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'जिनभाषित' जून 01 का अंक प्राप्त हुआ। अंक बहुत ही अच्छा लगा। मुनिश्री के शब्द 'जिनवाणी माता की चिट्ठी पढ़कर रोमांचकारी अनुभूति प्राप्त हुई। माता की चिट्ठी' का यह रूप अबाधित रखना, 'जिनभाषित' को इसी स्तर पर हमेशा प्रकाशित करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। और आप जैसे आगमनिष्ठ प्रतिभाशाली, जिनवाणी- भक्त ही यह जिम्मेदारी सुचारुरूप से निभा सकते हैं। आदरणीय पं. रतनलाल जी बैनाड़ा जैसे स्वाध्यायरत लक्ष्मीसरस्वती दोनों के कृपापात्र श्रेष्ठी का साथ आपको प्राप्त है। प. पू. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आपके ऊपर पावन वरदहस्त है। मुनिश्री समतासागर जी और मुनिश्री प्रमाणसागर जी से भी आपको शुभाशीष मिला है। निश्चय ही आपके कुशल और तत्त्वदृष्टिसम्पन्न सम्पादन में यह पत्रिका अपना नाम सार्थक करेगी।
प्रा. रतिकान्त शहा जैन 'कमलायतन' शिवाजीनगर, मेनरोड कोरेगाँव (सातारा) 415501 महाराष्ट्र
'जिनभाषित' का अप्रैल 2001 का अंक प्राप्त हुआ। पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। आपने इस पत्रिका का प्रकाशन भगवान् महावीर के 2600 वें जन्मकल्याणक महो
त्सव वर्ष में प्रारंभ किया तथा पत्रिका के नाम के अनुरूप ही विभिन्न विषयों से सम्बन्धित लेखों का समावेश किया है, जो अत्यंत प्रशंसनीय है। आध्यात्मिक एवं धार्मिक लेखों के साथ अन्य ज्ञानवर्धक लेखों ने भी पत्रिका की उपयोगिता को द्विगुणित किया है। पत्रिका का मुख-आवरण अत्यन्त सुन्दर और आकर्षक है। छपाई भी उत्तम है। इस सुन्दर पत्रिका के प्रकाशन हेतु आप बधाई के पात्र हैं।
44 जुलाई-अगस्त 2001 जिनभाषित
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के.सी. विनायका श्रीमती आशा विनायका ए-34, रविशंकर शुक्ल नगर इंदौर- 45211 'जिनभाषित' पत्रिका पढ़ी अच्छी गी। हमें पूर्ण आशा है कि यह पत्रिका समाज में अपना विशिष्ट स्थान अवश्य बनायेगी। परन्तु आप इसे व्यक्तिवाद से बचाकर रखियेगा, क्योंकि जिस पत्रिका में व्यक्तिवाद आ गया, बस वह पत्रिका समाप्त ही हो गई। इसका कवर पृष्ठ बहुत ही सुन्दर व आकर्षक
लगा।
शुद्धात्यप्रकाश जैन प्राकृताचार्य श्री लालवहादुरशास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, कटवारिया सराय नई दिल्ली- 110016 'जिनभाषित' मासिक पत्रिका के प्रायः अभी तक के सभी अंकों को पढ़ने का
इंदौर। 10 अप्रैल 2001 सशक्त परिवार और अशक्त राष्ट्र का निर्माण सशक्त नारी द्वारा ही संभव है और भगवान महावीर ने नारी शक्ति को सम्मान देकर जो गौरव प्रदान किया है वह आज भी प्रासंगिक है। उक्त विचार केन्द्रीय राज्य महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती सुमित्रा महाजन ने भगवान महावीर के 2600वें जन्मोत्सव दिगम्बर जैन राष्ट्रीय समिति के तत्त्वावधान में अखिल भारतवर्षीय महिला परिषद् द्वारा आयोजित सर्वधर्म महिला सम्मेलन के अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मादा भ्रूण हत्या एवं नारी पर हो रहे अत्याचार को नारी को स्वालम्बी साक्षर और स्वस्थ बनाकर ही रोका जा सकता है। महिला परिषद् के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के 2600 वें जन्म महोत्सव वर्ष और महिला सशक्तीकरण वर्ष में जो
सौभाग्य मिला। समय-समय पर सुखद अनुभूति के साथ ही ज्ञान, मनन तथा चिन्तन में वृद्धि हुई मेरा विनम्र सुझाव है कि जैनसमाज के ऐसे व्यक्तियों से निरन्तर परिचित कराने की श्रृंखला जारी करें, जिन्होंने नये आयाम स्थापित किये हों। साथ ही 'जैनधर्म / जैनदर्शन की ऐसी लेखमाला शुरु की जावे जो बच्चों के साथ ही साथ युवकों में भी ज्ञान का संचार करे। 'जिनभाषित' परिवार को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। डॉ. चन्दा मोदी सी/3, एम.पी.ई.बी. कालोनी विद्युत नगर, रामपुर, जबलपुर (म.प्र.)
सर्वधर्म महिला सम्मेलन का आयोजन
'जिनभाषित' का मई अंक प्राप्त हुआ। उसे प्रारंभ से अन्त तक एक साथ ही पढ़ा। यह पत्र बहुत ही उपयोगी शिक्षाप्रद और सुन्दर रूप में प्रकाशित करके आप महान् परोपकार कर रहे हैं। मई अंक में आपका सम्पादकीय एवं 'जैन आचार में इन्द्रियदमन का मनोविज्ञान एवं सभी लेख बहुत ही उच्चकोटि के हैं। 'जिनभाषित' को आपने सुरुचिसम्पन्न प्रकाशित किया है। मेरे पास 100 जैनपत्र आते हैं। उनमें 'जिनभाषित सर्वश्रेष्ठ है। आपको हार्दिक बधाई।
डॉ. ताराचन्द्र जैन बख्शी वखशीभवन, न्यू कालोनी जयपुर 302001 ( राजस्थान)
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आपने 2600 महिलाओं और 2600, बालकों को शिक्षित करने एवं स्वावलम्बी बनाने की तथा 2600 पेड़ लगाने की जिम्मेदारी ली है वह प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम संयोजिका एवं केन्द्रीय अध्यक्षा श्रीमती आशा विनायका ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महावीर के सर्वोदय धर्मतीर्थ और सर्वजातिसद्भाव के अनुसार आज सर्वधर्म महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया है और आत्मकल्याण और विश्वकल्याण की भावना को साकार करने के लिये संस्थाओं एवं सभी धर्म की सामाजिक कार्यकर्ता महिलाओं को कार्यक्रम के साथ जोड़ा गया है ताकि महावीर के सिद्धान्त तथा जियो और जीने दो का संदेश फैलाने और पर्यावरण, सामाजिक शान्ति एवं लोकसेवा के कार्यक्रम में उन्हें साझीदार और सहभागी बनाया जा सके।
श्रीमती आशा विनायका, इन्दौर
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