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________________ रजि.नं.UP/HIN/29933/24/1/2001-TC डाक पंजीयन क्र.-म.प्र./भोपाल/588/2002 जीवन क्या है? जीवन क्या है? जीव-विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने बहुत अधिक खोज की है। जैनेटिकल इंजीनियरिंग, क्लोनिंग तथा जैनोम जैसी नयी खोजों ने आज आम आदमी को आश्चर्य में डाल दिया है। इन सब के बावजूद भी अभी वैज्ञानिकों के सामने अनुत्तरित रहस्यों की कमी नहीं है। बुढ़ापा तथा मृत्यु क्यों आती है ? पृथ्वी पर जीवन का प्रारम्भ कब और कैसे हुआ? जीवन कहां से आया? आखिर जीवन है क्या? आज कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका विज्ञान के पास कोई संतोषजनक उत्तर नहीं है। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि इन विषयों पर जैनदर्शन में काफी प्रकाश डाला गया है। डॉ. अनिल कुमार जैन ने अपनी पुस्तक “जीवन क्या है" में जैनदर्शन और आधुनिक विज्ञान के सन्दर्भ में ऐसे ही कुछ अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान तलाशने की कोशिश की है। इस पुस्तक से जीव-विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को भी कुछ और नया चिंतन प्रस्तुत करने की प्रेरणा (डॉ.) अनिल कुमार जैन किताब- जीवन क्या है? लेखक- डॉ. अनिल कमार जैन प्रकाशक - विद्या प्रकाशन मंदिर, नई दिल्ली मूल्य-30 रूपये मात्र प्राप्ति स्थान - श्री एस.एल. जैन, संरक्षक, मैत्री समूह ई-2/161, अरेरा कॉलोनी, भोपाल-462016. भक्ति गीत 5 भक्ति -गीत भगवान महावीर की 2600 वी जन्म जयन्ती पर मैत्री समूह की विनम प्रस्तुति इन दिनों जब भजनों के नाम पर फिल्मी धुनों पर बजते गीतों की भरमार है, ऐसे में "भक्तिगीत एक अनूठा प्रयास है। आचार्यश्री विद्यासागर के परम शिष्य मुनिश्री क्षमासागरजी की प्रेरणा से तैयार भजनों का कैसेट "भक्ति गीत "में आध्यात्मिक भजनों को शामिल किया गया है। यह कैसेट मैत्री समूह की विनम प्रस्तुति है। "भक्ति गीत में भागचंदजी, भूधरदासजी, दौलतरामजी एवं भैयाजी के द्वारा रचित भजनों को लिया गया है। इन भजनों को अजय सारस्वत, डॉ.रवि भटनागर औरप्रेरणा केशव ने स्वरदिये हैं। संगीत निर्देशन डॉ. रवि भटनागर ने किया है। सुगम संगीत की धारा में परम्परागत भजन "अब मेरे समकित सावन आयो", "जो जो देखी वीतराग ने", "भगवन्त भजन क्यों भूलारे", "हम तो कबहुँन निज घर आये"आदिमधुर प्रस्तुति हैं। कैसेट- भक्ति गीत प्रस्तुति-मैत्रीसमूह मूल्य-25 रूपये मात्र प्राप्ति स्थान-पन्नालाल बैनाड़ा 1/205, प्रोफेसर कॉलोनी, आगरा-282002 प्रेरणा स्रोत: मुनिक्षमा सागरजी स्वर : अजय सारस्वत डॉ. रवि भटनागर * प्रेरणा केशव स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, जोन-1, महाराणा प्रताप नगर, भोपाल (म.प्र.) से मुद्रित एवं सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कालोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) से प्रकाशित। Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.524262
Book TitleJinabhashita 2002 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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