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वाग्वर क्षेत्र का सुन्दर सृजन: वाग्वर सम्मेद शिखर
पर्वत रचना
राजस्थान के बांसवाड़ा-डूंगरपुर जिले में बना वाग्वर क्षेत्र प्राचीनकाल से धर्म से युक्त प्राचीन जिनालयों से विभूषित पांडवों की जोगस्थली माही, अनास नदियों की रंग स्थली, चर्तुविध संघों की चातुर्मास स्थली, स्नेहीजनों की आवास स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। इसी वाग्वर क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले के नौगामा ग्राम में सुक नदी व नाला की संगम स्थली पर प्राचीन पाषाण निर्मित नसियाजी मंदिर है। मंदिर में श्याम पाषाण का प्राचीन स्तूप दर्शनीय है, जिसके ऊर्धभाग पर सिद्ध परमेष्ठी, मध्य भाग में अरहंत परमेष्ठी व अधोभाग में आचार्य, उपाध्याय व साधु परमेष्ठी के आकार अंकित हैं। स्तूप पर सं. 1591 के लेख व जैनाचार्यों के नाम अंकित हैं। निकट ही सोलह पगी छतरी के सोलह खम्भों पर जैनाचार्यों के आकार अंकित हैं।
नौगामा दिगम्बर जैन समाज द्वारा इस प्राचीन क्षेत्र पर वाग्वर सम्मेद शिखर पर्वत रचना करने का निर्णय किया गया। क्षेत्र पर कृत्रिम रूप से 25 टोंकें ऊँची नीची पहाड़ियों पर बनाये गये। इन्हीं पहाड़ियों में ही गन्धर्व नाला, शीतल नाला की रचना की गई। सम्मेद शिखर की तरह ही जलमंदिर व मानतुंगाचार्य, गुणभद्राचार्य, भद्रबाहु आचार्य व पार्श्वनाथ गुफा का निर्माण हुआ। इस क्षेत्र पर वंदना करते हुए यात्री कई बार भ्रम में पड़ जाता है कि कहीं वह वास्तविक रूप से शिखरजी की यात्रा कर रहा है। शीतल जल के फुब्बारे से सज्जित जल मंदिर हिरण, शेर, सूखे पेड़ पर बैठे वानर की प्रतिकृति, शीतल छाँव से युक्त गुफाएँ आदि देखकर यात्री भाव-विभोर हो जाते हैं और उन कारीगरों की भूरी-भूरी
नरेन्द्र जैन
प्रशंसा करने लगते हैं, जिन्होंने अपने हाथों से पत्थर को भी मोम बना दिया है।
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एक किवदन्ती के अनुसार यहाँ जो भक्त अपनी मनोकामना मांगता था वह पूरी हो जाती थी जिससे यह क्षेत्र आसपास के जैन जैनेतर समाज में अगाध श्रद्धा का केन्द्र बन गया है।
क्षेत्र परिसर में आसपास छितराई हुई काली चट्टानें, जलमंदिर के पीछे की ओर कल-कल बहती सरीता द्वय, आस्ट्रेलियन घास युक्त पुष्पपाटिका, शीतल जल युक्त गंधर्व नाला, शीतल नाला, गुलाब, जुही, मोगरा पुष्पों के सुवासित महक, टोंकों के शिखर से गूंजती घण्टियों की मधुर खनक, क्षेत्र परिसर में बहती शीतल बयार, पहाड़ियों के आसपास उगी लताकुंज, वृक्ष आदि से ऐसा लगता है मानो प्रकृति यहाँ पर टूट पड़ी हो। भगवान् महावीर की श्यामवर्ण प्रतिमा, मानस्तम्भ, कलात्मक रूप से बना चुग्गादाना, स्तम्भ आदि इस क्षेत्र की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं। प्रकृति की गोद में बसा नसीबाजी अतिशय क्षेत्र "वाग्वर सम्मेद शिखर पर्वत रचना" के नाम से जैन तीर्थ के नक्शों में अपनी अमिट छाप छोड़ रहा है।
आग्रह है पूज्य संतगण, श्रद्धेय विद्वत्जन व श्रीमंत श्रेष्ठी वर्ग से कि वे ' वाग्वर सम्मेद शिखर रचना' के विकास में सार्थक पहल कर एवं इसे पुष्पित, पश्चिवित करने में अपनी सार्थक भूमिका का निर्वहन करें। क्षेत्र पर धर्मशाला, संत निवास, प्रवचन हाल के निर्माण की योजनाएँ प्रस्तावित हैं ।
नसीया टेलिकाम सेंटर, नौगामा
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• अगस्त 2003 जिनभाषित
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