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पूर्वकृत कर्म जीवने पोताने ज भोगववुं पडे छे. माटे सुख-दुःखमां आत्माने समाधिमां राखवो ते ज जीवननुं परम ध्येय छे एम आत्माने समजावी महिष समतापूर्वक त्यां थोडी वार रहे छे पछी भांगेला पगे धीम-धीमे ऊभो थईने पगलु मांडे छे. विश्राम लेता लेता एक थांभलाने टेके आवी ऊभो रहे छे.
जीवने प्राप्त थयेल सुख - दुःख ए पोताना ज पूर्वकृत शुभ-अशुभ कर्मनुं फळ छे. एम. कोईनो पण दोष होतो नथी. बीजा जीवो तो निमित्तमात्र ज होय छे. माटे मननो रोष दूर करी कोईनो पण दोष न जोवो ए ज साची समाधि छे. एम शुभपरिणामनी धाराए ते महिष चढे छे अने पोताना आत्माने निंदे छे.
राजाने लोकवायकाथी कुमारना दुष्कृत्यनी जाणकारी थाय छे. जे महिषने पोते अभयदान आप्यु हतुं ते महिषने ज कुमारे मार्यो छे. ए समाचार सांबळी राजा अत्यन्त कोपे भराय छे. राता-पीळा थयेल राजा कोईनी पण वात सांभळवा तैयार नथी. आ अन्याय तेमनाथी सहन थयो नहि अने ते ज क्षणे राजाए कुमारने शूलीनी सजा जाहेर करी दीधी. पोतानो पुत्र होवा छतां पण राजाए जरापण दया न लावी. दरेकने माटे न्याय एकसरखो होय छे. एम समजेला ते राजाए पोताना द्वारा जाहेर थयेला सजामां जरापण फेरफार कर्यो नहि.
कीर्तिमती राणी खूब विलाप करे छे. हाथ जोडी राजाने गदगद् स्वरे समजावे छे के पुत्रनो आ अपराध तमे खमी लो. आटली मोटी सजाने माफ करी तेमां कांक फेरफार करो नहितर पाछळथी पस्तावानो वारो आवशे. मंत्री-सुभटो विगेरे पण राजाने समजाववामां कांई बाकी राखता नथी. खूब समजाववा छता पण राजा एकनो बे थतो नथी. पोतानो निर्णय अडग ज राखे छे. क्रोधथी हृदय निष्ठुर थई जाय छे. सहुने अवगणीने अफर निर्णयने अमलमां मुकवा सौने आज्ञा करे छे.
कुमारने एक गुनेगारनी जेम गधेडानी उपर बेसाडे छे. गळामां करेणनी माळा पहेरावे छे अने आगळ काहल वगाडता-वगाडता आखा नगरमां फेरवे छे. आव घटनाथी समस्त नगर जाणे रडी रह्युं छे. चौटे - चौटे सहु नगरजन दुःखी हृदये ऊभा रहे छे नाना मोटा बधा कुमारनी पाछळ-पाछळ जाय छे. विस्मित अने दुःखित हृदये सहु नगरजन पाछळ जता जता वध्यभूमिका सुधी पहोचे छे. सौना हृदयमां एक विस्मय छे के हवे शुं थशे ?
राजमंत्री खूब चालाक अने चतुर होय छे. राजा ज्यारे समजवा तैयार नथी त्यारे मंत्रीनी फरज बने छे के राजकुमारनुं कोइपण भोगे रक्षण करवुं. एम विचारी
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