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________________ एम सुणीनई धनवती रे, देउलमांहे ताम रे, रुंबइ देखी रे ऋषि उभो, तेहने पाउले रे, झुंबइ सांभळज्यो सघली सखी रे, मिलिओ मुझ वर जिस्यो कामरे, हुंबइ. हांसु रे जउं करस्युं, तो तुम्हनि आणसिउं रे... मुझ वखतइ भरता मलिउ रे, भाल भलउ जिसो भाण रे हुंबइ जाणे रे सुरसाखी, मधुमासनिउ रे, लूंबइ करउ आ सफल रे कामजी, तुम चिहुं वखते पहाण रे हुंबइ धाइ रे तिहां आवी चारइ कुंअरी रे, तुंबई... निरखो नियमघर साधुजी रे, रक्तोत्पल दल काय रे, रु(रु)डउ नाशा रे जेहनी देखीनई हारिउ रे, सूडउ रहि अलगी ऋषिस्युं वरिउं रे, अडतां संघट थाय रे कूडउ कहि रे ते किम परणी पहिरावसि चूडउं... कहि देउलना देवता रे, अहो अहो ए वरिउ सार रे, एणी कांइ रे नावि चूकी, सो तिहां साखवि रे, तेणी तेम कहीनइ घनघटा रे, कीधी घोर अंधार रे, देवि गाजी रे वरसावी वृष्टि रयणनी रे, हुं छई... गरजारव तिम वीजथी रे, बीहती धनवती त्यांहि रे, बाला काने रे सुणीनइ, कट कट कटिना चाला रे, जाणि उन्हालि नदी रे, जिम वहइ बे तटमांहि रे, ऊंडी राखी रे तिउ रही ऋषिना पग विचे रे मूंडी... तव मुनिवर तेह चालीयउ रे, सोपसरग लहीं काम रे, तिहाथी रहिता रे लूटारी व्रत लूंटसिए रे, इहांथी इम चिंती अणगारजी रे, गयउ क्य बीजइं गाम रे, दोडी केडइ रे कन्याउ सघली मेघ रहइ रे, मोडी... देउलमांहीथी नीसरी रे, आविउं पूरनउ राय रे, ते तंइ राशि रे, रयणनी ते लेवानइ हेतइ, रयण लीइ जव राजीयउ रे, तिहां सुरवाणी थाय रे, ते तइ मारे मि दीधी छे धनवतीनि हेतइ रे.. 72
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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