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________________ प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य नाशक मोटापा | समृद्ध एवं श्रमविरत समाज का विकृत आभूषण है- मोटापा । बैठे-ठाले जीवन का दर्पण है मोटापा । गलत आहार-विहार एवं चिन्तन के दुष्परिणाम स्वरूप प्रकृतिप्रदत्त दण्ड है मोटापा समृद्ध लोग बाहर तो जमाखोरी करते ही हैं, अपने शरीर के अंदर भी चर्बी के रूप में जमाखोरी करते हैं। आज का आदमी स्वास्थ्य को लक्ष्य मानकर नहीं खाता है, स्वाद के आकर्षण में बीमारी के लिए खाता है। हमारे बड़े बुजुर्ग कहते थे कि आमद कम और खर्चा ज्यादा, ये लक्षण मिट जाने के। कूबत कम और गुस्सा ज्यादा, ये लक्षण पिट जाने के ।। इसी प्रकार खाना महत्त्वपूर्ण नहीं है, पचाना महत्त्वपूर्ण है । खाना वही हितकर है जो पचकर हमारे शरीर में अवशोषित होकर रस में परिवर्तित हो, न कि चर्बी के रूप में जमा हो । क्या आप जानते हैं कि 1. प्रतिदिन मात्र एक ग्लास दूध और 3 ब्रेड के स्लाइस अतिरिक्त लेने से प्रतिवर्ष 12 कि.ग्रा. अतिरिक्त वजन बढ़ जाता है। मोटापाग्रस्त लोगों में वजन बढ़ाना सरल होता है, लेकिन वजन घटना कठिन होता है। एक मोटे व्यक्ति को एक कि.ग्रा. वजन कम करने के लिए प्रतिदिन कम से कम 6000 कैलोरी शक्ति खर्च करनी पड़ती है। 5. मोटापे से 1. मधुमेह 2. उच्च रक्तचाप 3. विभिन्न हृदय रोग 4. फ्लेट फुट 5. घुटने-नितम्ब - कमर का अस्थि संधिवात 6. गठिया 7. सायटिका 8. गाउट 9. रयूमेटिक दर्द 10. श्वास कष्ट 11. हार्निया 12. कोलाइटिस 13. पित्ताशय रोग 14. बेरिकोज वेन्स 15. गुर्दे के विभिन्न रोग 16. नपुंसकता 17. स्त्री संबंधी रोग 18. स्नायविक रोग 19. आयु का कम होना 20 सौंदर्य का नाश आदि विकृतियाँ उत्पन्न होती हैं । 20 मई 2002 जिनभाषित Jain Education International "जितनी मोटी कमर उतनी छोटी उमर मोटापे के निम्न लक्षण हैं 1 1. सामान्य से अधिक वजन हो जाता है। 2. श्रम का कार्य करने से श्वास फूल जाती है । 3. हिम्मत की कमी आती है और कुछ कर गुजरने की क्षमता का ह्रास हो जाता है। 4. तुरन्त सोचने की शक्ति कम हो जाती है। इस प्रकार तन और मन दोनों ही किसी परिश्रमसाध्य कार्य करने से डर जाते हैं। 5. आलस्य रहता है और अधिक निद्रा आती है। डॉ. रेखा जैन 6. मन पर संयम नहीं रहता, इस प्रकार सामान्य से अधिक खाया जाता है। 7. रक्तचाप का उच्च होना, मधुमेह, दमा तथा संधिवात जैसे रोग हो सकते हैं। इसके साथ-साथ चेहरे का सौन्दर्य भी चला जाता है। 8. शरीर बेडौल हो जाता है। कारण 2. 1 कि.ग्रा. वजन अतिरिक्त बढ़ने पर हृदय को 10 मील लंबी रक्त वाहिनियों में रक्त भेजना पड़ता है। इससे हृदय की कार्य क्षमता कम होने लगती है। 5. कब्ज के कारण कभी-कभी मोटापा, कब्ज के रोगियों 3. मोटे लोगों की रक्त वाहिनियों में कोलेस्टरॉल लाइपोप्रोटीन को भी हो सकता है। तथा अन्य तत्त्व जमकर उसे सँकरी बना देते हैं। फलतः स्थरी 6. मदिरापान, फास्ट फूड एवं मैदे से बने भोज्य पदार्थों स्केलरोसिस, उच्च रक्तचाप तथा अन्य रक्त संचार संबंधी रोग से भी मोटापा आता है। उत्पन्न होते हैं। 4. मांसपेशियों पर चर्बी जमा होने के कारण डायफ्राम के कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। फलतः श्वास संबंधी रोग होते हैं । रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। 7. महिलाओं में मोटापा गर्भ निरोधक गोलियाँ लेने से भी आ जाता है। प्राकृतिक उपचार 1. संपूर्ण शरीर का वाष्पस्नान सप्ताह में दो-तीन बार देकर ठंडे जल से स्नान करें। 2. दोनों समय प्रतिदिन ठंडा स्नान कराते हैं, फिर टहलने के लिए भेजते हैं। 3. प्रतिदिन आधा घंटा धूपस्नान, तदुपरांत ठंडे जल से 1. परिश्रम न करना 2. कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं तला भुना भोजन सामान्य से अधिक मात्रा में खाने पर । 3. वंशानुगत कभी-कभी यह पीढ़ी दर पीढ़ी भी होता है। 4. Harmones और Metabolism की अव्यवस्था के कारण । स्नान । 4. सप्ताह में एक बार गीली चादर लपेट देकर सूखा घर्षण स्नान देते हैं। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524262
Book TitleJinabhashita 2002 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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