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________________ ढाल-४ मृगध्वज मनि करइ विचार, जउ मिलिय राय एकवार तउं भांजइ मनना रोस, मुझनइ नवि लागइ दोस... १ धन धन... धन-धन ते साधु नमीजइ, तेहना गुण हीयडइ धरीजइ, जे लेइ संयम भार, नित पालइ निरतिचार... २ धन धन... मुनि इसउ विमासी चालई, पगि पगि जीवराशि निहालइ, क्रमि कमि राय मिलिवा काजि, पहुता महंता सिउं राजि... ३ धन धन... मुनि देखी राउ दिइ मान, जोवउ जोवउ पुण्य प्रमाण, ततखिण सिंहासन मंडइ, मनमांहि प्रीति न छंडइ... ४धन धन... तिहा बइठा मुनिवरराय, मनरंगिहि प्रणमइ पाय, मुह साम्हउ जोवइ भूप, पुणि न लहइ कुमर सरूप... ५ धन धन... तव मुहतउ बोलइ तेह, स्वामी कुमर तुम्हारउ एह, इण मानवभव फल लीधउ, वली निजकुल निरमल कीधउ... ६ धन धन... इसउ वचन सुणी मन जागिउ, मुनिवरनइ पायइ लागइ, मनमांहि घणउ पछितावइ, रोस छोडी राय खिमावइ... ७ धन धन... मइ कीधउ तुम्ह अपराध, पणि खिमइ तुम्हि छउ साध, गुरुआ सहजिइ उपगार, करता न लगाडइ वार... राज-राणी रिद्धि भंडार, राउ आपइ सुतनइ सार, पणि निर्मलपणइ न इहइ, चउगइ संसारह बीहइ... ९धन धन... अनुमति लेइ शुभ ध्यानी, कमि क्रमि पहुता उद्यानि, तिहा सीमंधर गुरु पासे, लिइ दीक्षा मनि उल्हासि... १० धन धन... ८धन धन... 113
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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