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________________ यौवनवयमां लावे छे. तेथी तमे अमारी विनंती ध्यानमां लो. ज्यारे चोथी वय एटले के वृद्धावस्थामां दीक्षा व्रत लेजो. आ प्रमाणे स्त्री रडती रडती आर्द्रकुमारने विनंती करे छे. खरेखर संसारनी मोहमय जालमांथी छूटर्बु घणुं ज कपरुं छे. रागना बंधन तोडवा अघरा छे. दीक्षा माटेनी अनुमति मेळववी ए सत्वशालीनुं ज काम छे. स्त्रीना भयंकर नेहपाशमांथी छूटवू ते देवताओने पण दुष्कर छे. आ प्रमाणे जुदा-जुदा प्रकारे पतिने संसारमा राखवा माटे तेमना उपर नेहरूपी बाण फेंके छे. विरहना वेदनवाळी धूमालि रागमां चौदमी ढाल पूर्ण थई. आर्द्रकुमार वलतुं कहई, ए मूकी द्यो वात, चतुरी चारित्र लेयस्युं, कालि अम्हे परभात... १ पाडोसण ना घर थकी, शोकातुरि सा बाल, आणी पूणी रिहरीउ, मांडिउ घरि ततकाल... २ थोडी सी एक को कडी, कातीनइं करी जाम, बाहिरथी रमतउ थकउ आविउ बेटउ ताम... ३ __ढाल-१५ देशी-वाल्होजी वाई छि वांसली रे... माजी ए स्युं मांडिउं तुम्ह रे, आपणडइ धरि आज, कहीउं हंतु कांतणउ रे, कां लोपी कुल लाज माजी... आंकणी-माजी ए स्युं मांडिउ तुम्हे रे, सुणि वत्स सा कहि दुःख भरी रे, पीउ पहुतई परलोकि, ए आधार छई नारिनइ रे, वस्त्र आभरण ए रोक, माजी... ते निसुणी सुत ईम कहे, जयवंतई मुज तात, ए अपशुकन करउ किशा रे, मूकइ रहईरीउ मात, माजी... सुणि सुत ते तो ताहरउ रे, जउ घरि कुशलउ होइ, तउ किम मांडीयई रतनसी रे, सूतनिं इम कही रोय, माजी... ४ मा पोढओ छि माहरो पिता, आ हींडोला खाट, पालसि लाड ए माहरा रे, कहउ छउ इम किण नाट, माजी... ५ 85
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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