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________________ समाचार समन्तभद्र विद्या विहार का भव्य शभारंभ । सहित काफी विद्वज्जनों ने अध्यापन सेवाएँ दी। शिविर संयोजन नन्दनवन धरियावाद जिला उदयपुर (राज.) में जैन दर्शन श्री शांतिलाल जी डागरिया सहित सम्पूर्ण टीम ने शिविर संयोजन के महान संत दूसरी सदी के वाग्भट आचार्य समन्तभद्र के नाम से का भार सम्भाला। एक शिक्षण संस्थान 2 जुलाई से प्रारंभ किया गया है। शिविरार्थियों की सेवामें नि:शुल्क भोजन एवं पाठ्य पुस्तकों परमपूज्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज की सुविधा दी गयी। की पट्ट परम्परा के द्वितीय पट्टाधीश आचार्य शिवसागर जी महाराज विदित रहे पिछले 5 वर्षों से ग्रीष्मावकाश में इसी तरह के की शिष्या, जैन सिद्धान्त एवं दर्शन की मर्मज्ञ विदुषी आर्यिका श्री शिक्षण शिविर धरियावाद में लगाए जा रहे हैं। 105 विशुद्धमति माताजी (सतना) ने अपनी द्वादश वर्षीय सल्लेखना _ शांतिलाल जैन,धरियावद के अन्तिम 5 वर्ष नन्दनवन की भूमि पर साधना करते हुए समाधि अजमेर के महावीर सर्किल पर निर्मित भव्य पूर्वक मरण किया। अहिंसा स्तूप का लोकार्पण इसी तप:पूत भूमि पर आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि महाराज के आशीर्वाद से संस्थापक श्री क्षेत्र सिद्धान्त तीर्थ संस्थान भगवान् महावीर के अहिंसा तथा जीओ और जीने दो के संदेश को नन्दनवन ने संस्था के अन्तर्गत समन्तभद्र विद्या विहार शिक्षण देश के कोने-कोने के साथ-साथ देश की सीमा से बाहर पहुँचाएं। संस्था को प्रारंभ किया है। श्री गहलोत बुधवार को दिनांक 31.7.2002 को मध्याह्न अजमेर संस्थापक श्री हंसमुख जैन प्रतिष्ठाचार्य के अनुसार निकट में महावीर सर्कल पर नगर सुधार न्यास द्वारा देश में एक मात्र भविष्य में इस शिक्षण संस्था को 300 बीघा जमीन पर फैला कर निर्मित अहिंसा स्तूप के लोकार्पण के पश्चात् आयोजित विशाल उच्चतम शिक्षा, छात्रावास आदि को रूप दिया जावेगा। इस शिक्षण | समारोह को संबोधित कर रहे थे। में एक कालांश जैन दर्शन की शिक्षा को अनिवार्य रखा गया है। हीरा चंद जैन इस वर्ष इस शिक्षण संस्था में 175 बालकों ने प्रवेश लिया चतुर्थ आत्म-साधना शिक्षण शिविर है, संस्था तक लाने ले जाने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध है। दिनांक - 1-12-2002 से 8-12-2002 शिक्षण के साथ-साथ बालकों को नैतिक एवं चारित्रिक अत्यन्त हर्ष का विषय है परमपूज्य आचार्य 108 श्री उन्नयन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेद कलिकाल के बढ़ते हुए इस भौतिक माहौल में सुख- | शिखरजी के पादमूल में स्थित, प्राकृतिक छटा से विभूषित, उदासीन शांति एवं संतोष पूर्वक निरापद जीवन कैसे जी सकें, शिक्षा के आश्रम इसरी बाजार में बाल ब्र. पवन भैया, कमल भैया, विद्वान साथ-साथ कलाओं की सुगंधी जीवन में कैसे बढ़ सके इन सम्पूर्ण ] भाई श्री मूलचन्द्र जी लुहाड़िया आदि के सान्निध्य में चतुर्थ आत्मविषयों को मध्यगत रखते हुए अनुशासन, स्वच्छता एवं सादगी के साधना शिक्षण शिविर का आयोजन होने जा रहा है। इस शिविर साथ इस संस्था ने शिक्षण देने का संकल्प किया है। का मुख्य लक्ष्य होगावर्तमान में कक्षा तीन तक के अध्ययन कराये जा रहे हैं। इस बहुमूल्य पर्याय का अवशिष्ट समय किस प्रकार बिताया प्रतिवर्ष 1-1 कक्षा की वृद्धि करते हुए कक्षा 6 से बालक- जाये ताकि आत्मा का विकास हो सके। बालिकाओं के पृथक् विभाग के साथ-साथ छात्रावास सुविधा भी समस्त इच्छुक धर्मानुरागी भाई बहनों से अनुरोध है कि दिये जाने का प्रावधान है। 15-11-2002 तक आश्रम में लिखित सूचना भेज देवें ताकि ए.के.जैन | आवास एवं भोजनादि की समुचित व्यवस्था की जा सके। जिला उदयपुर (राज.) विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करें ___ 1. श्री नरेश कुमार जैन, सूरज भवन, स्टेशन रोड़, पटना धार्मिक शिक्षण शिविर सम्पन्न फोन नं. 231693 2. श्री माणिक चंद जैन गंगवाल, मे. माणिक धरियावाद जिला उदयपुर में परम पूज्य आर्यिका | चंद, अशोक कुमार कुंजलाल स्ट्रीट अपर बाजार राँची, (झारखंड) सुप्रकाशमती माताजी के सानिध्य में एवं प्रतिष्ठाचार्य श्री हंसमुख फोन नं. (आ.) 203796, 315420 3. श्री पारसमलजी पाटनी, जी जैन के निर्देशन में छह दिवसीय धार्मिक शिक्षण शिविर दिनाँक | एफ ई./285 (टैंक नं. 12 के निकट) साल्ट लेक सिटि, कोलकाता22 से 27 जून तक सानन्द सम्पन्न हुआ। 700091 फोन नं. - 3349032 4. श्रीमती हीरामणी छाबड़ा इस शिविर में स्थानीय के अतिरिक्त 22 गाँवों के शिविरार्थियों | "पंकज' 188/1 जी, मनिकतल्ला मेंन रोड, कोलकाता 700054 ने भाग लिया शिविरार्थियों की संख्या 450 रही शिक्षणों में जैन | फोन - 3580755 धर्म 1,2,3,4 भाग, छहढाला एवं श्रावक संस्कार विषयों का निवेदक - अध्ययन कराया गया। ट्रस्टी व कार्यकारिणी समिति के सदस्यगण श्री पार्श्वनाथ पूज्य माताजी सुप्रकाशमती जी, प्रतिष्ठाचार्य श्री हंसमुख | दिगम्बर जैन शांति निकेतन उदासीन आश्रम जैन, पं. भागचन्द्र जी जैन, पं. आदेश्वर जी, पं. मोतीलाल जी | इसरी बाजार (गिरिडीह) झारखंड फोन - 06558-33158 -सितम्बर 2002 जिनभाषित 25 व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524266
Book TitleJinabhashita 2002 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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