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में शांति हो। यहाँ पर हुए जीर्णोद्धार के कार्य को भी देखा जो कि पुरातत्व को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। इन निर्माण कार्यों से पुरातत्व की हानि नहीं हुई है। प्राचीन शिखर यथा स्थिति में है, पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को भी देखा उस रिपोर्ट में भी मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रशंसा की गई है। हम भी इस जीर्णोद्धार की प्रशंसा करते हैं पुरातत्व संरक्षण के लिये जो कार्य मंदिर समिति के द्वारा करवाये जा रहे हैं इसका वास्तव में जीवन्त स्वरूप देखना हो तो सांगानेर दिगम्बर जैन मंदिर संघीजी में देखा जा सकता है ।
यहाँ मुख्य मूर्ति आदिनाथ भगवान् की पुरा महत्त्व की है। और लगभग 4000 वर्ष से भी पूर्व की बताई गई है ऐसा मुझे भी प्रतीत होता है।
प्रबन्धकारिणी के पदाधिकारियों को मौके पर बतला दिया गया है कि देवालय के जीर्णोद्धार में देवालय के मूल स्वरूप में किसी प्रकार परिवर्तन नहीं किया जावे तथा जो कार्य मंदिर के मूल भाग से संबंधित हो उसके बारे में पुरातत्व विभाग से राय प्राप्त की जावे, जिसके बारे में प्रबंधकारिणी के सदस्य सहमत हैं।
हस्ताक्षर श्रीमती भावना चिखलीया केन्द्रीय राज्यमंत्री संस्कृति एवम् पर्यटन तथा संसदीय कार्य भारत सरकार, नई दिल्ली
कृपया वस्तुस्थिति अवलोकनार्थ एवं अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रस्तुत है।
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श्री निर्मल कासलीवाल,
मानद मंत्री, प्रबन्धकारिणी कमेटी,
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संभीजी, सांगानेर विषय श्री दिगम्बर जैन मंदिर संघीजी, सांगानेर के शिखर व अन्य जीर्णोद्धार मरम्मत की अनुमति ।
महोदय,
उपरोक्त विषय में अधीक्षक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, जयपुर व्रत जयपुर के सुझावानुसार आप निर्माण कार्य करा सकते हैं।
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हस्ताक्षर निदेशक
भवदीय हस्ताक्षर निदेशक
मंत्री,
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी, सांगानेर। विषय : श्री दिगम्बर जैन मंदिर संपीजी, सांगानेर के संरक्षण कार्य बावत्।
प्रसंग : आपका पत्र क्रमांक 9136 दिनांक 21.06.2003 महोदय,
उपर्युक्त विषयान्तर्गत आपके प्रसंगोक्त पत्र के साथ प्रस्तुत परियोजना के पेज संख्या 19 से 22 पर प्रस्तावित संरक्षण कार्यों की सहमति इस कार्यालय के पूर्व पत्र क्रमांक 882 दिनांक 24.01.2001 तथा 1235 दिनांक 31.01.2001 के क्रम में, निम्नांकित शर्तों पर दी जाती है
1. स्मारक का संरक्षण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व वर्तमान स्थिति के फोटोग्राफ्स उपलब्ध कराने होंगे, उसके पश्चात् ही व्यवहारिक रूप में संरक्षण कार्य प्रारम्भ कराया जायेगा ।
2. स्मारक के संरक्षण कार्य में लाई जाने वाली सामग्री स्मारक में मूल प्रयुक्त निर्माण सामग्री के अनुरूप ही काम में ली जावेगी।
3. स्मारक के मूल स्वरूप के स्थापत्य के अनुरूप संरक्षण कार्य कराना होगा।
4. उक्त कार्य विभाग की तकनीकी समिति के अधिकारियों की देखरेख में / निर्देशानुसार कराना होगा और कार्यों की गुणवत्ता संतोषप्रद नहीं होने या निर्माण सामग्री सही नहीं होने पर विभागीय प्रतिनिधि द्वारा कभी भी कार्य रूकवाया जा सकेगा।
5. कराये जाने वाले संरक्षण कार्यों का समस्त व्यय प्रन्यास को वहन करना होगा।
उपर्युक्त सहमति माननीय मंत्री, कला, संस्कृति एवं पुरातत्त्व की अनुमति आई.डी. संख्या 219/एम./ए. एण्ड सी./ 03 दिनांक 26.06.2003 के अनुसरण में जारी की जाती है।
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हस्ताक्षर निदेशक
राजस्थान सरकार
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, जयपुर
• अगस्त 2003 जिनभाषित
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