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________________ 1 32 वर्षायोग : चातुर्मास 2003 साहित्यमनीषी ज्ञानवारिधि दिगम्बर जैनाचार्य प्रवर श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के द्वारा दीक्षितशिक्षित जैन श्रमण परम्परा के आदर्श सन्तशिरोमणि जैनाचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज तथा उनके द्वारा दीक्षित शिष्यों का वीर निर्वाण संवत् 2529 विक्रम संवत् 2060, सन् 2003 का वर्षायोग चातुर्मास विवरण : संतशिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागरजी महाराज, मुनिश्री समयसागरजी महाराज मुनिश्री योगसागरजी महाराज, मुनिश्री पवित्रसागरजी महाराज, मुनिश्री विनीतसागरजी महाराज, मुनिश्री निर्णयसागरजी महाराज, मुनिश्री प्रवचनसागरजी महाराज, मुनिश्री प्रसादसागरजी महाराज, मुनिश्री अभयसागरजी महाराज मुनिश्री अक्षयसागरजी महाराज, मुनिश्री प्रशस्तसागरजी महाराज, मुनिश्री पुराणसागरजी महाराज, मुनिश्री प्रयोगसागरजी महाराज मुनिश्री प्रबोधसागरजी महाराज, मुनिश्री प्रणम्यसागरजी महाराज, मुनिश्री प्रभातसागरजी महाराज, मुनिश्री चन्द्रसागरजी महाराज, मुनिश्री सम्भवसागरजी महाराज, मुनिश्री अभिनन्दनसागरजी महाराज मुनिश्री सुमतिसागरजी महाराज, मुनिश्री पद्मसागरजी महाराज, मुनिश्री चन्द्रप्रभसागरजी महाराज, मुनिश्री पुष्पदन्तसागरजी महाराज, मुनिश्री श्रेयांससागरजी महाराज, मुनिश्री पूज्यसागरजी महाराज मुनिश्री विमलसागरजी महाराज, मुनिश्री अनन्तगः रजी महाराज मुनिश्री धर्मसागरजी महाराज, मुनिश्री शान्तिसागरजी महाराज, मुनिश्री कुन्थुसागरजी महाराज, मुनिश्री अरहसागरजी महाराज, मुनिश्री महिसागरजी महाराज मुनिश्री सुव्रतसागरजी महाराज, मुनिश्री नमिसागरजी महाराज, मुनिश्री नेमीसागरजी महाराज, , कुल : 35 (1 आचार्य श्री 34 मुनिराज ) एवं 30 ब्रह्मचारीगण । आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के द्वारा दीक्षित प्रायः सभी साधुगण बाल ब्रह्मचारी हैं। जैन श्रमण परम्परा के ज्ञात इतिहास/जानकारी में यह प्रथम श्रमण संघ हो सकता है जिसमें वर्तमान दीक्षित 180 साधु एवं आर्यिकाएँ भी प्रायः बाल ब्रह्मचारिणी हैं 1 आचार्य श्री द्वारा ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण करने वाले देश के विभिन्न नगरों में लगभग 100 बाल ब्रह्मचारी भाई एवं 300 बाल ब्रह्मचारिणी बहनें भी चातुर्मास कर रही हैं। आचार्य श्री प्रतिदिन प्रातः काल 'कररावपाड़' पुस्तक द्वितीय संघस्थ साधुओं के लिए एवं अपराह्न काल 'रत्नकरण्डक श्रावकाचार' का स्वाध्याय श्रावकों को कराते हैं। अगस्त 2003 जिनभाषित Jain Education International * ܀ ܀ 2 प्रत्येक रविवार एवं विशिष्ट पर्व के दिनों में आचार्य श्री जी का सार्वजनिक प्रवचन मध्याह्न में 3 बजे से होता है। कटनी बिलासपुर रेलखण्ड पर अमरकण्टक के लिए निकटवर्ती रेलवे स्टेशन पेण्ड्रारोड 45 कि.मी. है। बिलासपुर से 101 कि.मी., डिण्डोरी से 80 कि.मी., बुढार से 85 कि.मी. पर अमरकण्टक है। दक्षिण भारत से आने वालेयात्री नागपुर बिलासपुर पेण्ड्रारोड, उत्तरभारत/दिल्ली आदि की ओर से आने वाले यात्री बीना-कटनी पेण्ड्रारोड होकर अमरकण्टक पहुँच सकते हैं। भोपाल से अमरकण्टक एक्सप्रेस सायं 4 बजे छूटती है । अमरकण्टक नैसर्गिक सौंदर्य, प्राकृतिक मनोरम दृश्य हरीतिमा के साथ ही सुप्रसिद्ध नर्मदा, सोन एवं जुहिला नदियों की उद्गम स्थली तथा हिल स्टेशन भी है। चातुर्मास स्थली श्री दिगम्बर जैन सर्वोदय तीर्थ, अमरकण्टक 484886 जिला शहडोल (मध्यप्रदेश ) 8:07629-269450, 269550 चेतन एस.टी.डी. 269612, 269619, 269620 सम्पर्क सूत्र (1) कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद जैन, अंकुर इंटरप्राइजेज, विनोबानगर, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 2: 07752-220076 (नि.) 220075 (का.) फेक्स 231422 (2) महामंत्री पी. सी. जैन 223688 (3) धर्मेश जैन, पेण्ड्रा 07751-254308 (4) वेदचन्द्र जैन पत्रकार पेण्ड्रारोड 250680 (5) डॉ. सुनील जैन डिण्डोरी - 07644-234149 (6) मनीष जैन बुढार 07652250110, 251120 मुनिश्री नियमसागरजी महाराज मुनिश्री अपूर्वसागरजी महाराज, मुनिश्री पुण्यसागरजी महाराज, मुनिश्री वृषभसागरजी महाराज, मुनिश्री सुपार्श्वसागरजी महाराज कुल : 5 मुनिराज, ब्रह्मचारीगण । चातुर्मास स्थली : श्री नेमीनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, मु.पो. तेरदाल - 587315 तालुका- जमखंडी जिला बीजापुर (कर्नाटक) संपर्कसूत्र : (1) बालगोंडा एम.पी. (2) चन्द्रकान्त जैन, सदलगा For Private & Personal Use Only : 08353-3355091 : 0831-651006 www.jainelibrary.org
SR No.524276
Book TitleJinabhashita 2003 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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