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भवि मानवभव फल साधउ, सुरतरुथी ए धरम अधिको, विनयमूल आराधउ रे, भवि मानवभव फल साधउ... हित सुख मोक्षतणी छई दाता, अरिहंत प्रतिमा एम, जिनप्रतिमा दरसणथी बूझु, जूओ एह आर्द्रक जेम रे... भवि श्री सूयगडांगसूत्रनी वृत्ति, ए अधिकार वखाणु, वली उपदेसचिंतामणी मांहिथी में इहां विस्तार आणिउ रे, भवि... गाथाबंध चरित पणि एहनु, एम कहिउ अधिकार, त्रिहुं ग्रंथेथी करिउ चोकस, सरस घणउं सुखकार रे भवि... रसनानइं रसिउं छउं अधिकुं, तेहथी जे कहिउँ होइ, मिच्छामि दुक्कडं संघनी साखि, दिउं करजोडी दोई रे, भवि... चारसइं नइं एकावन एहनु, ग्रंथकार गुणि कीधउ साधुतणा गुण गाता सुपरिइ सकल मनोरथ सीधउ रे, भवि... श्री अचलगच्छि गिरुआ गच्छनायक, श्री गुणरत्नसूरिंद, ब्रह्मचारीमांहि चूडामणि, अभिनव जंबूमुणिंद रे, भवि... श्री क्षमारत्नसूरि तस पाटई, सोहइं जेम दिणंद, नाम तिसिउ परणामइं दीठउ, नयणि अमीरसबिंद रे, भवि... श्री गजसागरसूरितणा शिष्य, पंडित अधिक प्रतापी, ललितसागर बुध लावण्यधारी, जगि जसु कीरति व्यापी रे, भवि... प्रथमशिष्य मुनि माणिकसागर, तेह तणा मतिमंत ते गुरुनई सुपसाइं गायु, आर्द्रकऋषि गुणवंत रे, भवि... सत्तरसत्तावीसई चैतर सुदि तेरस ससिवारई, पूरवाफाल्गुनी ध्वजयोगई, लघुवटपद्र मझारई रे, भवि... ए ओगणीसमी ढाल, धन्यासी न्यानसागरि कहीं तेहई, धवल धिंग गउडीनी सांनिधिं, दिन प्रति दोलत गेहई, भवि...
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