________________
सम्पादकीय
• जैन पंचायत गुवाहाटी का सराहनीय कदम
'जिनभाषित' के सितम्बर 2001 के अंक में हमने स्व. पं. जुगलकिशोर जी मुख्तार का एक पुराना लेख ' भवाऽभिनन्दी मुनि और मुनिनिन्दा' पुनर्मुद्रित किया था। पण्डित जी ने उसमें दिगम्बर जैन परम्परा में उद्यमुनियों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के लिए जैन श्रावकों का आह्वान किया है। कारण यह है कि जैसे सच्चे मुनियों के उज्ज्वल आचरण से धर्म की प्रचुर प्रभावना होती है, वैसे ही छद्ममुनियों का कुत्सित आचरण धर्म के उज्ज्वल मुख पर गाढ़ी कालिख पोत देता है। दश सच्चे मुनि मिलकर धर्म को जितना यशस्वी बनाते हैं, एक छद्ममुनि अकेला ही उस सब पर पानी फेरने में सफल हो जाता है। कहावत है कि एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है। अतः जिनतीर्थ के शाश्वत प्रवर्तन के लिए श्रावकों को इस बात की निगरानी करना जरूरी है कि दिगम्बर जैन परम्परा में छद्ममुनियों की दाल न गल पावे।
माननीय मुख्तार जी ने उपर्युक्त लेख में लिखा है "मुनियों को बनाने और बिगाड़ने वाले बहुधा गृहस्थ श्रावक होते हैं और वे ही उनका सुधार भी कर सकते हैं, यदि उनमें संगठन हो, एकता हो और वे विवेक से काम लेवें। उनके सत्प्रयत्न से नकली, दम्भी और भेषी मुनि सीधे रास्ते पर आ सकते हैं। उन्हें सीधे रास्ते पर लाना विवेकी विद्वानों का काम है।"
आज जहाँ आगमानुकूल चर्या करनेवाले सच्चे मुनियों के अनेक संघ विद्यमान हैं, वहीं छद्यमुनियों की भी बाढ़ आ रही है, जिनका अवांछनीय भ्रष्ट आचरण निर्मल जिनशासन को मलिन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। समय आ गया है कि अब श्रावक संगठित होकर छद्ममुनियों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के अपने कर्त्तव्य का पालन करें और जिनशासन को कलांकित होने से बचायें।
गुवाहाटी की जैन पंचायत ने इस दिशा में स्वागतयोग्य पहल की है। छद्यमुनियों के भ्रष्ट आचरण से पीड़ित होकर पंचायत की कार्यकारिणी सभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जो अत्यन्त सराहनीय है। उक्त प्रस्ताव 'जैन गजट' (27, जून 2002 ) में प्रकाशित हुआ है। उसे यहाँ ज्यों का त्यों उद्धृत किया हा रहा है
प्रस्ताव
दि. 25.5.2002 को श्री दि. जैन पंचायत, गुवाहाटी की कार्यकारिणी सभा में निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गये
१. श्री दि. जैन गुवाहाटी की कार्यकारिणी समिति की यह सभा कतिपय दिगम्बर साधु संतों में व्याप्त व्यापक शिथिलाचार पर गहन चिन्ता व्यक्त करती है। साथ ही सभा सर्वसम्मति से यह
Jain Education International
निर्णय लेती है कि कोई भी दिगम्बर जैन साधु या साध्वी निम्नलिखित शिथिलाचारों में लिए देखा जाता है तो उस साधु को या साध्वी को श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी कभी भी चातुर्मास हेतु या अल्पकालीन प्रवास हेतु श्रीफल भेंट कर गुवाहाटी आने का निमन्त्रण नहीं देगी तथा ऐसा साधु या साध्वी अगर स्वयं चलकर गुवाहाटी आ जाये तो उसे ठहरने हेतु महावीर भवन या अन्य स्थान उपलब्ध नहीं करायेगी। इस प्रकार के शिथिलाचारी साधु या साध्वियों की यह पंचायत पूर्ण रूप से उपेक्षा करेगी तथा उन्हें आहारआदि के लिए भी निवेदन नहीं करेगी।
शिथिलाचार के मुख्य बिन्दु एकल विहारी साधु सा साध्वी संघ में परिग्रह संग्रह करने की प्रवृत्ति पदलोलुपता, उपाधि लोलुपता, मठ मन्दिर तथा नवीन तीर्थ निर्माण करने की होड़ / योजना चन्दा चिट्ठा संग्रह करने की प्रवृत्ति
अकेली स्त्रियों को संघ में रखने की प्रवृत्ति टेलीफोन, मोबाईल फोन, फ्रिज, एयर कन्डीशनर, टी.वी. कैमरा आदि का मोह चारित्रिक ख्याति लाभ करने की प्रतिस्पर्धा अपने विचारों से असहमति रखने वालों के प्रति असहिष्णुता समाज में विघटन पैदा करने की प्रवृत्ति ।
२. उपर्युक्त शिथिलाचारी साधु या साध्वियों को श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी की अनुमति के बिना कोई भी दिगम्बर जैन समाज गुवाहाटी का सदस्य या उससे जुड़ी हुई कोई भी संस्था गुवाहाटी में निमन्त्रण नहीं कर सकती है और न ही उन्हें अपने निवास स्थान पर या अन्य किसी भी सदस्य के घर में या अन्य किसी सार्वजनिक धर्मशाला में या अन्य स्थान में ठहरा सकती है। अगर कोई भी व्यक्ति या संस्था इस निर्णय के विरुद्ध कार्य करेगी, तो श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी को यह अधिकार रहेगा कि वह उस साधु या साध्वी को गुवाहाटी से वापस भेज देवें तथा ऐसे सदस्यों या संस्थाओं के विरुद्ध श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी द्वारा सामाजिक निन्दा प्रस्ताव पास किया जायेगा। समाज की सदस्यता निरस्त कर दी जायेगी। उनको एवं उनके परिवार को समाज की कोई भी सुविधा जैसे महावीर भवन या अन्य भवन आबंटित नहीं किया जायेगा तथा अन्य कोई भी सुविधा नहीं दी जायेगी।
इस प्रकार की कोई भी उचित कार्यवाही श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी करेगी।
३. श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी की कार्यकारिणी की यह सभा दि. 03.02.2002 रविवार को गुवाहाटी के श्री महावीर भवन में आयोजित समस्त पूर्वांचल के दिगम्बर जैन समाज के प्रतिनिधियों की सभा में शिथिलाचार पर जो प्रस्ताव पारित किया गया था, उस प्रस्ताव की पूर्ण रूप से अनुमोदना करती है।
- अगस्त 2002 जिनभाषित
For Private & Personal Use Only
5
www.jainelibrary.org