोपांगता प्रदान की। दिगम्बर जैन गुरुकुल में शोक सभा का आयोजन किया गया। प्रथम उद्घाटन सत्र-मंगलाचरण, कलश स्थापन दीप | जिसमें राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री निर्मलचन्द्र जी जैन प्रज्जवलन से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का विषय प्रदर्शन हमारे विद्वान | के हृदयाघात से आकस्मिक निधन से उनके परिवार को शोक प्राचार्य श्री अरुण कुमार जी ने शोधपूर्ण ढंग से किया। डॉ. कस्तूरचंद संवेदना एवं ब्रह्मलीन आत्मा के प्रति शोक श्रद्धांजलि प्रकट की जी जैन ने पद्मपुराण में राम के चरित्र का वैशिष्ट्य पढ़ा गया। डॉ. | गई। जिसमें शोक सभा में उपस्थित जैन समाज के सम्मानीय जयकुमार जी जैन ने अध्यक्षीय उद्बोधन से उपकृत किया। पूज्य सदस्यगणों में गुरुकुल ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र आर.बी. मुनिश्री के उद्बोधन से संगोष्ठी को दिशा मिली। संचालन डॉ. ने कहा श्री निर्मल चन्द्र जी जैन सिर्फ जैन समाज के ही नहीं विजय कुमार जैन, लखनऊ ने किया। बल्कि सम्पूर्ण जबलपुर के लिये एक गौरव थे। क्योंकि आजादी डॉ. विजय कुमार जैन, के पश्चात् ऐसा पहला मौका आया था जब जबलपुर के ऐसे लखनऊ मृदुभाषी, उच्च चरित्रवान व्यक्ति को इतने ऊँचे पद पर आसीन नलबाड़ी में आई धर्म की बाढ़ किया गया था। जिससे हम सभी गौरवान्वित थे। गुरुकुल महामंत्री 'नलबाड़ी (असम) में आचार्य विद्यासागर महाराज के श्रीकमल कुमार दानी ने कहा ऐसे महान व्यक्तित्व के आकस्मिक शिष्य ब्र. संजीव भैया (कटंगी)' के सान्निध्य में पर्वराज पयूषण | निधन से हम सभी अपने आप को असहाय महसूस करने लगे हैं। पर्व पूरे उत्साह और अपूर्व धर्म प्रभावना के साथ संपन्न हुआ। गुरुकुल अधीष्ठाता ब्रह्मचारी श्री जिनेश जी शास्त्री ने कहा कि धर्म फिल्मी धुन से परे आध्यात्मिक शांत स्वर में आयोजित | और चरित्र का ऐसा समन्वय जो निर्मलचन्द्र जी जैन में था वह सामूहिक पूजन में आवाल वृद्ध सभी भक्ति-रस में डूब गये। इतने ऊँचे पदों पर पहुँच कर कायम रखना उनकी अप्रितम प्रतिभा पूजन के बाद तत्वार्थ सूत्र की कक्षा लगायी गयी। अत्यन्त सरल का प्रतीक था। गुरुकुल के ब्रह्मचारी त्रिलोक जी ने कहा कि भाषा व ब्लेक बोर्ड के ऊपर सूत्रों को समझाने की पद्धति के अपने संपूर्ण जीवन भर सक्रिय रहने वाले एवं सदैव राष्ट्र के लिये कारण कक्षा में भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े। प्रतिदिन एक सौ समर्पित व्यक्तित्व का हमारे बीच से अचानक चले जाना हम सभी पचास से अधिक युवाओं का सामूहिक अभिषेक पूजन करना | के लिये एक आघात है। गुरुकुल अधीक्षक श्री राजेश कुमार जैन नगर को धर्ममय बनने का कारण बना। ने कहा कि ऐसे व्यक्ति का आकस्मिक निधन जिनकी सरलता एवं कपूर चंद राँवका सादगी से उनके राजस्थान के राज्यपाल बनाये जाने पर सम्पूर्ण सोना-आभूषण देने वालों की होड़ लग गई। जबलपुर नगर की जनता उनके स्वागत के लिये उमड़ पड़ी थी। जिनालय की नगरी आगरा में ७२ वां जिनालय के निर्माण | आज उन्हें अपने बीच में न पाकर अपने आपको कैसे ढांढस की भूमि मंत्रों, जयकारों से गूंज उठी कमलानगर के शालीमार में | बंधायेगी। ईश्वर से प्रार्थना है इस दुखद घड़ी में उनके परिवार एवं श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में तीन दिवसीय वेदी शिलान्यास | हम सभी को यह गहरा आघात सहने की क्षमता प्रदान करें। समारोह के अवसर पर सैकड़ों महिलाओं द्वारा मंदिर के स्वर्ण | विद्यालय के शाला नायक विकास कुमार जैन ने कहा कि जब भी कलश स्थापना हेतु अपने आभूषण उतार कर समर्पित कर दिये। वे गुरुकुल में आते थे उनकी सहजता से हम सभी छात्रों को अनेकों भक्तों में एक तोला सोना देने वालों की होड़ लग गई। वेदी | अत्यन्त प्रेम और वात्सल्य प्राप्त होता था, हम इस वात्सल्य को न की नींव में रत्न शिला, स्वर्ण शिला, रजत शिला रखने वालों का | पाकर अत्यन्त दु:खी हैं। जन सैलाब उमड़ पड़ा। वेदी की मुख्य शिला शुभ मुहूर्त एवं । इसके साथ ही शोक सभा में गुरुकुल ट्रस्ट कमेटी के मंत्रोचार के साथ श्री प्रदीप जैन एवं नवीन जैन पूर्व महापौर | | समस्त सदस्यगण, सभी ब्रह्मचारीगण, विद्यालय का शिक्षिकीय पी.एन.सी. वालों ने रखी ४ रत्न शिलायें श्री गजेन्द्र कुमार जैन स्टाफ, जैन समाज के आसपास के प्रतिष्ठित जन एवं विद्यालय के पाटनी बम्बई, सुरेश चंद मुरादाबाद, विजय कुमार एटा, निरंजन | सभी छात्र उपस्थित थे। लाल बैनाड़ा, आगरा तथा आगरा दि. जैन परिषद के अध्यक्ष श्री इन सभी ने ईश्वर से प्रार्थना की कि उन्हें सद्गति प्राप्त हो शिखरचंद जी सिंघई के द्वारा रखी गईं। एवं उनके शोक संतप्तपरिवार को संबल मिले। सुरेशचंद बरौलिया राजेश जैन संवाददाता/पत्रकार । -नवम्बर 2003 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524279
Book TitleJinabhashita 2003 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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