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सामाजिक और आर्थिक सन्दर्भ में महावीर का दर्शन
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होता था। महावीर ने कहा अगले जन्म में और अधिक प्राप्त होने का लोभ दिखा कर वर्तमान की साधन-सुविधाओं को स्वाहा करना अनुचित है। पशुवध हिंसा है। परलोक का लोभ मिथ्या है, भ्रम है।
महावीर के चिन्तन को सामाजिक और आर्थिक जीवन के सन्दर्भ में देखने का यह एक लघु प्रयत्न है। यदि महावीर का आज के युग के साथ रिलेवेन्स खोजना है तो अनुसन्धान को इस दिशा में मोड़ देना होगा।
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