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________________ कुण्डलपुरः एक रिपोर्ट सदी का प्रथम जैन कुंभ कुंडलपुर में उमड़ा जन सैलाब • रवीन्द्र जैन, पत्रकार कुंडलपुर महोत्सव, दिगम्बर जैन इतिहास न में प्रमुखता से दर्ज हो गया है। २१ से २७ फरवरी २००१ तक चले इस महोत्सव को "जैन कुंभ" नाम दिया गया था। परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज सहित १७९ मुनि आर्यिकाओं तथा ४८५ बाल ब्रह्माचारी ब्रह्मचारिणियों ने इस जैन कुंभ में चार चाँद लगाये। देश-विदेश से १५ से २० लाख लोगों ने इस समारोह में शिरकत की। आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने राजनेताओं में होड़ लग गई। दो राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केन्द्रीय मंत्री, आधा दर्जन मंत्री, अनेक सांसद, विधायक, आय.ए.एस., आय.पी.एस. अधिकारी बड़े बाबा, आदिनाथ भगवान एवं छोटे बाबा, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की एक झलक पाने को लालायित थे। दिगम्बर जैन समाज की शीर्ष संस्थाओं ने भी इस महामहोत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के छोटे से कस्बे कुंडलपुर में विश्व प्रसिद्ध बड़े बाबा की अतिशयकारी प्रतिमा के १५०० वर्ष पूरे होने पर देशभर की देश समाज ने बड़े बाबा का महामस्तकाभिषेक तथा श्री जिनबिम्ब प्रतिष्ठा, गजरथ महोत्सव का आयोजन किया था। इस आयोजन में लोगों के उत्साह को देखते हुए इसे "जैन कुंभ" का नाम दे दिया गया था। नगर बसाने का काम सौंपा गया। राज्य सरकार ने बिजली, पानी की कमी न आने देने का भरोसा दिलाया तथा चार किलोमीटर दूर से एक नदी को बड़े-बड़े पाइपों के माध्यम से कुंडलपुर की ओर मोड़ दिया। कुंडलपुर के पहाड़ पर रातों रात काम करके दो लाख गैलन क्षमता की एक टंकी बनाई गई। यात्रियों के लिये महोत्सव स्थल पर २००० स्नानगृह तथा २००० शौचालय बनाये गये। सभी नगरों में बाजार बनाये गये। पाँच किलोमीटर क्षेत्र Jain Education International में फैले इस मेले में एक गोलाकार सड़क बनाई गई जिस पर सेवा वाहन चलाकर यात्रियों को पंडाल, मंदिर आदि स्थानों पर आने जाने की सुविधा दी गई। यहाँ टेलीफोन तथा संचार के साधन भी उपलब्ध कराये गये। मेले में यात्रियों की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। दिगम्बर जैन समाज के देशभर २६ नवयुवक मंडलों ने स्वेच्छा से अपनी सेवाएँ देने की पेशकश की तथा आयोजकों का आमंत्रण मिलते ही ये सेवादल ८४५ कार्यकर्ताओं, १२ बैण्ड टीमों के साथ २० फरवरी को ही कुंडलपुर पहुंच गये थे। भोपाल की एक निजी सुरक्षा एजेंसी के सवा सौ प्रशिक्षित जवान, आधुनिक सुविधाओं से लैस बुलाये गये। इसके अलावा जिला प्रशास ने एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में मेले की सुरक्षा के ६०० पुलिस कर्मचारी तैनात किये। वन विभाग ने मेले में बेरीकेटिंग के लिये भारी तादात में बांस, बल्लियां, उपलब्ध कराईं, विद्युतमंडल ने २०० के. बी. ए. के ८ नये ट्रांसफार्मर वहां लगा दिये तथा पूरे एक माह के लिये कुंडलपुर कस्बे को विद्युत कटौती से मुक्त रखा, साथ ही कुंडलपुर में २१ फरवरी से पहले ही आचार्य श्री के अलावा ५१ दिगम्बर मुनिराज, ११४ आर्यिका माता जी, ४ ऐलक महाराज, ८ क्षुल्लक अलावा देशभर से ४८५ ब्रह्मचारी, ब्रह्मचारिणी महाराज तथा एक क्षुल्लिका पहुंच गये थे। इसके भी वहां पहुंच गये थे। यहां मुख्य आयोजन के लिये एक लाख वर्गफीट में विशाल पंडाल बनाया गया था। इसमें १०० गुणा १५० फीट का विशाल मंच बना था। मंच पर शानदार महल की आकृति ग्वालियर के कलाकारों ने तैयार की थी। पंडाल आयोजकों ने ५३ समितियाँ बनाकर कुंभ की तरह से ही तैयारियां शुरू कर दीं। कुंडलपुर कस्बे की लगभग ५०० एकड़ भूमि किसानों को मुआवजा देकर तीन माह पहले ही ले ली गई तथा राजस्थान से ट्रेक्टर बुलाकर उसे समतल किया के बाहर खुले मैदान में जबलपुर नवयुवक मंडल के उत्साही कार्यकर्ताओं ने बड़े बाबा के प्रस्तावि मंदिर का विशाल मॉडल तैयार किया था जिसक गया। आगरा की एक बड़ी कंपनी को इस जमीन अपने ४४ कर्मचारी भी वहां पदस्थ कर दिये। लोक लंबाई ९० फीट, चौड़ाई ३५ फीट तथा ऊंचाई पर यात्रियों की सुविधा के लिये तंबुओं के १२ निर्माण विभाग का अमला कुंडलपुर पहुंचने वाली ४५ फीट थी। कुंडलपुर के वर्धमान सागर में सागर सड़कों के मरम्मत में लग गया तथा पहाड़ पर स्थित बड़े बाबा मंदिर तक के मार्ग का डामरीकरण भी उसने कर दिया। राज्य का परिवहन विभाग एक कदम आगे आया तथा उसने अपनी ३०० बसें यात्रियों की सुविधा के लिये लगा दीं, साथ ही प्रदेश के बाहर से आने वाली बसों पर आधा टैक्स माफ करने की घोषणा कर दी। For Private & Personal Use Only प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस आयोजन के महोत्सव नायक बनाये गये थे, उन्होने मेले में कोई परेशानी न हो इसलिए ११ फरवरी को कुंडलपुर पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया तथा आचार्यश्री के संघ सहित दर्शन किये। श्री सिंह ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्य सर्वश्री हरवंश सिंह, श्रवण कुमार पटेल, नरेन्द्र नाहटा, अजय नारायण मुशरान, रत्नेश सालोमन, राजा पटेरिया आदि को इन व्यवस्थाओं में सहयोग के लिये यहां पाबंद किया। अप्रैल 2001 जिनभाषित 25 www.jainelibrary.org
SR No.524251
Book TitleJinabhashita 2001 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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