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________________ पल्लवन से अहिंसा, ऊर्जा एवं धन तीनों का संरक्षण किया जा | है कि वे अहिंसा का कितना पुनीत धार्मिक कार्य कर रहे हैं। सकता है। कितना अच्छा हो कि अहिंसा की प्रतिमूर्ति जैनधर्म की कोई (4) मशरूम खेती - फफूंद की एक किस्म मशरूम, प्राचीन | प्रतिनिधि संस्था अहिंसा के क्षेत्र में चल रहे विभिन्न वैज्ञानिक कार्यों समय से खायी जाती रही है। यदि मशरूम की खेती को प्रोत्साहित | पर नजर रखकर उनको संरक्षण, समन्वय तथा दिशा-निर्देशन दे तथा और प्रवर्धित किया जाये तो यह अण्डों का उत्तम विकल्प बन सकता | इन अहिंसक वीर वैज्ञानिकों के अनुसार विभिन्न अहिंसक कार्य है। चूँकि इसका पूरा भाग खाने योग्य होता है, अधिक भूमि की | योजनायें, विकल्प, संसाधन बनाये। अगर हम इस दिशा में कुछ भी आवश्यकता नहीं होती है, रोशनी की अधिक आवश्यकता नहीं होती | कार्य कर सकें तो भगवान महावीर के 2600वें जन्मोत्सव वर्ष में है, यह कूड़े-करकट पर उग सकता है तथा खनिजों का खजाना होता उनके आदर्श अहिंसा को शक्तिशाली बना सकेंगे जिससे कि सुखी, है इसलिये यह आम आदमी का उत्तम नाश्ता हो सकता है। मशरूम संतुलित संसार का सृजन हो सकेगा। के प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनों अम्ल भी पाये जाते हैं जो इसे आधार ग्रन्थ श्रेष्ठ आहार बनाते हैं। 1. वैज्ञानिक- जन. मार्च 91 पृ. 55 (5) अहिंसक नव निर्माण - (क) ब्ल्यू क्रास ऑफ इंडिया १ वही (चेन्नई) ने काम्प्युफ्राग, काम्प्युरेट शीर्षकों से साफ्टवेयर विकसित आविष्कार- अगस्त 2000 पृ. 371 किये हैं जिनके प्रयोग से देश की शिक्षण संस्थाओं में लाखों मेंढकों, वैज्ञानिक- जन. मार्च 91 पृ.55 चूहों की हिंसा को समाप्त किया जा सकता है। विज्ञान प्रगति- जनवरी 2001 पृ. 38 (ख) ब्यूटी विदाउट क्रूयेल्टी पुणे ने लिस्ट ऑफ आनर के विज्ञान प्रगति- फरवरी 2001 पृ. 12 माध्यम से अहिंसक सौंदर्य प्रसाधनों की प्रामाणिक सूची प्रस्तुत की इनवेन्सन इनटेलीजेंस फर. 95 पृ. 73 है। इस प्रकार के कार्य को और व्यापक बनाना चाहिये। 8. आविष्कार- जून 2000 पृ. 251 (ग) विभिन्न वैज्ञानिक जैव प्रौद्योगिकी द्वारा ऐसे बीज तैयार 9. मांसाहार- सौ तथ्य पृ. 19 कर रहे हैं जिनसे वह कीट प्रतिरोधी पौध उत्पन्न करेंगे और इस तरह 10. आविष्कार- अक्टूबर 2000 पृ. 19 कीटनाशकों का प्रयोग बंद हो सकेगा। 11. विज्ञान प्रगति- अक्टूबर 99 पृ. 47 (घ) विदेशों में अहिंसक उत्पाद विक्रय केन्द्र बॉडी शॉप खोले 12. आविष्कार- जुलाई 2000 पृ. 322 गये हैं। इस तरह के केन्द्र हमें अपने देश में नगर-नगर, डगर-डगर 13. विज्ञान प्रगति- अक्टूबर 99 पृ. 13 खोलने चाहिये। 14. विज्ञान प्रगति- अक्टूबर 99 पृ. 47 (ड) अहिंसा शोध एवं प्रमाणन हेतु अहिंसक प्रयोगशालायें 15. आविष्कार- नवम्बर 99 पृ. 514 स्थापित होनी चाहिये। 16. बॉयोलाजी 12 भाग 2 पृ. 963 अंत में, अहिंसा की विविध क्षेत्रों में वैज्ञानिक रूप से 17. सम्यक विकास- श्री सूरजमल जैन जुलाईउपयोगिता, आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए यह तथ्य स्पष्ट रूप दिसम्बर 2000 पृ. 32 से रेखांकित किया जा सकता है कि आज समग्र विश्व में विभिन्न 18. विज्ञान प्रगति- फरवरी 2000 पृ. 27 वैज्ञानिक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अहिंसा को प्रोत्साहित कर रहे हैं | 19. बायोलाजी II भाग-2 पृ. 317 और कर सकते हैं। परन्तु इस बात का अहसास स्वयं उन्हें भी नहीं 20. विज्ञान प्रगति- जुलाई 2000 पृ. 55-52 महावीर विनोद कुमार ‘नयन दुखियों की देख पीर, आँखों में भर आया नीर, छूटने का दुख से उपाय बतलाया था। जन्म से भले हो शूद्र, कर्म से महान है जो, ऐसे इन्सान को महान बतलाया था। खुद जियो और दूसरों को जीने दो जहाँ में यहाँ, सब हैं बराबर, ये पाठ सिखलाया था। धन्य हैं वे भगवान महावीर स्वामी जिन्हें, सारी दुनिया ने अपना शीश झुकाया था। वीरन में वीर, अरु धीरन में धीर, जन्म-जरा से छुड़ावे, ऐसो एक ही तू वीर है। राग नहीं, द्वेष नहीं, मन में क्लेश नहीं, वीतराग निर्विकार निर्मोही गंभीर है। पा न सकें पार तेरो, बड़े-बड़े जोधा जहाँ, नश जात अभिमान देख तेरो धीर है। तात सिद्धारथ को प्यारो, माता त्रिशला को दुलारो, जग की आँखों को है तारो, ऐसो महावीर है। एल.आई.जी.-24, ऐशबाग कालोनी, भोपाल म.प्र. -फरवरी 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524259
Book TitleJinabhashita 2002 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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