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________________ प्रस्तावना... __ अवसर्पिणी जेवा पडता काल ना प्रभावे समय ना परिवर्तन साथे बुद्धिमेधाशक्तिनो ह्रास थतो रह्यो. संस्कृत-प्राकृत भाषानो अभ्यास मर्यादित वर्गमा रह्यो. सामान्य जन ने शास्त्रीय पदार्थोनो सरळता अने सुगमताथी बोध थाय ए हेतुथी मध्यकालीन युगना (सं. १४०० थी १८००) अनेक विद्वान कविओए मारुगुर्जर भाषामां स्तुति-स्तवन-सज्झाय-रास-चोपाई-हरीयाळी-छंद-फाग-सवैया-गहूली वगेरेनी रचना करी छे. तेमां तपागच्छ, अचलगच्छ, खरतरगच्छ, पार्श्वचंद्रीयगच्छ वगेरे अनेक गच्छना साधुमहात्मानुं योगदान छे. अप्रगट एवी प्राचीन कृतिओने लिप्यंतर करी प्रगट करवानो पुरुषार्थ कर्यो छे. भिन्न-भिन्न काले रचायेली भिन्न-भिन्न कर्ताओनी एक ज विषय उपरनी कृतिओ उपस्थित छे. भक्ति ने मैत्री जेवा गरिष्ठ गुणोनुं उद्गान जे कथामां छे ते “आर्द्रकुमार रास” अहीं प्रस्तुत करवामां आवे छे. रास समजवामां सुगमता रहे ते हेतुथी तेनो भावार्थ दरेक ढाळ पछी बताववामां आव्यो छे. आ रासना रचयिता पूज्य श्री न्यानसागरजी म.सा. छे. तेओ अंचलगच्छना पूज्य श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म.सा.नी पाटे थयेला श्री क्षमारत्नरि म.सा., तेमनी परंपरामां थयेल श्री गजसागर -> श्री ललितसागर -> श्री माणेकसागरना शिष्य छे. प्रस्तुत रासना कर्ता श्री न्यानसागरजी अने ज्ञानसागरजी बंने एक ज जणाय छे. कोई ठेकाणे तेमना नामनो उल्लेख ज्ञानसागरजी पण जोवा मळे छे. तेओ श्री अंचलगच्छीय श्री गुणरत्नसूरिजीनी पाटपरंपरामां थयेल छे. तेम प्रशस्तिमा उल्लेख कर्यो छे. तेमनो विशेष परिचय तेमज तेमना रचेला ग्रंथोनो उल्लेख जोवा मळतो नथी. प्रस्तुत रासनी रचना पूज्य न्यानसागरजी म.सा. ए विक्रम संवत १७२७ नी चैत्र सुद तेरस, शनिवारना दिवसे लघुवटपद्र गाममां धवलधिंगड श्री गोडीजी पार्श्वनाथ दादाना सांनिध्यमां पूर्ण करी. आ रासमां १९ ढाळ, सोरठा दूहा तेमज ३०० कडी छे. रासनी शरूआतना दहामां कवि श्री पोते ज जणावे छे के आ कथानो संपूर्ण अधिकार सूयगडांग वृत्ति तेमज उपदेशचिंतामणी ग्रंथमां छे. रासनी अंतिम ढालमां (१९/४) पण तेनुं निदर्शन कयुं छे. 40
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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