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________________ जैन मृदु ने बताया कि समाज के विकास के लिये इस कार्यक्रम के | श्री मुन्नालाल जी जैन द्वारा श्री अमरकंटक क्षेत्र पर बन रहे श्री द्वारा छात्रवृत्ति व पुस्तकालय की व्यवस्था के अतिरिक्त सामाजिक आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के निर्माण हेतु 31000/- इकत्तीस व धार्मिक कार्यों में प्रतिभावान भाई, बहिन के लिए प्रतिवर्ष हजार रूपया की दानराशि देने की घोषणा की तथा पूज्य आचार्य अवार्ड भी दिया जायेगा। श्री का शुभाशीष प्राप्त किया। पं. शिखरचंद जैन साहित्याचार्य' श्री मदनलाल सरावगी (छाबडा) का स्वर्गवास उप प्राचार्य कोलकाता। सरल स्वभावी उदारमना मुनि भक्त स्वाध्याय शास्त्री वार्ड, (सुभाष नगर) सागर (म.प्र.) प्रेमी सुजानगढ़ निवासी श्री मदनलाल सरावगी (छाबड़ा) का आकस्मिक देहावसान गत सोमवार दिनांक 29 सितम्बर 2003 वार्षिक कलशाभिषेक को अपने निवास स्थान में 78 वर्ष की आयु में हो गया है। आप अजमेर, परमपूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज पिछले तीन-चार वर्षों से अस्वस्थ्य चल रहे थे। एवं उनके परमशिष्य मुनि पुंगव १०८ श्री सुधासागर जी महाराज की पावन प्रेरणा एवं शुभाशीर्वाद से निर्मित हो रहे बहुउद्देशीय श्री अजित पाटनी दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र नारेली, अजमेर के वार्षिक शोक सभा का आयोजन कलशाभिषेक समारोह में भाग लेने के लिये हजारों की तादाद में आज श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघी जी, | अजमेर, किशनगढ़, नसीराबाद, छोटा लाम्बा, जेठाना, रूपनगढ, सांगानेर के प्रांगण में राजस्थान के राज्यपाल महामहिम श्री भवानीखेडा आदि स्थानों के पदयात्री आज प्रातः 10 बजे ज्ञानोदय निर्मलचन्द जी जैन, के आकस्मिक निधन पर शोक सभा का | तीर्थक्षेत्र पर बैण्ड बाजे के साथ जुलूस के रूप में पहुंचे जहाँ पर आयोजन किया गया। मानद मंत्री श्री निर्मलजी कासलीवाल ने ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा उनका तिलक लगाकर भावभीना बताया कि सांगानेर संघीजी जैन मंदिर के प्रति उनकी आस्था, हार्दिक अभिनंदन किया गया। श्रद्धा एवं विशेष लगाव था। इसीलिये उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल अजमेर की पदयात्रा का सोनीजी की नसियाँ से श्रीमान् का पद भार संभालने से पूर्व सपरिवार मंदिरजी में पधार कर | तिलोकचंदजी सोनी द्वारा हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया गया। हमारा व मंदिर का गौरव बढ़ाया। उनका मिलनसार व्यक्तित्व जिसका नया बाजार, मदारगेट, केसरगंज, लाल कोठी, मृदंग सिनेमा, हमारे लिये चिरस्मरणीय रहेगा। यह उनके धार्मिक, आध्यात्मिक | गांधीनगर, नेहरू नगर, नाका मदार जैन मंदिर पर भव्य स्वागत एवं सात्विक जीवन का ही परिणाम है कि मात्र चार माह के किया गया। पदयात्रा जुलूस के रूप में श्री आदिनाथ सभागार कार्यकाल में चार साल से पड़ रहा भीषण अकाल सुकाल में | भवन में पहुंची जहाँ जिनेन्द्र भगवान के कलश करने का सौभाग्य परिवर्तित हो गया। सर्व श्री ताराचंद पांडया केसरगंज, शान्तिलाल सेठी भवानीखेडा, इसके पश्चात् प्रबन्ध कारिणी कमेटी श्री दिगम्बर जैन पवनकुमार मोहनकुमार केसरगंज, मूलचंद कासलीवाल अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी सांगानेर के सदस्यों ने दो मिनट का मांगलियावास ने सौधर्म इन्द्र बनकर भगवान के कलशाभिषेक मौन रखकर णमोकार मंत्र के साथ भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित | किये। प्रो. सुशील पाटनी के नेतृत्व में श्री दि. जैन संगीत मंडल करते हुये उनकी दिवंगत पुण्य आत्मा की शांति के लिये भगवान द्वारा सुन्दर भजन प्रस्तुत किये गये। आदिनाथ जी से प्रार्थना की और वीर प्रभु से शोक संतप्त परिवार इसके पूर्व आज की धर्मसभा का शुभारंभ श्री हुकमचन्द को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की सेठी द्वारा प. पू. आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी एवं मुनि श्री कामना की। सुधासागर जी महाराज के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्जवलन से निर्मल कासलीवाल हुआ। केसरगंज समाज के नवयुवा अध्यक्ष श्री धर्मेशकुमार जैन मानद मंत्री जिन्होंने ज्ञानोदय तीर्थ पर अस्पताल का निर्माण कराया का भी विमोचन समारोह सम्पन्न समिति की ओर से भावभीना सम्मान किया गया। अमरकंटक क्षेत्र (शहडोल) दिनांक 28.9.03 रविवार . आज प्रात: ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र पर पंचपरमेष्ठी मंडल विधान को अपरान्ह चार बजे श्री सिद्धोदय अतिशय क्षेत्र अमरकंटक में | का आयोजन किया गया, जिसमें सैकडों धर्म बन्धुओं ने भाग पू. 108 संतशिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य | लिया। में डॉ. माणिकचन्द्र जी जैन (ब्र. माणिक भैया जी) सप्तम प्रतिमाधारी ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र के अध्यक्ष श्री भागचंद गदिया ने आये द्वारा लिखित 'स्वस्थ जीवन का आधार आयुर्वेद' पुस्तक का हुये सभी अतिथियों, पदयात्रियों तथा साधर्मी बन्धुगणों का आभार विमोचन सागर से पधारे श्री मुन्नालाल जी जैन वीरपुरा वाले व्यक्ति करते हुये बतलाया कि क्षेत्र के अधिकांश कार्य सन् 2004 लम्बरदार सागर के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर | तक पूर्ण हो जायेंगे तथा सन 2005 में आदिनाथ जिनालय का -अक्टूबर 2003 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524278
Book TitleJinabhashita 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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