SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हे मात ! हुं जता एवा महारा पिताने वारीश, एम कहेता एवा कोमल बुद्धिवाला बालके माताना हाथथी रेंटीयाने छोडावी नाख्यो. आ प्रमाणे कही लाळथी करोळीआनी जेम ते मुग्धमुख बाळक, चंचल नेत्रवाला, चपल शिखावाला अने कांईक हसता मुखवाला ते पुत्र त्राकना सूत्रथी पिताना चरणने वींटवा लाग्यो अने बोल्यो के, "हे माता ! हवे भय राखो नहीं, स्वस्थ थाओ, हवे में मारा पिताना पग बांधी लीधा छे. तेथी बंधायेला हाथीनी जेम हवे ते शी रीते जई शकशे ?" हे तात ! कहो, तमे समर्थ छतां पण हवे पछी नवीन अवस्थामां विरहथी व्याकुल एवी महारी माताने मूकीने शी रीते जशो ? बाळकनी आ प्रमाणेनी चेष्टा जोई आर्द्रकुमारे विचार्यु के-जे मारा मनरूप पक्षीने पाशलारूप थई पड्यो छे, जेथी हं हवे तरतमां दीक्षा लेवा माटे जवाने अशक्त छं. माटे आ प्रेमाळ बाळके मारा पग साथे जेटला सूत्रना आंटा लींधा छे. तेटला वर्षो सुधई आ पुत्रना प्रेमथी हुं गृहस्थपणे रहीश. पछी तेणे पगना तंतुबंध गण्या एटले बार थया. तेथी बार वर्ष गृहस्थपणामां निर्गमन कर्या. खरेखर मोहनीयकर्मनी माया मोटी छे. आ प्रमाणे श्री न्यानसागरे पंदरमी ढाल वर्णवी. दूहा एम वरस चउवीश तिहां, आर्द्रकुमार घरवास, रही छे हियडइ मन चिंतवई, धिग धिग मोह विलास... १ बार वरस बीजा इहां, रहिउ हुं सुतनइं नेह, पूरवभव मन इसाथकी, व्रत लई भांगु जेह... थयउ अनारय तेहथी, ईण भवि महाव्रत पंच, जो मिल्या ज्यां सर्वथा, ते छूटीस किण संच... वली देवइं वारीजतइ, हाहा लीधी दीख, सूतो विषयनइं कादवई, न पली जिननी सीख.. कूप झंप दीधी खरी, देखत दीवि लेय, विषय भंजिउं विषथी बूरउं, दुःख अनंता देय... हवि सुतनइं विनीतातणो, अति आग्रहसिउं सार, अनुमति लेइनइं ग्रहई, पंच महाव्रत भार... 87
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy