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________________ नारीलोक गृहिणी और सच्चा साथी रसोईघर कु. समता जैन गृहिणी का अधिकतम समय उसके | बर्तन को ढूंढने में परेशानी न हो। यदि घर | की सब्जियाँ बनती हैं तथा कुछ चेहरे पर रसोईघर में ही गुजरता है। प्रत्येक गृहिणी यह में मिक्सी, फ्रिज आदि है तो उन्हें एक निश्चित | घिसने से त्वचा में निखार आता है। प्रयास करती है कि उसके द्वारा बनाया गया स्थान पर रखें जिससे श्रम व समय की बचत 8. खाना बनाने के लिये आप अपने भोजन स्वादिष्ट और पाचक हो तथा घर में होती है तथा बची हुई वस्तुओं का आसानी | घर के सभी सदस्यों की सलाह व पसंद का सभी लोग उसकी तारीफों के पुल बाँधे। कभी- से संरक्षण किया जा सकता है। ख्याल अवश्य रखें और क्या खाना बनाना कभी रसोईघर में जल्दी-जल्दी में कोई चीज 3. एक पेंसिल व डायरी रसोई में है इसकी प्लानिंग पहले से ही कर लें। जल जाती है, तो कोई कच्ची रह जाती, कभी जरूर लटका कर रखें और जब भी कोई वस्तु 9. प्लानिंग से पहले आप मौसम में कोई चीज मिलती ही नहीं है, तो कोई चीज समाप्त हो उसमें नोट कर लें जिससे आपको प्राप्त होने वाली सब्जियों व खाने की खत्म हो जाती है जिससे घर के सभी सदस्य बाजार जाते समय माथा-पच्ची करने की पौष्टिकता का अवश्य ध्यान रखें। झल्ला उठते हैं इसके लिये आवश्यकता है आवश्यकता नहीं पड़ेगी कि कौन-कौन सी 10.भोजन की तैयारी इस प्रकार करें कि शुरु से सतर्क रहें। रसोई में सभी वस्तुयें समाप्त हो गई हैं, जिन्हें बाजार से कि दोपहर के भोजन में बची हुई सामग्रियों आवश्यक वस्तुओं को सजा-सँवार कर रखें। | लाना हैं। का उपयोग, खासतौर से बची हुई सब्जियों सब वस्तुओं को सुव्यवस्थित ढंग से रखें। 4. रसोई घर में एक कैलेण्डर का प्रयोग शाम के लिये नये रूप में कर सकें। इसके लिये निम्नलिखित बातों का आवश्यक अवश्य ही टाँगना चाहिये। जिस पर जब दूध बहनें यदि उपर्युक्त सुझावों को रूप से ध्यान रखना चाहिये। न आये, कम आये अथवा गैस सिलिण्डर अपनायेंगी तो एक आदर्श गृहिणी के रूप में 1. सबसे पहले महीने भर में काम लगाने का दिन आदि बातें उन तारीखों पर उनका यश बढ़ेगा। आजकल आधुनिक आने वाली वस्तुओं की लिस्ट बनाकर उन्हें नोट करें। गृहिणी कम समय में भोजन बनाना चाहती मँगा लें और उन्हें उचित डिब्बों में स्टोर करके 5. खाना बनाते समय खाना बनाने हैं तथा परिवार को भी खुश रखना चाहती रखें। यदि डिब्बे पारदर्शक हों तो अच्छा है, | की सभी आवश्यक वस्तुयें चकला, बेलन, है, अत: वह इन सुझावों से श्रम एवं समय जिससे प्रत्येक डिब्बा खोलने की आवश्य- | चिमटा, चीनी, नमक, घी मसाले आदि दोनों की बचत कर सकती हैं और परिवार कता न पड़े। बाहर से ही दिखने पर प्रत्येक इकट्ठा करके रख लें। फिर बाद में गैस को भी प्रसन्न रख सकती है और जो नारी सामान लिया जा सके और यदि डिब्बे जलायें, जिससे गैस व समय की बचत होती | ऐसा करती है, उसके बारे में कहा है:पारदर्शक नहीं है तो प्रत्येक डिब्बे पर उसमें "नारी गुणवती धत्ते, सृष्टिरग्रिमं पदं।" रखी वस्तु का लेबल लगा दें और डिब्बों को 6. सब्जी, दाल-चावल हमेशा प्रेशर अगर नारी गुणवान हो, सुशिक्षित हो, अपनी जरूरत के मुताबिक क्रमानुसार रखें। | कुकर अथवा चौड़े मुँह के बर्तन में ही बनाना | | सुसंस्कारित हो, तो वह सृष्टि में अग्रिम पद 2. रसोई में आवश्यक बर्तनों का | चाहिये। जिससे गैस की बचत होती है। को धारण कर सकती है। होना आवश्यक है तथा उन्हें व्यवस्थित ढंग 7. सब्जियों के छिलकों को फेंकना 'जीवन सदन' सर्किट हाउस के पास, से जमाकर रखना चाहिये जिससे किसी भी नहीं चाहिये, उनमें से कई सब्जियों के छिलके शिवपुरी (म.प्र.) वाग्भारती पुरस्कार हेतु नाम आमंत्रित वाग्भारती पुरस्कार हेतु नाम 28 फरवरी तक सादर आमंत्रित हैं। डॉ. सुशील जैन, मैनपुरी द्वारा स्थापित, इस पुरस्कार के लिए अधिकतम आयु 40 वर्ष है। युवा विद्वान दशलक्षण पर्व पर प्रवचनार्थ अवश्य जाते हों, श्रमण परम्परा आर्ष मार्ग में पूर्ण आस्था रखते हुए संयमी जीवन के साथ निष्काम भाव से धर्म सेवा में तत्पर हों। वर्ष 2000 हेतु जो प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं, उनमें से पुरस्कार हेतु कोई नहीं चुना जा सका। अत: यदि योग्य पात्र प्राप्त हुए तो इस वर्ष दो पुरस्कार वर्ष 2000 व वर्ष 2001 के लिए दिये जा सकेंगे। जो पूर्व वर्षों में अपना नाम भेज चुके हैं वे पुनः न भेजें। विद्वान स्वयं, अन्य विद्वान, संस्थायें, समाज भी नाम प्रस्तावित कर सकती हैं। जन्म-तिथि, शिक्षा, परिचय, प्रवचनों का विवरण आदि पूर्ण जानकारी के साथ नाम भेजें। (डॉ. सौरभ जैन) मंत्री वाग्भारती ट्रस्ट,C/o जैन क्लीनिक सिटी पोस्ट आफिस के सामने मैनपुरी (उ.प्र.) पिन-205001 -नवम्बर 2001 जिनभाषित 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524257
Book TitleJinabhashita 2001 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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