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1976 में अध्यक्षता की, यू.पी.सी. एवं एन.सी.ई.आर.टी. | उदारमना व्यक्तित्व के धनी श्री संतोष कुमार बजाज दिल्ली तथा मानव संसाधन विभाग (भारत सरकार) की | देवरी (सागर) ने किया। समितियों के मानद सदस्य भी रहे। इनके अतिरिक्त भी | श्रीपाल जी 'दिवा' भोपाल, श्री बाबूलाल जी अनेक विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध रहकर उन्होंने संस्कृत | अशोकनगर ने अनेकान्त ज्ञानमंदिर को एक आदर्शपूर्ण प्राकृत एवं अपभ्रंश विषय के विकास तथा उसे लोकप्रिय संस्था कहा। संस्थान के मंत्री श्री पी.सी. जैन ने वर्ष की बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इन उपलब्धियों के | रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रो. रतनचन्द्र भोपाल ने अनेकान्त लिये डॉ. जैन को अनन्त बधाइयाँ।
ज्ञानमंदिर को मोक्षमार्ग के मंदिर की उपमा दी और कहा गोपाल प्रसाद, व्याख्याता-प्राकृत विभाग कि आज जहाँ चारों ओर पंचकल्याणकों कर्मकाण्डों का
ह.दा. कॉलेज, आरा (बिहार) ही बोलबाला हों, ऐसे वातावरण में ब्र. संदीप जी 'सरल' अनेकान्त ज्ञानमंदिर बीना का ने सबसे हटकर माँ जिनवाणी की जो उपासना करने का
व्रत लिया है, वह प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है। दशम स्थापना समारोह सम्पन्न ।
. क्षु. 105 निशंकसागर जी महाराज का मंगल बीना (सागर) म.प्र. सन् 1992 में प्राचीन, विलुप्त,
प्रवचन हुआ। आपने ज्ञान की प्रभावना को ही सच्ची जैन वाङ्मय के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए स्थापित अनेकान्त
प्रभावना बतलाया। ज्ञानमंदिर शोधसंस्थान, बीना का दसवाँ स्थापना दिवस
श्रुतमहोत्सव के इस कार्यक्रम में स्थानीय जिनवाणी समारोह 20 फरवरी 2002 को परम पूज्य गुरुवर श्री 108 | उपासकों के अतिरिक्त गाजियाबाद, जबलपुर, भोपाल, सरलसागर जी महाराज के पावन आशीर्वाद से क्षु. 105 अशोकनगर, पिपरई, देवरी, ललितपर, मैंगावली, गढ़ाकोटा निशंकसागर जी महाराज के सान्निध्य में एवं संस्था आदि स्थानों से भी श्रावकगण पधारे । कार्यक्रम का संस्थापक ब्र. संदीप जी 'सरल' के कुशल मार्गदर्शन में सफल संचालन ब्र. संदीप 'सरल' जी ने किया। कार्यक्रम आशातीत सफलता के साथ सम्पन्न हुआ।
लेखकों के लिये अपूर्व अवसर कार्यक्रम का प्रारम्भ 19 फर. को दोप. 1:30, पर
चिन्तनशील लेखकों के लिये यह जानकर प्रसन्नता भक्तामर स्तोत्र के पाठ से हुआ। 20 फरवरी को
होगी कि श्री दि. जैन साहित्य संस्कृति समिति के श्रुतधाम में प्रात 9.15 बजे सरस्वती पूजन हुई। दोपहर
सुश्रावक श्री शिखरचन्द्र जैन, नई दिल्ली ने भ. महावीर 2 बजे से 'श्रुत महोत्सव का कार्यक्रम ब्र. शैला दीदी के
के 2600वें जन्म कल्याण समारोह वर्ष को सार्थक बनाने मंगलाचरण से प्रारम्भ हुआ। दीप प्रज्ज्वलन प्रो. रतनचन्द्र
हेतु भ. महावीर द्वारा प्रतिपादित 'अहिंसा' विषय पर जी भोपाल ने किया। 10 मंगल कलशों से माँ जिनवाणी
सर्वोत्कृष्ट ग्रन्थ पर 51000/- रुपयों के पुरस्कार की की आरती की गई। क्षु. 105 निशंकसागर जी महाराज,
घोषणा की है। यह पुस्तक मौलिक होने के साथ-साथ ब्र. संदीप भैया जी, ब्र. महाबल जैन को शास्त्र भेंट किये गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. रतनचन्द्र जी भेपाल ने
रोचक शैली तथा सरल भाषा में सर्वगम्य होना चाहिये। की। मुख्य अतिथि के रूप में आगत श्री बाबूलाल जी
वर्तमानकालीन विषम समस्याओं के समाधान में अशोकनगर ने अनेकान्त भवन ग्रन्थरत्नवली-3 का विमोचन | आहिसा का उपयोगिता, साथ हा जनतर प्राच्य एव किया। आमंत्रित अतिथियों में वैद्य शीलचंद जी, मुंगावली,
पाश्चात्य चिन्तकों द्वारा प्रतिपादित अहिंसा की परिभाषाओं श्री यू.के. जैन गाजियाबाद, श्री प्रभात जैन जबलपुर, श्री
से जैन अहिंसा के वैशिष्ट्य का प्रतिपादन भी उसमें संतोष जैन देवरी, श्रीपाल 'दिवा' भोपाल, श्री महेन्द्र
अनिवार्य है। इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक कुमार जैन पटनाबुजुर्ग आदि का भी सम्मान किया गया। |
होगा कि उसमें इतर धर्मों के प्रति छींटाकशी न हो तथा मुख्य वक्ता के रूप में पधारी हुई डॉ. नीलम जैन | ग्रन्थ पूर्णतया निर्विवाद हो। गाजियाबाद ने अपना ओजस्वी भाषण प्रस्तुत कर सम्यक्ज्ञान अनेक विद्वानों के पास सूचक पत्र प्रेषित किये जा के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित सम्पूर्ण भारत वर्ष की | चुके हैं। फिर भी यदि किसी कारण से उनके पास सूचना प्रथम पंक्ति में अपना स्थान कायम करने वाले ज्ञानमंदिर ! न पहुँची हो, तो निम्न पते पर पत्र लिखकर विस्तृत को जैन समाज की शिरमौर संस्था कहा।
| जानकारी मंगवा लेने की कृपा करें अनेकान्त दर्पण अंक 4 का विमोचन श्री शीलचंद
श्री शिखरचन्द्र जैन जी मुंगावली ने किया। प्रमाणनिर्णय ग्रन्थ का लोकार्पण डी-302, विवेक-विहार, नई दिल्ली- 110095
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मार्च 2002 जिनभाषित
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