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________________ समाचार अमरकंटक में प्रतिमा स्थापन भारत के उपराष्ट्रपति भैरोंसिह शेखावत ने अमरकंटक में । पशुओं का वध कर मांस, खून, चमडे का निर्यात किया जाना कौन एक विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में | सा व्यापार है। भारत की मूल संस्कृति की रक्षा करने की बात की सुचारु सामाजिक व्यवस्था भगवान आदिनाथ के द्वारा प्रतिपादित | जाती है भारत में परमार्थ छोड़कर अर्थ अपनाने से विकास नहीं असि, मसि और कृषि के सिद्धान्त से आरंभ हुई थी। सन्तों को | माना जा सकता। अर्थ नहीं परमार्थ के सोपान पर चढ़ना चाहिए। भारतीय समाज का आधार बताते हुए श्री शेखावत ने आचार्य श्री पशु जीवित धन है, जीवित धन का वध कर विदेशी धन को विद्यासागर को वर्तमान काल का प्रमुख संत निरूपित किया। अर्जित किया जाता है। वृषभ भारत में कृषि का आधार है। कृषि भारत में लगभग छब्बीस करोड़ अत्यन्त निर्धन हैं। इनके सम्मुख प्रधान देश में ही कृषि के आधार को समाप्त किया जा रहा है। जैन रोटी का संकट है। संविधान में सम्मान के साथ जीने का मौलिक कोई जाति नहीं है यह बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि कषायों अधिकार दिया गया है किन्तु सरकार का कुछ दोष है। भगवान और इंद्रियों को जीतने वाला ही जैन होता है, भाव प्रणाली का महावीर के अहिंसा और अपरिग्रह के सिद्धान्त से ही नागरिकों के | नाम ही जैन धर्म है। कोई भी इन गुणों को अपनाकर जैन हो इस मौलिक अधिकार की रक्षा हो सकती है। श्री शेखावत ने | सकता है। मानव से महामानव और भगवान बनने की क्षमता भगवान महावीर के सिद्धान्तों को संसार के लिए अत्यन्त उपयोगी प्रत्येक आत्मा में है। मनुज जन्म के उपरान्त विकास कर मनुष से बताया। इस विशाल जन सभा में भारत के भिन्न भिन्न प्रान्तों से | मानव की यात्रा होती है। मांस उपज नहीं है, पशु वध से प्राप्त आए जैन धर्मावलम्बियों के साथ अन्य समाज के हजारों नर नारी किया जाता है। एक पेट के पोषण के लिए एक पेट का वध करना उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति की उपस्थिति में अमरकंटक में निर्माणाधीन संवैधानिक भी नहीं है। यह सत्य कटु लग सकता है किन्तु बिगड़े जिनालय में विश्व की सर्वाधिक वजनी भगवान आदिनाथ की पाचनतंत्र और बुद्धि के उपचार के लिए कटु एक औषधि है। विशाल प्रतिमा को मूल स्थान पर २८ टन के विशाल कमल पर | भारत की जनता रोटी मांगती है मांस नहीं। विदेशों की मांग पर विराजमान किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री, मांस का निर्यात किया जा रहा है। निज देश के हितों की उपेक्षा दिग्विजय सिंह, म.प्र. के लोक निर्माण मंत्री श्रवण पटेल, म.प्र. है। वीतरागता से आत्म स्वरूप ज्ञात हो जाता है। देश, संस्कृति, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इब्राहिम कुरैशी, टाईम्स ऑफ | धर्म की रक्षा के संकल्प से अमरकंटक के बियावान में इसका इंडिया समूह के स्वामी साहू रमेश चन्द्र जैन, आर.के. मारवल्स श्रोत बन सकता है। सेवा धर्म को अपनाने के लिए शासन को भी के स्वामी उद्योगपति अशोक पाटनी आदि उपस्थित थे। सजग होना चाहिए। जैन समाज रूग्ण की सेवा करना चाहता है, श्री शेखावत ने कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान भोपाल में चिकित्सा महावद्यिालय की स्थापना के लिए स्थान का आदिनाथ की पुत्री के नाम पर ही ब्राह्मी लिपि के माध्यम से | प्रबंध कर लिया है। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि उपस्थित हैं सेवा में भरतीय शिक्षा और संस्कृति का विकास हुआ। मध्य प्रदेश की | सहयोग कर सकते हैं। आचार्य श्री ने कहाकि वृषभ नाथ का जीवन दायिनी सरिता के उद्गम अमरकंटक में भगवान आदिनाथ समर्थन संग्रह नहीं वितरण करना चाहता है, लोक संग्रह कहा की मूर्ति स्थापना से अहिंसा और अपरिग्रह के सिद्धान्तों को जाता है लोभ संग्रह नहीं। विश्व कल्याण की उदात्त भावना के आत्मसात करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। खाद्यान्न के भंडारों और ९२ | साथ आगे बढ़ना चाहिए। मिलियन डालर की विदेशी मुद्रा के बाद भी भारत में २६ करोड़ । आचार्य श्री की बोध वाणी के उपरान्त पुन: उपराष्ट्रपति गरीबों के सामने रोटी का संकट है। भगवान महावीर के सिद्धान्तों श्री शेखावत ने बताया कि गोवध निषेध का बिल संसद में को अपनाने के अलावा गरीबों को संकट से उबारने का समाधान | विचाराधीन है। मैं आपकी शक्ति जानता हूँ महाराज, भारत में ऐसा अन्यत्र कहीं नहीं है। मैंने आज कुछ कहने के पूर्व आचार्य श्री कौन है जो आपकी आज्ञा का उल्लंघन कर सके। आपके नेतृत्व में विद्यासागर जी महाराज के चरणों में अभिनन्दन प्रस्तुत किया है। मैं स्वयं चलने को तैयार हूँ, सब चलेंगे। धर्म का तात्पर्य पूजा नहीं यह ठीक है कि मैं भारत का उपराष्ट्रपति हूँ किन्तु मेरा निवेदन है | गरीबों की रोटी का प्रबंध है। एक की हत्या कर एक का पेट कि मुझे आचार्य श्री ऐसा आशीर्वाद दें कि समाज सेवा में सक्षम | भरना न्यायोचित नहीं है। समारोह में लोक निर्माण मंत्री श्रवण हो सकूँ। पटेल ने कहा कि महापुरूषों के मार्गदर्शन से ही चुनौतियों का आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने उपस्थित जन समुदाय सामना किया जा सकता है। आचार्य श्री का स्थान भारत में • को बोध कराते हुए कहाकि भगवान आदिनाथ का प्रतीक चिन्ह | सर्वोच्च है। विदेश राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने हजारों वर्ष प्राचीन वृषभ है एवं भारत के संविधान के मुख पृष्ठ पर भी वृषभ का चित्र | सभ्यता का उल्लेख करते हुए भगवान महावीर की करूणा को है। भारत में वृषभ और उसकी जननी गाय के साथ हिंसक और | | जीवन में अंगीकृत करने की आपवश्यकता बताई। सर्वोदय समिति क्रूर व्यवहार रोका जाना चाहिए। विदेशी मुद्रा की प्राप्ति के लिए | द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर अभिनन्दन किया गया। वेदचन्द्र जैन, गौरेला, पेण्ड्रारोड नवम्बर 2003 जिनभाषित 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524279
Book TitleJinabhashita 2003 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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